गुरुग्राम: 38 गांव की पंचायतों को नगर निगम में शामिल करने को लेकर गुरुग्राम के वजीरपुर गांव में एक पंचायत का आयोजन हुआ. जिसमें 38 गांवों के पंच, सरपंच और गांव के ग्रामीण पहुंचे. जहां सभी ने इसका विरोध किया और एक सुर में कहा कि गुरुग्राम नगर निगम में शामिल करने के बाद सभी गांव नरक हो जाएंगे, क्योंकि नगर निगम ने पहले ही लिए हुए गांवों में विकास नहीं कराया है तो अब अन्य गांवों को निगम में लेकर कैसे विकास कार्य कराएगा
बीर सिंह ने कहा कि अरबों की सम्पति पर नगर निगम की निगाह है और नगर निगम में 38 गांवों के जाने के बाद ग्रामीणों पर टैक्स की मार भी पड़ेगी और साथ ही अधिकारियों के हाथ मे विकास की चाबी भी आ जाएगी. ऐसे में सरकार पंचायत को खत्म कर रही है. ये कतई बर्दाश नहीं होगा.
भोंडसी के पूर्व सरपंच संजय राघव ने कहा कि पब्लिक ही जब दुखी होगी तो सरकार का क्या फायदा, इसलिए पंचायतों को निगम में शामिल ना किया जाए. हालांकि, अभी नगर निगम के पास पूरे साधन भी नहीं है. अगर ये गांव निगम में शामिल होंगे तो गांवों का भी बुरा हाल हो जाएगा.
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इस पूरे मामले पर गुरुग्राम सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदरलाल यादव ने कहा कि सभी सरपंचों ने इसका विरोध किया है, क्योंकि नगर निगम पहले ही शहर में विकास नहीं करा पा रहा है तो जो गांव शामिल होंगे उनका कैसे विकास होगा. वहीं सरकार को भी ऐसी क्या जरूरत पड़ रही है कि निगम में ये गांव शामिल किए जा रहे हैं.
दरअसल, गुरुग्राम नगर निगम हरियाणा का सबसे बड़ा खजाने वाला निगम है और इसका वार्षिक बजट भी शहर के विकास कार्यों में खर्च करने का लगभग 1700 करोड़ रुपये का है. ऐसे में अब नगर निगम 38 गांवों को ओर शामिल करने जा रहा है. जिसके चलते सरपंच समेत अब गांव के मौजिज लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि, इसको लेकर एक कमेटी भी गठित की गई है. जिसमें ये कमेटी डिप्टी कमिश्नर अमित खत्री को जल्द ज्ञापन सौपेंगी और जल्द ही मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम से मिलकर इस पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा.