फतेहाबाद: पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण हरियाणा में तबाही की तस्वीरें सामने आई थी. जिसके चलते हरियाणा के कई जिलों में घर जलमग्न हो गए थे. तो फसलें भी तबाह हुई थी. इस दौरान राज्य में करोड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई. बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर शुक्रवार को सैकड़ों किसानों ने फतेहाबाद में पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले जोरदार प्रदर्शन किया.
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किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों पर सवार होकर फतेहाबाद अनाज मंडी पहुंचे और यहां से लघु सचिवालय तक प्रदर्शन किया. किसान संगठन द्वारा डीसी कार्यालय पर पक्का मोर्चा शुरू करते हुए ऐलान किया गया कि जब तब सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती, वो आंदोलन जारी रखेंगे. प्रदर्शन की अध्यक्षता पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष मनदीप नथवान ने की.
किसान नेता मनदीप नथवान ने कहा कि बाढ़ से खराब हुई फसलों के मुआवजे समेत 21 मांगों को लेकर किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ा है. सरकार अभी किसानों को मुआवजा देने के मूड में नहीं है. अभी वह किसानों के साथ पोर्टल-पोर्टल खेल रही है. बीजेपी को किसानों से कोई लेना-देना नहीं है. किसानों की परवाह करने की बजाय भाजपा सरकार चुनावों की तैयारियों में जुटी है.
वहीं, किसानों ने विपक्ष को भी जमकर कोसा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में विपक्ष भी नकारा है. आज विपक्ष सरकार की नाकामी को वोटरों में बदलना चाहता है. उन्होंने कहा कि सूबे में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया है.
पगड़ी संभाल जट्टा के किसानों का कहना है कि स्थानीय विधायक सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गए, लेकिन उसके बाद उन्होंने कोई कोई सुध नहीं ली. बाढ़ से किसानों की फसलें बर्बाद हुई, लोगों के मकान टूट गए हैं. लेकिन सरकार किसानों और आम जनता को कोई राहत नहीं दे रही है. पोर्टल के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है. पहले भी कई बार पोर्टल पर दर्ज नुकसान का किसानों को कोई मुआवजा नहीं दिया गया. उधर, बीमा कंपनियों ने भी लूट मचा रखी है. इस दौरान कुल मिलाकर किसान पूरी तरह से सरकार से खफा नजर आए.
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किसान संघर्ष समिति की ओर से 21 सूत्रीय मांगों में बाढ़ ग्रस्त किसानों को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की है. खराब ट्यूबवेलों व प्रभावित मकानों का मुआवजा देने की मांग. पानी निकासी करने की मांग, बिजली बिल का भुगतान न करने की मांग समेत कई अन्य मांगों का मांग पत्र प्रशासन को सौंपा गया है.