फतेहाबाद: नागरिक अस्पताल में आमजन का इलाज करने वाले चिक्तिसक व स्टाफकर्मियों के क्वार्टरों की हालत जर्जर होने के चलते कर्मी भय के साए में जीवन यापन कर रहे हैं. रोजाना चिकित्सकों के कमरों से पपड़ी गिर जाती है जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इन क्वार्टरों में शौचालयों की कुछ भी टूंटिया टूटी पड़ी हैं और कुछ खराब हैं जिस वजह से पानी सडकों पर बाहर आता रहता है.
कर्मी कैमरे के सामने बोलने से कतराते हैं पर हालात सच बयां करते हैं. विभाग द्वारा दस क्वाटरों को कंडम घोषित किया जा चुका है लेकिन बावजूद इसके कोई सुध नहीं ली जा रही है. इन क्वार्टरों का निर्माण 43 वर्ष पूर्व किया गया था तब से लेकर आज तक इनकी रिपेयरिंग करवाने की जहमत भी सरकार ने नहीं उठाई है.
नागरिक अस्पताल में चिक्तिसकों के लिए 6 क्वार्टर बनाए गए हैं जिनमें से दो को कंडम घोषित किया जा चुका है तथा अन्य चारों की हालत भी जर्जर हो चुकी है. चिक्तिसकों ने कुछ रुपया लगाकर उन्हें ठीक करने का प्रयास किया है लेकिन काफी पुराने होने के चलते रोजाना कोई न कोई पपड़ी गिरती रहती है. इन क्वार्टरों से सरिए बाहर निकलते हुए दिखाई देते हैं जो हादसों को संकेत कर रहे है.
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इन क्वार्टरों की दीवारें पानी अधिक बहने से कमजोर हो चुकी हैं और कंडम घोषित हुए क्वार्टरों के बाहर बड़ी-बड़ी घास होने से जंगल जैसा हो चुका है. नागरिक अस्पताल में कार्यरत डॉ. जावेद खान के क्वार्टर में एंट्री करते ही टूटा हुआ दरवाजा दिखाई देता है जिससे कोई भी हादसा हो सकता है. डॉ. सचिन ने अपने खर्चे से कुछ रिपेयरिंग करवाई है लेकिन दीवारों में बाहर से दरारें अभी भी हैं.
नागरिक अस्पताल के पूर्व एसएमओ डॉ. सतीश गर्ग के क्वार्टर से जाने के बाद वहां की हालत भी खराब हो चुकी है, यहां बाथरूम में पानी बहता रहता है जो दीवारों को कमजोर कर रहा है. क्वार्टर के बाहर घास बड़ी-बडी उगने से भयावक माहौल बना हुआ है. नागरिक अस्पताल के अन्य कर्मियों के क्वार्टरों के अधिकतर दरवाजें व खिड़कियां टूटी हुई हैं जिसमें अनेक बार जानवर प्रवेश कर जाते हैं.
इस बारे में एसएमओ डॉ. हरविंद्र सागु ने बताया कि नागरिक अस्पताल में लगभग 43 साल पहले चिक्तिसकों के लिए 6 क्वार्टर तथा अन्य कर्मियों के लिए 42 क्वार्टर बनाए गए थे. 2 क्वार्टर डाक्टरों व 8 अन्य स्टाफ वालों के कंडम घेाषित किए जा चुके हैं. अनेक बार बीएंडआर विभाग को रिपेयरिंग का एसटीमेट बनाने के लिए कह चुके हैं लेकिन अभी तक उन्हें विभाग द्वारा एस्टीमेट बनाकर नहीं दिया गया.
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