फरीदाबाद: कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) बीमारी ने ने दस्तक दे दी है. फरीदाबाद शहर में 25 बच्चों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है. ये सभी वो बच्चे हैं जो कोरोना वायरस को मात देकर ठीक हो चुके हैं.
मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम को लेकर शोध जारी
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की निगरानी में इस बीमारी को लेकर कई बच्चों पर अध्ययन किया जा रहा है. ये वह बच्चे हैं जो कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं. अध्ययन के दौरान इन बच्चों के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी पर शोध किया जा रहा है. इसके लिए भारत के चार बड़े अस्पतालों को चुना गया है जिनमें ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज ऑफ अस्पताल फरीदाबाद, सफदरजंग दिल्ली, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली, सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर बेंगलुरु शामिल है.
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दरअसल ये बीमारी कोई नई नहीं है, लेकिन इस बार ये बीमारी तेजी के साथ बढ़ रही है क्योंकि कोरोना संक्रमण के चलते हैं इस बीमारी को हराने वाली इम्यूनिटी पावर कमजोर हो रही है. कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के करीब 25 दिन बाद ये बीमारी वापस लौट कर बच्चों में आ रही है. ऐसे में बच्चों के माता-पिता को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. अगर बच्चे हद से ज्यादा रोते हैं, दस्त लगते हैं, सूजन आ रही है, या फिर बुखार हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
जिस बच्चे को नहीं है कोरोना वह भी हो सकता है ग्रस्त
अब तक के अध्ययन में ये भी सामने आया कि अगर किसी बच्चे को कोविड-19 नहीं हुआ, लेकिन उसके परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को कोरोना हो चुका है तो ऐसे में उस बच्चे को बीमारी हो सकती है. ऐसे में इस बीमारी से संबंधित कुछ भी लक्षण होने पर उसे जल्द से जल्द अस्पताल लेकर जाने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों में कोरोना संक्रमित लोग हैं उन्हें बच्चों की एंटीबॉडी चेक कराने की आवश्यकता है.
खुद की एंटीबॉडी बन रही है शरीर की दुश्मन
शोध में सामने आया है कि जिन बच्चों ने कोरोना संक्रमण को हराया है उनमें बनने वाली एंटीबॉडी ही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन साबित हो रही है क्योंकि उनकी बॉडी में बनने वाली हाई एंटीबॉडी को उनका बॉडी सिस्टम सह नहीं पा रहा है. वही हाई एंटीबॉडी उसके शरीर के दूसरे अंगों को प्रभावित कर रही है.
प्रॉपर ट्रेसिंग नहीं होना है इसका सबसे बड़ा कारण
भारत में इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है प्रत्येक व्यक्ति की ट्रेसिंग नहीं होना. बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो पहली या दूसरी वेव में कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन उनको पता तक नहीं चला और उन्हीं से इंफेक्शन उनके बच्चों तक पहुंच गया. शोधकर्ताओं ने तेजी से इस बीमारी के मामले बढ़ने की आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी को रोकने के लिए सबसे पहले प्रॉपर तरीके से लोगों की ट्रेसिंग होना बेहद जरूरी है. शोधकर्ताओं का दावा है कि आगे आने वाले समय में इसके केस और भी ज्यादा बढ़ेंगे.
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