ETV Bharat / state

'स्मार्ट सिटी' पर प्रदूषण का ग्रहण, इन वजहों से स्वच्छ सर्वेक्षण में फेल हुआ फरीदाबाद - स्वच्छ सर्वेक्षण

लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की मात्रा यानी पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है.

स्वच्छ सर्वेक्षण में फेल
author img

By

Published : Mar 7, 2019, 2:41 PM IST

फरीदाबाद: स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के नतीजों ने सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी है. देश के 4237 शहरों के स्वच्छ सर्वे में फरीदाबाद की रैंकिंग 227 है. पिछले साल शहर की रैंकिंग 217 थी.

देश में 4 जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण का सर्वे किया गया था. ये सर्वे 31 जनवरी तक चला था. केंद्र सरकार की टीम ने फरीदाबाद का सर्वे किया. जिसमें स्वच्छ सर्वेक्षण के मानकों में लोगों का फीडबैक, सर्विस लेवल प्रोग्राम, सर्टिफिकेशन आदि शामिल थे. ये सर्वे कुल 5 हजार अंकों का था. इनमें से फरीदाबाद को 2156 अंक ही मिले.

रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहे:
साल -- कुल शहर ---रैंकिंग

2015 -- 476--- 421
2016 ---73 -----51
2017---- 434--- 88
2018 ---4041 --217
2019-- 4237--- 227

पिछड़ने के चार बड़े कारण:
650 टन कूड़ा
: स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण वेस्ट मैनेजमेंट है. इसका काम चीन की ईकोग्रीन कंपनी के पास है. रोज 650 टन कूड़ा शहर से निकलता है और उसके निस्तारण के नाम पर उसको बनवाड़ी प्लांट में डंप कर दिया जाता है.

undefined

950 के करीब ने ही दिया फीडबैक:
2: लोगों से सीधा संवाद ही नहीं किया गया. लोगों को पता ही नहीं था कि स्वच्छ सर्वेक्षण चल रहा है. केंद्र की टीम ने लोगों से पूछा लेकिन लोगों ने संतुष्ट जवाब नहीं दिया. इसके अलावा ऑनलाइन फीडबैक देने में भी शहर के लोगों ने कम रूचि दिखाई.

5000 ने ही किया ऐप डाउनलोड:
3: स्वच्छ सर्वेक्षण में स्वच्छता ऐप डाउनलोड कर उसके इस्तेमाल करने को लेकर भी 100 अंक निर्धारित किए गए थे. लेकिन 5 हजार लोगों ने ही स्वच्छता ऐप को डाउनलोड किया. इस कारण 100 नंबर कट गए. कम से कम 50 हजार ऐप डाउनलोड होने जरूरी थे.

9000 चाहिए पर हैं 3200 ही कर्मी:
4: सफाई कर्मचारी सही से सफाई नहीं कर रहे. पूरे शहर में सफाई के लिए 9000 के करीब सफाई कर्मी चाहिए. लेकिन सिर्फ 3200 ही हैं. जो हैं वो भी सही से काम नहीं कर रहे हैं. सर्वेक्षण टीम को मार्केट, बस स्टैंड, सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी के ढेर मिले.

undefined

इन कैटेगरी में मिलने थे नंबर:
सर्टिफिकेशन 1250
डॉयरेक्ट ऑब्जर्वेशन 1250
सर्विस लेवल प्रोग्राम 1250
सिटीजन फीडबैक 1250
कुल 5000

प्रदूषण के मामले में लगातार फरीदाबाद डेंजर पोजीशन पर बना हुआ है. आंकड़े स्वास्थ्य के हिसाब से काफी खतरनाक हैं. प्रशासन की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा. शहर के लोग भी सहयोग नहीं कर हे हैं.

इससे एक बार फिर प्रदूषण का स्तर घटने के बजाय बढ़ गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी किए गए एयर बुलेटिन में गुरुग्राम के बाद फरीदाबाद सबसे प्रदूषित शहर रहा. लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की मात्रा यानी पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है.

शहर में बढते प्रदूषण के लिए कई प्रमुख कारण हैं जैसे की घरों से निकलने वाला कचरा खुले स्थानों पर डाल दिया जाता है और फिर कचरे के ढेर में आग लगा दी जाती है. ये आग कई दिनों तक चलती रहती है. जिससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.

undefined

कचरे के ढेर में कई प्रकार के वैस्ट कैमिकल भी होते हैं. जिनसे जहरीली गैसे निलकती है. ऐसे में सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हवा में ही नहीं पानी में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

फरीदाबाद में ज्यादातार इलाकों में निमार्ण काम चल रहा है. जिस कारण रिहायशी इलाके में भी रेत, मिट्टी के अंबार लगे हुए हैं. आलम ये है कि लोगों ने पैसा कमाने की लालच में प्रशासन की बिना अनुमति के क्रैशर प्लांट तक लगा रखे हैं.

मामले को लेकर जब जिला प्रदूषण नियंत्रण के अधिकारी डॉ जयभगवान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए स्कीम लागू की जा रही है और ऑनलाइन ही इस सब का निपटारा किया जाएगा. उनका कहना था कि करीब 40 कारखाने को नोटिस दिया गया है.

फरीदाबाद: स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के नतीजों ने सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी है. देश के 4237 शहरों के स्वच्छ सर्वे में फरीदाबाद की रैंकिंग 227 है. पिछले साल शहर की रैंकिंग 217 थी.

देश में 4 जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण का सर्वे किया गया था. ये सर्वे 31 जनवरी तक चला था. केंद्र सरकार की टीम ने फरीदाबाद का सर्वे किया. जिसमें स्वच्छ सर्वेक्षण के मानकों में लोगों का फीडबैक, सर्विस लेवल प्रोग्राम, सर्टिफिकेशन आदि शामिल थे. ये सर्वे कुल 5 हजार अंकों का था. इनमें से फरीदाबाद को 2156 अंक ही मिले.

रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहे:
साल -- कुल शहर ---रैंकिंग

2015 -- 476--- 421
2016 ---73 -----51
2017---- 434--- 88
2018 ---4041 --217
2019-- 4237--- 227

पिछड़ने के चार बड़े कारण:
650 टन कूड़ा
: स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण वेस्ट मैनेजमेंट है. इसका काम चीन की ईकोग्रीन कंपनी के पास है. रोज 650 टन कूड़ा शहर से निकलता है और उसके निस्तारण के नाम पर उसको बनवाड़ी प्लांट में डंप कर दिया जाता है.

undefined

950 के करीब ने ही दिया फीडबैक:
2: लोगों से सीधा संवाद ही नहीं किया गया. लोगों को पता ही नहीं था कि स्वच्छ सर्वेक्षण चल रहा है. केंद्र की टीम ने लोगों से पूछा लेकिन लोगों ने संतुष्ट जवाब नहीं दिया. इसके अलावा ऑनलाइन फीडबैक देने में भी शहर के लोगों ने कम रूचि दिखाई.

5000 ने ही किया ऐप डाउनलोड:
3: स्वच्छ सर्वेक्षण में स्वच्छता ऐप डाउनलोड कर उसके इस्तेमाल करने को लेकर भी 100 अंक निर्धारित किए गए थे. लेकिन 5 हजार लोगों ने ही स्वच्छता ऐप को डाउनलोड किया. इस कारण 100 नंबर कट गए. कम से कम 50 हजार ऐप डाउनलोड होने जरूरी थे.

9000 चाहिए पर हैं 3200 ही कर्मी:
4: सफाई कर्मचारी सही से सफाई नहीं कर रहे. पूरे शहर में सफाई के लिए 9000 के करीब सफाई कर्मी चाहिए. लेकिन सिर्फ 3200 ही हैं. जो हैं वो भी सही से काम नहीं कर रहे हैं. सर्वेक्षण टीम को मार्केट, बस स्टैंड, सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी के ढेर मिले.

undefined

इन कैटेगरी में मिलने थे नंबर:
सर्टिफिकेशन 1250
डॉयरेक्ट ऑब्जर्वेशन 1250
सर्विस लेवल प्रोग्राम 1250
सिटीजन फीडबैक 1250
कुल 5000

प्रदूषण के मामले में लगातार फरीदाबाद डेंजर पोजीशन पर बना हुआ है. आंकड़े स्वास्थ्य के हिसाब से काफी खतरनाक हैं. प्रशासन की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा. शहर के लोग भी सहयोग नहीं कर हे हैं.

इससे एक बार फिर प्रदूषण का स्तर घटने के बजाय बढ़ गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी किए गए एयर बुलेटिन में गुरुग्राम के बाद फरीदाबाद सबसे प्रदूषित शहर रहा. लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की मात्रा यानी पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है.

शहर में बढते प्रदूषण के लिए कई प्रमुख कारण हैं जैसे की घरों से निकलने वाला कचरा खुले स्थानों पर डाल दिया जाता है और फिर कचरे के ढेर में आग लगा दी जाती है. ये आग कई दिनों तक चलती रहती है. जिससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.

undefined

कचरे के ढेर में कई प्रकार के वैस्ट कैमिकल भी होते हैं. जिनसे जहरीली गैसे निलकती है. ऐसे में सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हवा में ही नहीं पानी में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.

फरीदाबाद में ज्यादातार इलाकों में निमार्ण काम चल रहा है. जिस कारण रिहायशी इलाके में भी रेत, मिट्टी के अंबार लगे हुए हैं. आलम ये है कि लोगों ने पैसा कमाने की लालच में प्रशासन की बिना अनुमति के क्रैशर प्लांट तक लगा रखे हैं.

मामले को लेकर जब जिला प्रदूषण नियंत्रण के अधिकारी डॉ जयभगवान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए स्कीम लागू की जा रही है और ऑनलाइन ही इस सब का निपटारा किया जाएगा. उनका कहना था कि करीब 40 कारखाने को नोटिस दिया गया है.

7_3_FBD_POLLUTION HALAT_

FILE ...1.2.3.4.5.6...BY LINK


Download link 
https://we.tl/t-EjuJlbWb3i 


एंकर- फरीदाबाद नगर निगम के अफसरों के दावों के बिल्कुल उलट स्वच्छता रैंकिंग में फरीदाबाद और पिछड़ गया है। इसका मतलब ये हुआ कि शहर में गंदगी और बढ़ गई है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 का रिजल्ट जारी हुआ। पूरे देश में 4237 शहरों के स्वच्छ सर्वे में फरीदाबाद की रैंकिंग 227 है। जबकि पिछले साल शहर की रैंकिंग 4 हजार शहरों में से 217 थी। 

वीओ- 5 हजार में से मिले 2156 नंबर: पूरे देश में 4 जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण का आयोजन किया गया, ये आयोजन 31 जनवरी तक चला। इसमें 4237 शहरों का सर्वे किया गया। फरीदाबाद में भी केंद्र सरकार की टीम सर्वे करने आई। स्वच्छ सर्वेक्षण के मानकों में लोगों का फीडबैक, सर्विस लेवल प्रोग्राम, सर्टिफिकेशन आदि शामिल थे जो कुल 5 हजार अंकों का था। इनमें से केवल 2156 अंक ही फरीदाबाद को मिले।

रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहे:

साल --  कुल शहर  ---रैंकिंग

2015 --  476---   421

2016 ---73 -----51

2017---- 434--- 88

2018 ---4041 --217

2019-- 4237--- 227

पिछड़ने के चार बड़े कारण:

650 टन कूड़ा रोज खुले में:

1: स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण वेस्ट मैनेजमेंट है। इसका काम चीन की ईकोग्रीन कंपनी के पास है। रोज 650 टन कूड़ा शहर से निकलता है और उसके निस्तारण के नाम पर उसको बनवाड़ी प्लांट में डंप कर दिया जाता है।

950 के करीब ने ही दिया फीडबैक:

2: लोगों से सीधा संवाद ही नहीं किया गया। लोगों को पता ही नहीं था कि स्वच्छ सर्वेक्षण चल रहा है। केंद्र की टीम ने लोगों से पूछा लेकिन लोगों ने संतुष्ट जवाब नहीं दिया। इसके अलावा ऑनलाइन फीडबैक देने में भी शहर के लोगों ने कम रूचि दिखाई।

5000 ने ही किया ऐप डाउनलोड:

3: स्वच्छ सर्वेक्षण में स्वच्छता ऐप डाउनलोड कर उसके इस्तेमाल करने को लेकर भी 100 अंक निर्धारित किए गए थे लेकिन 5 हजार लोगों ने ही स्वच्छता ऐप को डाउनलोड किया। इस कारण 100 नंबर कट गए। कम से कम 50 हजार ऐप डाउनलोड होने जरूरी थे।

9000 चाहिए पर हैं 3200 ही कर्मी:

4: सफाई कर्मचारी सही से सफाई नहीं कर रहे। पूरे शहर में सफाई के लिए 9000 के करीब सफाई कर्मी चाहिए लेकिन हैं सिर्फ 3200 ही। लेकिन जो हैं वो भी सही से काम नहीं कर रहे हैं। सर्वेक्षण टीम को मार्केट, बस स्टैंड, सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी के ढेर मिले।

इन कैटेगरी में मिलने थे नंबर:

सर्टिफिकेशन 1250

डॉयरेक्ट ऑब्जर्वेशन 1250

सर्विस लेवल प्रोग्राम 1250

सिटीजन फीडबैक 1250

कुल 5000

वीओ- प्रदूषण के मामले में लगातार फरीदाबाद डेंजर पोजीशन पर बना हुआ है। आंकड़े स्वास्थ्य के हिसाब से काफी खतरनाक हैं। प्रशासन की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा। शहर के लोग भी सहयोग नहीं कर हे हैं। इससे एक बार फिर प्रदूषण का स्तर घटने के बजाय बढ़ गया है।  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी किए गए एयर बुलेटिन में फरीदाबाद सबसे प्रदूषित शहर रहा।  लगातार बढ रहे प्रदूषण की मात्रा (पीएम 2.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में)  है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।  शहर में बढते प्रदूषण के  लिए कई प्रमुख कारण है जैसे की घरों से कचरा  निकालकर खुले स्थानों पर डाल दिया जाता है और सारी हदे उस समय  पार हो जाती है जब उस कचरे के ढेर में आग लगा दी जाती है और  फिर ये आग धीरे धीरे करके कई दिनों तक चलती रहती है। कचरे के ढेर में कई प्रकार के वैस्ट कैमिकल भी होते है । जिनसे जहरीली गैसे निलकती है ऐसे में सांस के मरीजो को सबसे ज्यादा परेशानीयों का सामना करना पडता है। प्रदूषण का असर हवा में ही नही पानी में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। फरीदाबाद में यमुना और उससे  निकलने वाले पानी की तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर पानी में कैमिकलों को जहर घुला हुआ है और इसी खतरनाक पानी से किसान अपनी फसलों की सिंचाई करने को मजबूर है। फरीदाबाद में ज्यादातार इलाके में इमारतो के निमार्ण कार्य चल रहे है जिस कारण रिहायशी इलाके में भी रेत, मिट्टी के अंभार लगे हुए  है। आलम यंहा तक है कि लोगो ने पैसा कमाने की लालच में लोगो ने प्रशासन की बिना अनुमति के कैश्रर प्लांट तक लगा रखे है लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है।  एनजीटी की रोक के बाद भी फरीदाबाद में लगातार निमार्णकार्य चल रहे है।  फरीदाबाद के लोगों ने प्रदूषण से होने वाली परेशानीयों के बारे में बताया कि घर से निकलना उनके लिए मुशकिल हो गया है। घर के अंदर हो या बार चारों तरफ प्रदूषण ही प्रदूषण है।


बाईट-संदीप कुमार, स्थायी निवासी फरीदाबाद, फाइल नं 5

 बाईट- राजकुमार, स्थायी निवासी एंव कर्मचारी फाइल नं   4

वीओ- इस संबंध में जब जिला प्रदूषण नियंत्रण के अधिकारी डॉ जयभगवान से बात की गई तो उनका कहना था कि जल्द ही प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए स्कीम लागू की जा रही है और ऑनलाइन ही इस सब का निपटारा किया जाएगा उनका कहना था कि करीब 40 कारखाना को नोटिस दिया गया है और सड़कों पर भी प्रदूषण फैलता है वही जब उनसे उनके कार्यालय के में फैली हुई गंदगी के बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि यहां पर निगम द्वारा काम किया जा रहा है जिसकी वजह से यह गंदगी है और निगम से टाइप करके इसको जल्द ही साफ करवाया जाएगा।


बाइट। जय भगवान जिला प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी फाइल नं 6

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.