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पर्यटकों को खूब भा रहा है सूरजकुंड मेला, 300 साल पुराना हुक्का कर रहा है लोगों को आकर्षित

सूरजकुंड मेले में बड़ी चौपाल, छोटी चौपाल और अन्य मंचों पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां पर्यटकों का मन मोह रही हैं. चौपाल की शान व सच्चाई के प्रतीक माने जाने वाले आदमकद हुक्के को देखने के लिए देसी विदेशी पर्यटक उमड़ते हैं.

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Published : Feb 6, 2019, 11:21 AM IST

300 साल पुराना कर रहा है लोगों को आकर्षित

फरीदाबाद: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला छठे दिन में प्रवेश कर गया. पर्यटकों का पहुंचना जारी है. यहां बनाई गई बड़ी चौपाल, छोटी चौपाल और अन्य मंचों पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां पर्यटकों का मन मोह रही हैं. चौपाल की शान व सच्चाई के प्रतीक माने जाने वाले आदमकद हुक्के को देखने के लिए देसी विदेशी पर्यटक उमड़ते हैं.

हरियाणा में आपसी भाई चारे का प्रतीक हुक्के को माना जाता गया है. कभी इसी हुक्के पर बैठकर पंचायते बड़े से बड़ा फैसला निपटा दिया करती थी, बहराल सूरजकुंड में लगी हुक्को की दुकान पर अब 300 साल पुराने हुक्के लोगो को देखने को मिल रहे हैं.

जींद के रहने वाले 61 वर्षीय गोपाल राम जांगड़ा बताते हैं कि वो पिछले 150 सालों से हुक्के बनने का काम कर रहे हैं और जो हुक्के उनके पास है हो सकता है. भारत में किसी के पास ना हो. उनके पास आजादी के समय के भी हुक्के मौजूद हैं उन्होंने कहा धीरे धीरे ओके कचरा खत्म होता जा रहा है और बाजार हुक्के इन प्राचीन लोगों का स्थान ले रहे हैं जो ज्ञान उस समय प्राचीन हुक्को पर अपने बुजुर्गों के साथ बैठकर मिलता था तो आज नहीं मिलता.

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सालों से चल रहे मेले में हरियाणा की प्राचीन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है. यहां दशकों पूर्व खेत जोतने के औजार जैसे हल, जुआ, सांटा, मिट्टी के बर्तन, चाक समेत ऐसी चीजें दिख रही हैं, जो लुप्त हैं.

फरीदाबाद: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला छठे दिन में प्रवेश कर गया. पर्यटकों का पहुंचना जारी है. यहां बनाई गई बड़ी चौपाल, छोटी चौपाल और अन्य मंचों पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां पर्यटकों का मन मोह रही हैं. चौपाल की शान व सच्चाई के प्रतीक माने जाने वाले आदमकद हुक्के को देखने के लिए देसी विदेशी पर्यटक उमड़ते हैं.

हरियाणा में आपसी भाई चारे का प्रतीक हुक्के को माना जाता गया है. कभी इसी हुक्के पर बैठकर पंचायते बड़े से बड़ा फैसला निपटा दिया करती थी, बहराल सूरजकुंड में लगी हुक्को की दुकान पर अब 300 साल पुराने हुक्के लोगो को देखने को मिल रहे हैं.

जींद के रहने वाले 61 वर्षीय गोपाल राम जांगड़ा बताते हैं कि वो पिछले 150 सालों से हुक्के बनने का काम कर रहे हैं और जो हुक्के उनके पास है हो सकता है. भारत में किसी के पास ना हो. उनके पास आजादी के समय के भी हुक्के मौजूद हैं उन्होंने कहा धीरे धीरे ओके कचरा खत्म होता जा रहा है और बाजार हुक्के इन प्राचीन लोगों का स्थान ले रहे हैं जो ज्ञान उस समय प्राचीन हुक्को पर अपने बुजुर्गों के साथ बैठकर मिलता था तो आज नहीं मिलता.

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सालों से चल रहे मेले में हरियाणा की प्राचीन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है. यहां दशकों पूर्व खेत जोतने के औजार जैसे हल, जुआ, सांटा, मिट्टी के बर्तन, चाक समेत ऐसी चीजें दिख रही हैं, जो लुप्त हैं.

Intro: सूरजकुंड मेले में लगभग 300 साल पुराने हुक्को की प्रदर्शनी लगाई गई है और सैलानी इन हुक्को को खाफी पसन्द भी कर रहे है


Body:हरियाणा में आपसी भाई चारे का प्रतीक हुक्के को माना जाता गया है कभी इसी हुक्के पर बैठकर पंचायते बड़े से बड़ा फैसला निपटा दिया करती थी, बहराल सूरजकुंड में लगी हुक्को की दुकान पर अब 300 साल पुराने हुक्के लोगो को देखने को मिल रहे है जींद के रहने वाले 61 वर्षीय जोगेन्दर बताते है कि वो पिछले 150 सालो से हुक्के बनने का काम कर रहे है और जो हुक्के उनके पास है हो सकता है भारत मे किसी के पास ना हो ,उनके पास आज़ादी के समय के भी हुक्के मौजूद हैं उन्होंने कहा धीरे धीरे ओके कचरा खत्म होता जा रहा है और बाजार हुक्के इन प्राचीन लोगों का स्थान ले रहे हैं जो ज्ञान उस समय प्राचीन हुक्को पर अपने बुजुर्गों के साथ बैठकर मिलता था तो आज नहीं मिलता

वन टू वन -फ़ाइल 1


Conclusion:300 साल पुरानी सभ्यता को जिंदा रखी हुई है सूरजकुंड में हुक्को की प्रदर्शन
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