फरीदाबाद: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला छठे दिन में प्रवेश कर गया. पर्यटकों का पहुंचना जारी है. यहां बनाई गई बड़ी चौपाल, छोटी चौपाल और अन्य मंचों पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां पर्यटकों का मन मोह रही हैं. चौपाल की शान व सच्चाई के प्रतीक माने जाने वाले आदमकद हुक्के को देखने के लिए देसी विदेशी पर्यटक उमड़ते हैं.
हरियाणा में आपसी भाई चारे का प्रतीक हुक्के को माना जाता गया है. कभी इसी हुक्के पर बैठकर पंचायते बड़े से बड़ा फैसला निपटा दिया करती थी, बहराल सूरजकुंड में लगी हुक्को की दुकान पर अब 300 साल पुराने हुक्के लोगो को देखने को मिल रहे हैं.
जींद के रहने वाले 61 वर्षीय गोपाल राम जांगड़ा बताते हैं कि वो पिछले 150 सालों से हुक्के बनने का काम कर रहे हैं और जो हुक्के उनके पास है हो सकता है. भारत में किसी के पास ना हो. उनके पास आजादी के समय के भी हुक्के मौजूद हैं उन्होंने कहा धीरे धीरे ओके कचरा खत्म होता जा रहा है और बाजार हुक्के इन प्राचीन लोगों का स्थान ले रहे हैं जो ज्ञान उस समय प्राचीन हुक्को पर अपने बुजुर्गों के साथ बैठकर मिलता था तो आज नहीं मिलता.
सालों से चल रहे मेले में हरियाणा की प्राचीन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है. यहां दशकों पूर्व खेत जोतने के औजार जैसे हल, जुआ, सांटा, मिट्टी के बर्तन, चाक समेत ऐसी चीजें दिख रही हैं, जो लुप्त हैं.