चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस नेता डॉक्टर अशोक तंवर सोमवार को आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने जा रहे हैं. अशोक तंवर अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे. सोमवार दोपहर दो बजे अशोक तंवर को दिल्ली के मुख्यमंत्री निवास पर आम आदमी पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी. इस दौरान काफी संख्या में अशोक तंवर के समर्थक दिल्ली पहुंच चुके हैं. बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी दो दिवसीय गुजरात दौरे से दिल्ली लौट चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में डॉक्टर अशोक तंवर के हाथों में ही आम आदमी पार्टी की कमान होगी. बता दें कि अशोक तंवर बीते नवंबर में ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे. उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में टीएमसी में शामिल कराया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी नेताओं में शामिल रहे अशोक तंवर को 2014 में कांग्रेस ने हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनकी नहीं बनी. अशोक तंवर सिरसा से सांसद भी रहे हैं और इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे, लेकिन 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले वह नाराज कांग्रेस से अलग हो गए.
कांग्रेस की हरियाणा इकाई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राहुल गांधी के करीबी रहे अशोक तंवर ने नवंबर 2021 में तृणमूल कांग्रेस (Ashok Tanwar joins TMC) का दामन थामा था. पूर्व सांसद अशोक तंवर को दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पार्टी में शामिल कराया था.
कौन हैं अशोक तंवर: अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. तंवर सिरसा से सांसद भी रहे हैं. सिरसा लोकसभा सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बने थे. 2009 में तंवर ने अपने निकटतम इनेलो के प्रतिद्वंदी डॉ. सीता राम को 35 हजार 499 वोटों से हराया था. 2014 में वो इनेलो के उमीदवार चरणजीत सिंह रोड़ी से चुनाव हार गए. इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए हरियाणा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. साल 2019 में अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट से फिर चुनाव लड़े लेकिन बीजेपी प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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2014 में कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव अशोक तंवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते लड़ा. जिसमें कांग्रेस हरियाणा में तीसरे नंबर की पार्टी रही. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ही हुड्डा गुट तंवर को हटाने में जुट गया था. वहीं उसके बाद नगर निगम चुनाव हो या फिर जींद उपचुनाव इनमें भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का एक भी सांसद जीत दर्ज नहीं कर पाया. खुद अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दिपेंद्र हुड्डा सभी को करारी हार का सामना करना पड़ा.
दरअसल 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही नहीं अशोक तंवर को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी कभी बनी नहीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा ने चुनाव से पहले अशोक तंवर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस पर दबाव बनाकर अशोक तंवर की छुट्टी करा दी.
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