चंडीगढ़: कोरोना के खौफ और राजनीतिक विरोध के बीच आखिरकार इंजीनियरिंग की सबसे बड़ी परीक्षा जेईई की शुरुआत हो चुकी है. चंडीगढ़ में इसके लिए कई सेंटर्स बनाए गए हैं. जहां पर सीमित संख्या में छात्रों को बुलाया जा रहा है. जेईई की परीक्षा को ये कहकर आगे बढ़ाने की मांग की जा रही थी कि परीक्षा केंद्रों पर छात्रों की स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जेईई की परीक्षा देकर आए छात्रों से बात की और जाना कि आखिर परीक्षा को लेकर उनका क्या कहना है और परीक्षा केंद्र में किस तरह के इंतजाम किए गए थे?
जेईई की परीक्षा देकर सेंटर से बाहर आई आकांक्षा ने बताया कि एग्जाम काफी आसान था. उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई, हालांकि एग्जाम देरी से हुआ, लेकिन उन्हें तैयारी करने के लिए थोड़ा ज्यादा वक्त मिल गया. जिससे वो और अच्छी तैयारी कर पाई. परीक्षा केंद्र के अंदर कोरोना को लेकर भी प्रबंध किए गए थे क्लास रूम को संगठित किया गया था. हर बच्चे को मास्क दिया जा रहा था और क्लास रूम में एक बार में एक ही बच्चा बुला कर बैठाया गया और उसके बाद दूसरा बच्चा बुलाया गया, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा सके.
एक अन्य छात्रा रमणीक ने कहा एग्जाम देरी से होने की वजह से उन्हें काफी फायदा मिला. उन्हें 3 महीने का समय ज्यादा मिल गया. जिससे वो अच्छी तैयारी कर पाई, लेकिन ये छात्रों पर निर्भर करता है कि वो ज्यादा मिले समय का किस तरह से उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि गणित का पेपर थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि पेपर बनाने वालों को शायद ये लगा होगा कि बच्चों को तैयारी के लिए ज्यादा समय मिला है, इसलिए एग्जाम को थोड़ा सा मुश्किल किया जा सकता है.
रमणीक ने कहा की कोरोना को लेकर सभी प्रबंध किए गए थे. ज्यादातर बच्चे एग्जाम देने पहुंचे थे. अगर कोरोना की वजह से पेपर लेट होता तो उसका नुकसान बच्चों को ही होता.
ये भी पढ़िए: कोरोना के खौफ में कड़े नियमों के बीच हो रही JEE मेन्स की परीक्षा
वहीं बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी परीक्षा केंद्रों तक पहुंचे थे. उन्होंने कहा की परीक्षा होने से उन्हें भी काफी अच्छा महसूस हो रहा है. परीक्षा को हर हाल में आयोजित कराना जरूरी था. कोविड का खतरा तो है ही, लेकिन उसकी वजह से हम बाकी कामों को नहीं रोक सकते. ये परीक्षा बच्चों के भविष्य के लिए काफी जरूरी थी