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सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की सरकार के साथ बैठक रही बेनतीजा, कई मांगों पर नहीं बनी सहमति

हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों की लंबित मांगों पर बातचीत के लिए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के साथ मंगलवार को बैठक (Sarv karmchari sangh Haryana meeting) की. ये बैठक मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई.

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Published : Dec 14, 2021, 5:02 PM IST

Sarv karmchari sangh Haryana meeting
Sarv karmchari sangh Haryana meeting

चंडीगढ़: सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर के बीच मंगलवार को विभिन्न मांगों को लेकर बैठक (Sarv karmchari sangh Haryana meeting) हुई. ये बैठक करीब 3 घंटे तक चली, लेकिन इन 3 घंटों की बातचीत के बावजूद सर्व कर्मचारी संघ और सरकार के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई. सर्व कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बैठक के बाद कहा कि उन्होंने कर्मचारियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रधान सचिव के साथ बैठक की. जिसमें खासतौर पर रेगुलरइजेशन पॉलिसी और पुरानी पेंशन बहाली के साथ-साथ लिपिक का वेतनमान का मुद्दा भी था.

इसके साथ ही जो पद खाली पड़े हैं उनको भरने, कर्मचारियों का 18 महीने का एरियर जो सरकार ने अभी तक नहीं दिया है, एचआरए का जो सैलेब बदलना है, सर्विस एक्ट को लागू करने से पहले जो पद खाली पड़े हैं उनको भरा नहीं जा रहा है. सारे जन सेवा से जुड़े विभागों का निजीकरण किया जा रहा है. जिन कर्मचारियों की छंटनी हो रही है, पीटीआई हो, ड्राइंग टीचर हैं, ग्रुप डी के कर्मचारी हैं, हेल्थ विभाग के कर्मचारी हैं, और अन्य विभागों के जो कर्मचारी छंटनी का शिकार हो रहे हैं. इन सभी मुद्दों को हमने सरकार के सामने रखा था.

ये भी पढ़ें- सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की सरकार के साथ बैठक, लंबित मांगों पर होगी बातचीत

उन्होंने कहा कि क्योंकि हमारी जो ज्यादातर मांगें हैं नीतिगत मांगें हैं, इन पर सरकार को फैसला करना है, लेकिन किसी भी नीतिगत मांग पर कोई कंक्रीट फैसला नहीं हो सका है. हमने मजबूती के साथ अपना पक्ष रख दिया है और सरकार ने उसे सुना है, लेकिन उस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. कुछ छोटी-छोटी मांगों जैसे डीए की किश्त, उसको लेकर सरकार ने कहा है कि हम उसकी घोषणा कर रहे हैं. सेवानिवृत्त कर्मचारियों का एचआरए रिवाइज किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन में वृद्धि 80 साल की उम्र के बजाए 65, 70, 75 और 80 साल की उम्र में 5-5% की जाए. इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि वे उस पर विचार करेंगे.

रेगुलराइजेशन पॉलिसी को लेकर सरकार का कहना है कि वे उसे नहीं कर सकते, क्योंकि इस मामले में 2014 की पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज की गई है. इस पर हमने सरकार से कहा है कि वह पॉलिसी बना सकती है. पंजाब ने भी बनाई है और हिमाचल में भी बनाई है, और यह सभी के लिए जरूरी है. हमारा सबसे बड़ा मुद्दा छंटनी कर्मचारियों का है और हमने सरकार से कहा है कि जब मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे इनको अर्जेस्ट करेंगे तो इनको फिर एडजस्ट किया जाए. सभी विभागों से करीब 6000 कर्मचारियों को निकाला गया है. यही सारी तमाम बातें उन्होंने सरकार के सामने रखी थी, लेकिन ज्यादातर मुद्दों पर कोई भी ठोस नतीजा नहीं निकल सका.

ये भी पढ़ें- हिसार: सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने निजीकरण के विरोध में किया प्रदर्शन

वहीं भविष्य में इन मुद्दों को लेकर कोई बैठक होगी या नहीं इसके बारे में तो अभी पता नहीं. हालांकि सर्व कर्मचारी संघ की ओर से 12 दिसंबर को प्रदर्शन किए गए थे, और अब आने वाले दिनों में वे अपनी रणनीति तैयार करेंगे और सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे. उन्होंने कहा कि अपनी आगामी बैठक में हम फरवरी में हड़ताल को लेकर फैसला करेंगे.

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चंडीगढ़: सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर के बीच मंगलवार को विभिन्न मांगों को लेकर बैठक (Sarv karmchari sangh Haryana meeting) हुई. ये बैठक करीब 3 घंटे तक चली, लेकिन इन 3 घंटों की बातचीत के बावजूद सर्व कर्मचारी संघ और सरकार के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई. सर्व कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बैठक के बाद कहा कि उन्होंने कर्मचारियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रधान सचिव के साथ बैठक की. जिसमें खासतौर पर रेगुलरइजेशन पॉलिसी और पुरानी पेंशन बहाली के साथ-साथ लिपिक का वेतनमान का मुद्दा भी था.

इसके साथ ही जो पद खाली पड़े हैं उनको भरने, कर्मचारियों का 18 महीने का एरियर जो सरकार ने अभी तक नहीं दिया है, एचआरए का जो सैलेब बदलना है, सर्विस एक्ट को लागू करने से पहले जो पद खाली पड़े हैं उनको भरा नहीं जा रहा है. सारे जन सेवा से जुड़े विभागों का निजीकरण किया जा रहा है. जिन कर्मचारियों की छंटनी हो रही है, पीटीआई हो, ड्राइंग टीचर हैं, ग्रुप डी के कर्मचारी हैं, हेल्थ विभाग के कर्मचारी हैं, और अन्य विभागों के जो कर्मचारी छंटनी का शिकार हो रहे हैं. इन सभी मुद्दों को हमने सरकार के सामने रखा था.

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उन्होंने कहा कि क्योंकि हमारी जो ज्यादातर मांगें हैं नीतिगत मांगें हैं, इन पर सरकार को फैसला करना है, लेकिन किसी भी नीतिगत मांग पर कोई कंक्रीट फैसला नहीं हो सका है. हमने मजबूती के साथ अपना पक्ष रख दिया है और सरकार ने उसे सुना है, लेकिन उस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. कुछ छोटी-छोटी मांगों जैसे डीए की किश्त, उसको लेकर सरकार ने कहा है कि हम उसकी घोषणा कर रहे हैं. सेवानिवृत्त कर्मचारियों का एचआरए रिवाइज किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन में वृद्धि 80 साल की उम्र के बजाए 65, 70, 75 और 80 साल की उम्र में 5-5% की जाए. इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि वे उस पर विचार करेंगे.

रेगुलराइजेशन पॉलिसी को लेकर सरकार का कहना है कि वे उसे नहीं कर सकते, क्योंकि इस मामले में 2014 की पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज की गई है. इस पर हमने सरकार से कहा है कि वह पॉलिसी बना सकती है. पंजाब ने भी बनाई है और हिमाचल में भी बनाई है, और यह सभी के लिए जरूरी है. हमारा सबसे बड़ा मुद्दा छंटनी कर्मचारियों का है और हमने सरकार से कहा है कि जब मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे इनको अर्जेस्ट करेंगे तो इनको फिर एडजस्ट किया जाए. सभी विभागों से करीब 6000 कर्मचारियों को निकाला गया है. यही सारी तमाम बातें उन्होंने सरकार के सामने रखी थी, लेकिन ज्यादातर मुद्दों पर कोई भी ठोस नतीजा नहीं निकल सका.

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वहीं भविष्य में इन मुद्दों को लेकर कोई बैठक होगी या नहीं इसके बारे में तो अभी पता नहीं. हालांकि सर्व कर्मचारी संघ की ओर से 12 दिसंबर को प्रदर्शन किए गए थे, और अब आने वाले दिनों में वे अपनी रणनीति तैयार करेंगे और सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे. उन्होंने कहा कि अपनी आगामी बैठक में हम फरवरी में हड़ताल को लेकर फैसला करेंगे.

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