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इजराइल-हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम भारत के लिए सकारात्मक खबर, बोले पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा

Israel-Hezbollah Ceasefire: पूर्व भारतीय राजनयिक राजीव डोगरा ने इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविरोम समझौते को सकारात्मक कदम बताया है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी ने मध्य पूर्व के घटनाक्रम पर पूर्व राजनयिक डोगरा से खास बातचीत की.

Israel-Hezbollah Ceasefire developments in Middle East Positive For India Ex-diplomat Rajeev Dogra
इजराइल-हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम भारत के लिए सकारात्मक खबर, बोले पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 28, 2024, 10:01 PM IST

नई दिल्ली: अमेरिका की मध्यस्थता में युद्धविराम समझौते से इजराइल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच 13 महीने से चल रहा संघर्ष समाप्त हो गया है. अमेरिका और फ्रांस ने घोषणा की कि यह समझौता लेबनान में हिंसा को रोकेगा तथा इजराइल को हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी समूहों से बचाएगा.

हालांकि, इस युद्धविराम का असर गाजा में इजराइल के मौजूदा सैन्य अभियान पर नहीं पड़ेगा. इजराइली सेना ने कहा है कि इस युद्धविराम से उसे गाजा पर ध्यान केंद्रित करने और हमास के खिलाफ अपने अभियान को बढ़ाने में मदद मिलेगी. मगर सवाल यह है कि यह युद्धविराम कब तक टिका रहेगा? भारत के लिए इसका क्या मतलब है, क्योंकि मध्य पूर्व में भारत के भी अपने हित हैं?

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पूर्व भारतीय राजनयिक राजीव डोगरा ने कहा, "आशा देने वाला है कि हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच ट्रायल पीरियड के लिए युद्धविराम पर सहमति बन गई है. यह घटनाक्रम सकारात्मक कदम है, और बिना किसी उल्लंघन के इसके विस्तार की उम्मीद है. अगर हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम जारी रहता है, तो यह आशाजनक शुरुआत हो सकती है. इसके अलावा, हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई और इजराइल द्वारा कैदियों की रिहाई के संबंध में भी इसी तरह के समाधान की उम्मीद है. इजराइल में शांति की स्थापना, साथ ही इजराइल और मध्य पूर्व में उसके पड़ोसी देशों के बीच शांति की स्थापना, भारत के लिए हमेशा सकारात्मक खबर मानी जाएगी."

डोगरा का कहना है कि इजराइल, हमास, लेबनान और कुछ हद तक ईरान के बीच संघर्ष ने भारत सहित वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं. उन्होंने कहा, भारत के अरब देशों के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं, जबकि इजराइल के साथ भी भारत के मजबूत संबंध हैं. समय के साथ, व्यापार संबंध, जो मुख्य रूप से हीरा उद्योग पर केंद्रित थे, अन्य क्षेत्रों, विशेष रूप से रक्षा में बढ़ गए हैं. हाल ही में, एक भारतीय कंपनी ने इजराइल के हाइफा बंदरगाह में रुचि दिखाई है.

पूर्व भारतीय राजनयिक ने कहा, "विभिन्न दृष्टिकोणों से, ये मजबूत संबंध उल्लेखनीय हैं, विशेष रूप से इजराइली युवाओं और भारत के बीच संबंध. कई युवा इजराइली अपनी सैन्य सेवा पूरी करने के बाद, सेना में अपने गहन अनुभवों के बाद आराम करने और तरोताजा होने के लिए भारत आना पसंद करते हैं. यह बहुआयामी संबंध एक साल से अधिक समय से जारी संघर्ष के बारे में भारत की आशंका को स्पष्ट करता है, जो 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल पर हमले के बाद शुरू हुआ था."

कई विश्लेषकों द्वारा युद्धविराम को भारत के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है, न केवल मध्य पूर्व में व्यापारिक और व्यावसायिक हितों के कारण, जो संघर्ष के बढ़ने से खतरे में पड़ सकते थे, बल्कि इसलिए भी कि इससे एक महत्वपूर्ण परियोजना को दोबारा शुरू करने का अवसर मिलेगा, जो संघर्ष के कारण स्थगित कर दी गई थी.

पिछले वर्ष दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की सबसे प्रभावशाली घोषणाओं में से एक भारत को मध्य पूर्व से जोड़ने के लिए रेल और बंदरगाह नेटवर्क स्थापित करने तथा इस क्षेत्र को यूरोप और अमेरिका से जोड़ने की प्रतिज्ञा थी. इस पहल को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) कहा जाता है. हालांकि इसमें शामिल देशों के नेताओं ने स्पष्ट रूप से चीन का उल्लेख नहीं किया, लेकिन इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए एक स्पष्ट विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. बीआरआई का उद्देश्य व्यापक शिपिंग, रेल और सड़क अवसंरचनाओं के माध्यम से दुनिया को चीन के साथ जोड़ना है.

पूर्व राजदूत राजीव डोगरा ने कहा, "भारत को मध्य पूर्व से होते हुए इजराइल और फिर पश्चिमी यूरोप से जोड़ने की योजना है. हालांकि, अभी भी इस योजना की रूपरेखा पर काम चल रहा है और इसके निर्माण में समय लग सकता है. मार्ग पर संघर्ष इसकी प्रगति को धीमा कर सकता है. हमें इस योजना पर आगे बढ़ने से पहले यह देखना होगा कि मध्य पूर्व में स्थिति कैसी होती है."

उन्होंने बताया कि भारतीय व्यापारियों के इस मार्ग पर पड़ने वाले देशों के साथ पहले से ही मजबूत संबंध हैं. चाहे इस नए मार्ग का निर्माण हो या न हो, व्यापार जारी रहेगा. डोगरा ने कहा, "सऊदी अरब, यूएई और इजराइल के साथ हमारे व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, खासकर यूएई और सऊदी अरब से भारत को माल और तेल आपूर्ति के मामले में. नए मार्ग के बनने से ये संबंध और मजबूत होंगे."

उन्होंने कहा, "चीन और उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के संबंध में, यही उनकी चिंता है. भारत इसमें शामिल हुए बिना बस देखेगा कि यह कैसे आगे बढ़ता है. कुल मिलाकर, युद्धविराम को भारत के लिए सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है. कहीं भी शांति सभी के लिए फायदेमंद है, और इसमें कोई संदेह नहीं है."

उन्होंने ईटीवी भारत से कहा कि संघर्ष के दौरान तेल की कीमतें अस्थिर थीं, तेजी से बढ़ती और फिर थोड़ी गिरती थीं. उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति अनुकूल नहीं है, क्योंकि अनिश्चितता और अप्रत्याशित बाजार निर्यातकों के लिए खराब है. इस अनिश्चितता का मतलब है कि उनके उत्पादों की मांग भी अनिश्चित है. इसलिए, इस क्षेत्र के लिए तनावपूर्ण या संघर्ष में रहने के बजाय शांतिपूर्ण होना बेहतर है."

भारत ने इजराइल और लेबनान के बीच युद्धविराम का स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, "हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है. हमें उम्मीद है कि इन घटनाक्रमों से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी."

यह भी पढ़ें- इजराइल-हिजबुल्लाह युद्ध: किसने-कितनी चुकाई कीमत? जानें

नई दिल्ली: अमेरिका की मध्यस्थता में युद्धविराम समझौते से इजराइल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच 13 महीने से चल रहा संघर्ष समाप्त हो गया है. अमेरिका और फ्रांस ने घोषणा की कि यह समझौता लेबनान में हिंसा को रोकेगा तथा इजराइल को हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी समूहों से बचाएगा.

हालांकि, इस युद्धविराम का असर गाजा में इजराइल के मौजूदा सैन्य अभियान पर नहीं पड़ेगा. इजराइली सेना ने कहा है कि इस युद्धविराम से उसे गाजा पर ध्यान केंद्रित करने और हमास के खिलाफ अपने अभियान को बढ़ाने में मदद मिलेगी. मगर सवाल यह है कि यह युद्धविराम कब तक टिका रहेगा? भारत के लिए इसका क्या मतलब है, क्योंकि मध्य पूर्व में भारत के भी अपने हित हैं?

ईटीवी भारत से खास बातचीत में पूर्व भारतीय राजनयिक राजीव डोगरा ने कहा, "आशा देने वाला है कि हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच ट्रायल पीरियड के लिए युद्धविराम पर सहमति बन गई है. यह घटनाक्रम सकारात्मक कदम है, और बिना किसी उल्लंघन के इसके विस्तार की उम्मीद है. अगर हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम जारी रहता है, तो यह आशाजनक शुरुआत हो सकती है. इसके अलावा, हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई और इजराइल द्वारा कैदियों की रिहाई के संबंध में भी इसी तरह के समाधान की उम्मीद है. इजराइल में शांति की स्थापना, साथ ही इजराइल और मध्य पूर्व में उसके पड़ोसी देशों के बीच शांति की स्थापना, भारत के लिए हमेशा सकारात्मक खबर मानी जाएगी."

डोगरा का कहना है कि इजराइल, हमास, लेबनान और कुछ हद तक ईरान के बीच संघर्ष ने भारत सहित वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं. उन्होंने कहा, भारत के अरब देशों के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं, जबकि इजराइल के साथ भी भारत के मजबूत संबंध हैं. समय के साथ, व्यापार संबंध, जो मुख्य रूप से हीरा उद्योग पर केंद्रित थे, अन्य क्षेत्रों, विशेष रूप से रक्षा में बढ़ गए हैं. हाल ही में, एक भारतीय कंपनी ने इजराइल के हाइफा बंदरगाह में रुचि दिखाई है.

पूर्व भारतीय राजनयिक ने कहा, "विभिन्न दृष्टिकोणों से, ये मजबूत संबंध उल्लेखनीय हैं, विशेष रूप से इजराइली युवाओं और भारत के बीच संबंध. कई युवा इजराइली अपनी सैन्य सेवा पूरी करने के बाद, सेना में अपने गहन अनुभवों के बाद आराम करने और तरोताजा होने के लिए भारत आना पसंद करते हैं. यह बहुआयामी संबंध एक साल से अधिक समय से जारी संघर्ष के बारे में भारत की आशंका को स्पष्ट करता है, जो 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल पर हमले के बाद शुरू हुआ था."

कई विश्लेषकों द्वारा युद्धविराम को भारत के लिए सकारात्मक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है, न केवल मध्य पूर्व में व्यापारिक और व्यावसायिक हितों के कारण, जो संघर्ष के बढ़ने से खतरे में पड़ सकते थे, बल्कि इसलिए भी कि इससे एक महत्वपूर्ण परियोजना को दोबारा शुरू करने का अवसर मिलेगा, जो संघर्ष के कारण स्थगित कर दी गई थी.

पिछले वर्ष दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की सबसे प्रभावशाली घोषणाओं में से एक भारत को मध्य पूर्व से जोड़ने के लिए रेल और बंदरगाह नेटवर्क स्थापित करने तथा इस क्षेत्र को यूरोप और अमेरिका से जोड़ने की प्रतिज्ञा थी. इस पहल को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) कहा जाता है. हालांकि इसमें शामिल देशों के नेताओं ने स्पष्ट रूप से चीन का उल्लेख नहीं किया, लेकिन इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए एक स्पष्ट विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. बीआरआई का उद्देश्य व्यापक शिपिंग, रेल और सड़क अवसंरचनाओं के माध्यम से दुनिया को चीन के साथ जोड़ना है.

पूर्व राजदूत राजीव डोगरा ने कहा, "भारत को मध्य पूर्व से होते हुए इजराइल और फिर पश्चिमी यूरोप से जोड़ने की योजना है. हालांकि, अभी भी इस योजना की रूपरेखा पर काम चल रहा है और इसके निर्माण में समय लग सकता है. मार्ग पर संघर्ष इसकी प्रगति को धीमा कर सकता है. हमें इस योजना पर आगे बढ़ने से पहले यह देखना होगा कि मध्य पूर्व में स्थिति कैसी होती है."

उन्होंने बताया कि भारतीय व्यापारियों के इस मार्ग पर पड़ने वाले देशों के साथ पहले से ही मजबूत संबंध हैं. चाहे इस नए मार्ग का निर्माण हो या न हो, व्यापार जारी रहेगा. डोगरा ने कहा, "सऊदी अरब, यूएई और इजराइल के साथ हमारे व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, खासकर यूएई और सऊदी अरब से भारत को माल और तेल आपूर्ति के मामले में. नए मार्ग के बनने से ये संबंध और मजबूत होंगे."

उन्होंने कहा, "चीन और उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के संबंध में, यही उनकी चिंता है. भारत इसमें शामिल हुए बिना बस देखेगा कि यह कैसे आगे बढ़ता है. कुल मिलाकर, युद्धविराम को भारत के लिए सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है. कहीं भी शांति सभी के लिए फायदेमंद है, और इसमें कोई संदेह नहीं है."

उन्होंने ईटीवी भारत से कहा कि संघर्ष के दौरान तेल की कीमतें अस्थिर थीं, तेजी से बढ़ती और फिर थोड़ी गिरती थीं. उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति अनुकूल नहीं है, क्योंकि अनिश्चितता और अप्रत्याशित बाजार निर्यातकों के लिए खराब है. इस अनिश्चितता का मतलब है कि उनके उत्पादों की मांग भी अनिश्चित है. इसलिए, इस क्षेत्र के लिए तनावपूर्ण या संघर्ष में रहने के बजाय शांतिपूर्ण होना बेहतर है."

भारत ने इजराइल और लेबनान के बीच युद्धविराम का स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, "हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है. हमें उम्मीद है कि इन घटनाक्रमों से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी."

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