नई दिल्ली : संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मंदिर को नष्ट करके मस्जिद का निर्माण किया गया था.
यह मामला शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है. समिति ने अधिवक्ता फुजैल अहमद अयूबी के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. अधिवक्ता अयूबी के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है, "जिस जल्दबाजी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई और एक दिन के भीतर ही सर्वेक्षण किया गया और अचानक दो दिनों के बाद बमुश्किल 6 घंटे के नोटिस पर दूसरा सर्वेक्षण किया गया, उसने व्यापक सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है और देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डाल दिया है."
याचिका में कहा गया है कि मुकदमे पर पूजा स्थल अधिनियम के तहत रोक है और ट्रायल कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को सुने बिना एकतरफा आदेश पारित करके गलती की है. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि मस्जिद एएसआई द्वारा संरक्षित एक प्राचीन स्मारक है.
समिति ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में उसे सर्वोच्च न्यायालय का रुख करने के लिए बाध्य होना पड़ा. पिछले सप्ताह, संभल के एक सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग) ने एक अधिवक्ता आयुक्त द्वारा मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए एकपक्षीय आदेश पारित किया. निचली अदालत के समक्ष वादी ने दावा किया कि चंदौसी में शाही जामा मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में वहां मौजूद एक मंदिर को ध्वस्त करके करवाया था. चंदौसी में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अधिकारियों के पहुंचने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
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