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किसी भी कर्मचारी को बिना जांच के नौकरी से नहीं निकाला जा सकता: HC - punjab haryana highcourt

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ चाहे कितना भी गंभीर आरोप क्यों ना हो उसे बिना जांच के नौकरी से नहीं निकाला जा सकता.

punjab and haryana highcourt
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Published : Jan 28, 2021, 9:18 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ चाहे कितने भी गंभीर आरोप हो उसे बिना किसी जांच की नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार ने ये आदेश हरियाणा के कैथल जिले के एक स्कूल में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर को सरकार द्वारा नौकरी से बर्खास्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

हाईकोर्ट ने सरकार के बर्खास्तगी आदेश को भी रद्द करने का आदेश दिया. टीचर पर छात्राओं का यौन शोषण करने के आरोप में मामला दर्ज था. जिसके बाद हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने 20 फरवरी 2020 को एक आदेश के तहत उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया.

ये भी पढे़ं- हरियाणा के 3 जिलों में 29 जनवरी शाम 5 बजे तक बंद रहेगी मोबाइल इंटरनेट सेवा

सरकार द्वारा बिना जांच की हरियाणा के राज्यपाल के आदेश के तहत तुरंत सेवा को समाप्त करने का फरमान जारी कर दिया गया. हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को रद्द करते हुए साफ कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(बी) के तहत किसी भी कर्मचारी को बिना चार्ज के सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने कहा कि किसी भी कर्मचारी को उचित जांच और सुनवाई का अवसर देखकर सभी तथ्य और कारण का रिकॉर्ड पर लेकर ही कर्मचारी की सेवा पर निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन इस मामले में केवल राज्यपाल के आदेश के तहत सेवा को समाप्त करने का आदेश देकर संवैधानिक तरीके से नजरअंदाज किया गया.

कोर्ट ने कहा कि प्रभावित पक्ष को बगैर सुने एकतरफा आदेश जारी कैसे किया जा सकता है. अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई में आरोपी को जवाब देने का कानूनी हक है. उसे इस तरह का हक दिए बगैर निर्णय लेना उचित नहीं ठहराया जा सकता.

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ चाहे कितने भी गंभीर आरोप हो उसे बिना किसी जांच की नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार ने ये आदेश हरियाणा के कैथल जिले के एक स्कूल में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर को सरकार द्वारा नौकरी से बर्खास्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

हाईकोर्ट ने सरकार के बर्खास्तगी आदेश को भी रद्द करने का आदेश दिया. टीचर पर छात्राओं का यौन शोषण करने के आरोप में मामला दर्ज था. जिसके बाद हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने 20 फरवरी 2020 को एक आदेश के तहत उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया.

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सरकार द्वारा बिना जांच की हरियाणा के राज्यपाल के आदेश के तहत तुरंत सेवा को समाप्त करने का फरमान जारी कर दिया गया. हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को रद्द करते हुए साफ कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(बी) के तहत किसी भी कर्मचारी को बिना चार्ज के सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने कहा कि किसी भी कर्मचारी को उचित जांच और सुनवाई का अवसर देखकर सभी तथ्य और कारण का रिकॉर्ड पर लेकर ही कर्मचारी की सेवा पर निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन इस मामले में केवल राज्यपाल के आदेश के तहत सेवा को समाप्त करने का आदेश देकर संवैधानिक तरीके से नजरअंदाज किया गया.

कोर्ट ने कहा कि प्रभावित पक्ष को बगैर सुने एकतरफा आदेश जारी कैसे किया जा सकता है. अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई में आरोपी को जवाब देने का कानूनी हक है. उसे इस तरह का हक दिए बगैर निर्णय लेना उचित नहीं ठहराया जा सकता.

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