चंडीगढ़: कोरोना कोविड 19 के चलते चंडीगढ़ प्रशासन की इजाजत के बिना फीस बढ़ोतरी नहीं किए जाने के जो आदेश दिए गए थे. उन आदेशों पर अभी तक पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में कोई रोक नहीं लगाई है, ऐसे में वे आदेश प्रभावी हैं और कोई भी निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा ना तो कोई अन्य फीस वसूल सकता है और ना ही बिना इजाजत फीस बढ़ोत्तरी कर सकता है. यह टिप्पणी पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को निजी स्कूलों की याचिका पर सुनवाई करते हुए की है.
गौरतलब है कि निजी स्कूलों की संस्था इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रशासन के 3 जून को उस आदेश को चुनौती दी है. जिसमें प्रशासन ने निजी स्कूलों को बिना इजाजत फीस बढ़ोतरी करने पर रोक लगा दी है. एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उनकी संस्था में शहर के 78 निजी स्कूल है. प्रशासन ने 3 जून को आदेश जारी कर कहा है कि कोई भी निजी स्कूल प्रशासन की इजाजत के बिना स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता और ट्यूशन फीस भी सत्र 2019-2020 में जो थी. वहीं ट्यूशन फीस सत्र 2020-21 में ही रहेगी. इसमें बिना पूर्व इजाजत बढ़ोतरी नहीं की जा सकती.
'अभिभावकों को राहत देने के लिए आदेश पारित किया गया था'
इस याचिका पर हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि कोरोना के चलते लोगों से प्रभावित अभिभावकों को राहत देने के लिए प्रशासन ने फीस बढ़ोतरी नहीं किए जाने के आदेश दिए थे. सरकारी स्कूलों में पहले ही 6 महीनों की फीस माफ की जा चुकी है.
इसलिए निजी स्कूलों को आदेश दिए थे कि वह फीस ना बढ़ाएं और सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल है, लेकिन निजी स्कूल इसे भी चुनौती दे रहे हैं. जबकि यह निजी स्कूल ऐसा कोई भी दस्तावेज नहीं दिखा रहे. जिसमें यह साबित हो जाए कि इन स्कूलों को कितना नुकसान हुआ है और वैसे भी स्कूल शिक्षा प्रदान करने के लिए ही होते हैं.
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