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हरियाणा में कैसे पूरा होगा 'वन नेशन, वन मार्केट' का सपना, कानून के पेंच में फंसे बाहरी राज्यों के किसान

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Published : Sep 30, 2020, 11:11 PM IST

Updated : Oct 1, 2020, 10:33 AM IST

हरियाणा सरकार चाहती है कि पहले हरियाणा की धान मंडियों में बिके उसके बाद यूपी की धान को बेचा जाएगा. ऐसे में किसान अलग-अगल बयानों से दुविधा में है और सरकार की नीतियों को कोस रहे हैं.

problems of neighbor state farmers for paddy procurement in haryana mandi
पीएम का 'एक देश, एक मंडी' का सपना पूरा होने में कितने पेंच?

चंडीगढ़: केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए नए कृषि कानूनों का असर अब धान खरीद प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है. नए कानून के मुताबिक अब किसी भी राज्य का किसान किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकता है, लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि ये बात कहने में जितनी आसान जान पड़ती है वो वास्तविकता में भी उतना ही आसान है? तो इसका जवाब है नहीं.

हरियाणा सरकार ने 27 सितंबर को ऐलान किया कि हरियाणा की मंडियों में नए कानून के मुताबिक एमएसपी पर धान खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नतीजतन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से सैकड़ों किसान अपनी फसल लेकर हरियाणा की तरफ रुख कर चुके हैं, लेकिन अब एक नियम ने पेंच फंसा दिया है, जिससे बाहरी किसान असमंजस में आ गए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि फिलहाल क्यों बाहरी किसानों की हालत 'ना घर के ना घाट के' वाली हो गई है.

पीएम का 'एक देश, एक मंडी' का सपना पूरा होने में कितने पेंच? देखिए रिपोर्ट

ये बाहरी किसानों के लिए गाइडलाइन?

हरियाणा सरकार की नई पॉलिसी के तहत किसान किसी अन्य राज्य में अपनी फसलें बेच तो सकता है, लेकिन उसे एक व्यवस्थित प्रक्रिया का पालन करना होगा. इस गाइडलाइन के अनुसार किसानों सीधा अपनी फसल मंडी में नहीं बेच सकता है. बाहरी किसानों को फसल बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. जिसमें उस किसान को अपना और अपनी फसल की पूरी जानकारी देनी होगी. इस आवेदन के बाद मंडी अलॉट की जाएगी जहां जाकर सरकारी एजेंसियों को अपनी फसल बेच सकेगा.

सरकारी तौर पर ये कहना बहुत आसान है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया काफी जटिल और सुस्त है. करनाल बॉर्डर पर पहुंचे उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि उन्हें खेतों से अपनी फसल उठाए हुए 20 से 25 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक ये नहीं पता कि उनकी फसल बिकेगी भी या नहीं.

फसलों के साथ बॉर्डर पर फंसे किसान

बाकी किसानों की ही तरह करनाल बॉर्डर पहुंचे किसान ध्यान सिंह का कहना है कि 23 तारीख को वो धान लेकर मंडी में पहुंचे हैं, लेकिन उनका अभी तक धान नहीं बिक रहा है. बहुत ज्यादा समस्या आ रही है. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने तो कहा था कि किसान अपनी फसल कहीं भी किसी भी मंडी में बेच सकते हैं, लेकिन उन्हें तो यहां पुलिस तंग कर रही है. उनकी धान की भरी ट्रालियों को सीमा पर ही रोका जा रहा है, जब इसकी वजह पुलिस से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनको यही आदेश जारी हुए हैं कि पहले हरियाणा की धान मंडी में बेची जाएगी उसके बाद यूपी की.

नियमों की अधूरी जानकारी से परेशान आढ़ती

वहीं आढ़तियों ने भी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए. करनाल मंडी में मौजूद आढ़तियों का कहना है कि सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं है. पहले जब माल की एंट्री हो जाती है तो बारदाना नहीं मिलता है, ना ही सिलाई वाला मिलता है. अब सरकार माल ही नहीं दे रही है जिससे पूरी मंडी व्यवस्था बिगड़ गई है. आढ़तियों की मांग है कि जब तक खरीद एजेंसियां राइस मिलरों को साथ लेकर मंडियों में नहीं आएंगी तब तक वे खरीद का कार्य शुरू नहीं करेंगे. वहीं राइस मिलरों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी तब तक वे मंडियों से माल नहीं खरीदेंगे.

'पहले हरियाणा की धान बिकेगी, फिर बाहरी'

ईटीवी भारत की टीम ने मंडी सचिव सुंदर सिंह से भी बात की. उनका कहना है कि जब भी कोई नया कानून बनाया जाता है तो समस्याएं आती हैं. उन्होंने बताया कि यूपी से आ रहे पीआर धान में खरीद की समस्या आ रही है. इसके लिए देरी हो रही है. जो कि एक-दो दिन में ठीक हो जाएगी. वहीं उन्होंने इस बात को भी क्लियर किया कि हरियाणा सरकार यही चाहती है कि पहले हरियाणा की धान मंडियों में बिके उसके बाद यूपी की धान को बेचा जाएगा.

पीआर धान खरीद में क्या समस्या आ रही है?

आपको बता दें कि हरियाणा स्टेट राइस मिलर्स एसोसिएशन के आह्वान पर राइस मिलर्स हड़ताल पर होने की बात कहकर पीआर प्रजाति का धान नहीं खरीद रहे हैं, लेकिन इन्हीं अनाज मंडियों से बारीक धान की जबरदस्त खरीदारी भी कर रहे हैं. यही वजह है कि 1509 धान के भाव में पिछले चार दिनों में तीन 300 से 400 रुपये तक का उछाल आ गया है.

5 अक्टूबर से होगी बाहरी फसल खरीद: सीएम

एक तरफ किसानों को ये जानकारी दी जा रही है कि उनकी फसलों को प्रदेश के स्थानीय किसानों की फसल बिकने के बाद खरीदी जाएगी. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि 5 अक्टूबर के बाद अन्य राज्यों के भी किसानों की फसल खरीदी जाएगी. ऐसे में किसान अलग-अगल बयानों से दुविधा में है और सरकार की नीतियों को कोस रहे हैं.

विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने झाड़ा पल्ला

गौरतलब है कि इससे पहले हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास की तरफ से भी बयान जारी किया गया था. उन्होंने भी पड़ोसी राज्यों से आने वाले किसानों के लिए भी पोर्टल खोलने की बात कही थी, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हरियाणा में हमारी जवाबदेही अपने किसानों को लेकर है. जिसके लिए हमने व्यवस्था तैयार की है. पड़ोसी राज्यों के किसानों की जिम्मेवारी वहां के अफसरों और सरकारों की है.

सीमा पर मायूस किसान, निराशा लगी हाथ

हालांकि ये समझा जा सकता है कि नया कानून बनने पर व्यवस्था में कुछ समस्याएं आती हैं, लेकिन किसान सरकार के उस भरोसे से अपनी फसल खेतों से उठा कर लाया है कि उसका एक-एक दाना खरीदा जाएगा. ऐसे में उन्हें वो भरोसा टूटता हुए महसूस होता है जब सरकार बाहरी किसानों से ये कह कर भेदभाव करती है कि पहले प्रदेश के किसानों की फसल बिकेगी फिर बाहरी किसानों की. क्योंकि प्रदेश के किसानों की खरीद प्रक्रिया कम से कम दो हफ्ते से जल्दी संभव नहीं है.

ये भी पढ़ें:-हरियाणा में इस साल 56 हजार ज्यादा छात्रों ने लिया सरकारी स्कूलों में दाखिला

चंडीगढ़: केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए नए कृषि कानूनों का असर अब धान खरीद प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है. नए कानून के मुताबिक अब किसी भी राज्य का किसान किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकता है, लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि ये बात कहने में जितनी आसान जान पड़ती है वो वास्तविकता में भी उतना ही आसान है? तो इसका जवाब है नहीं.

हरियाणा सरकार ने 27 सितंबर को ऐलान किया कि हरियाणा की मंडियों में नए कानून के मुताबिक एमएसपी पर धान खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नतीजतन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से सैकड़ों किसान अपनी फसल लेकर हरियाणा की तरफ रुख कर चुके हैं, लेकिन अब एक नियम ने पेंच फंसा दिया है, जिससे बाहरी किसान असमंजस में आ गए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि फिलहाल क्यों बाहरी किसानों की हालत 'ना घर के ना घाट के' वाली हो गई है.

पीएम का 'एक देश, एक मंडी' का सपना पूरा होने में कितने पेंच? देखिए रिपोर्ट

ये बाहरी किसानों के लिए गाइडलाइन?

हरियाणा सरकार की नई पॉलिसी के तहत किसान किसी अन्य राज्य में अपनी फसलें बेच तो सकता है, लेकिन उसे एक व्यवस्थित प्रक्रिया का पालन करना होगा. इस गाइडलाइन के अनुसार किसानों सीधा अपनी फसल मंडी में नहीं बेच सकता है. बाहरी किसानों को फसल बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. जिसमें उस किसान को अपना और अपनी फसल की पूरी जानकारी देनी होगी. इस आवेदन के बाद मंडी अलॉट की जाएगी जहां जाकर सरकारी एजेंसियों को अपनी फसल बेच सकेगा.

सरकारी तौर पर ये कहना बहुत आसान है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया काफी जटिल और सुस्त है. करनाल बॉर्डर पर पहुंचे उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि उन्हें खेतों से अपनी फसल उठाए हुए 20 से 25 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक ये नहीं पता कि उनकी फसल बिकेगी भी या नहीं.

फसलों के साथ बॉर्डर पर फंसे किसान

बाकी किसानों की ही तरह करनाल बॉर्डर पहुंचे किसान ध्यान सिंह का कहना है कि 23 तारीख को वो धान लेकर मंडी में पहुंचे हैं, लेकिन उनका अभी तक धान नहीं बिक रहा है. बहुत ज्यादा समस्या आ रही है. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने तो कहा था कि किसान अपनी फसल कहीं भी किसी भी मंडी में बेच सकते हैं, लेकिन उन्हें तो यहां पुलिस तंग कर रही है. उनकी धान की भरी ट्रालियों को सीमा पर ही रोका जा रहा है, जब इसकी वजह पुलिस से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनको यही आदेश जारी हुए हैं कि पहले हरियाणा की धान मंडी में बेची जाएगी उसके बाद यूपी की.

नियमों की अधूरी जानकारी से परेशान आढ़ती

वहीं आढ़तियों ने भी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए. करनाल मंडी में मौजूद आढ़तियों का कहना है कि सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं है. पहले जब माल की एंट्री हो जाती है तो बारदाना नहीं मिलता है, ना ही सिलाई वाला मिलता है. अब सरकार माल ही नहीं दे रही है जिससे पूरी मंडी व्यवस्था बिगड़ गई है. आढ़तियों की मांग है कि जब तक खरीद एजेंसियां राइस मिलरों को साथ लेकर मंडियों में नहीं आएंगी तब तक वे खरीद का कार्य शुरू नहीं करेंगे. वहीं राइस मिलरों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी तब तक वे मंडियों से माल नहीं खरीदेंगे.

'पहले हरियाणा की धान बिकेगी, फिर बाहरी'

ईटीवी भारत की टीम ने मंडी सचिव सुंदर सिंह से भी बात की. उनका कहना है कि जब भी कोई नया कानून बनाया जाता है तो समस्याएं आती हैं. उन्होंने बताया कि यूपी से आ रहे पीआर धान में खरीद की समस्या आ रही है. इसके लिए देरी हो रही है. जो कि एक-दो दिन में ठीक हो जाएगी. वहीं उन्होंने इस बात को भी क्लियर किया कि हरियाणा सरकार यही चाहती है कि पहले हरियाणा की धान मंडियों में बिके उसके बाद यूपी की धान को बेचा जाएगा.

पीआर धान खरीद में क्या समस्या आ रही है?

आपको बता दें कि हरियाणा स्टेट राइस मिलर्स एसोसिएशन के आह्वान पर राइस मिलर्स हड़ताल पर होने की बात कहकर पीआर प्रजाति का धान नहीं खरीद रहे हैं, लेकिन इन्हीं अनाज मंडियों से बारीक धान की जबरदस्त खरीदारी भी कर रहे हैं. यही वजह है कि 1509 धान के भाव में पिछले चार दिनों में तीन 300 से 400 रुपये तक का उछाल आ गया है.

5 अक्टूबर से होगी बाहरी फसल खरीद: सीएम

एक तरफ किसानों को ये जानकारी दी जा रही है कि उनकी फसलों को प्रदेश के स्थानीय किसानों की फसल बिकने के बाद खरीदी जाएगी. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि 5 अक्टूबर के बाद अन्य राज्यों के भी किसानों की फसल खरीदी जाएगी. ऐसे में किसान अलग-अगल बयानों से दुविधा में है और सरकार की नीतियों को कोस रहे हैं.

विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने झाड़ा पल्ला

गौरतलब है कि इससे पहले हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास की तरफ से भी बयान जारी किया गया था. उन्होंने भी पड़ोसी राज्यों से आने वाले किसानों के लिए भी पोर्टल खोलने की बात कही थी, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हरियाणा में हमारी जवाबदेही अपने किसानों को लेकर है. जिसके लिए हमने व्यवस्था तैयार की है. पड़ोसी राज्यों के किसानों की जिम्मेवारी वहां के अफसरों और सरकारों की है.

सीमा पर मायूस किसान, निराशा लगी हाथ

हालांकि ये समझा जा सकता है कि नया कानून बनने पर व्यवस्था में कुछ समस्याएं आती हैं, लेकिन किसान सरकार के उस भरोसे से अपनी फसल खेतों से उठा कर लाया है कि उसका एक-एक दाना खरीदा जाएगा. ऐसे में उन्हें वो भरोसा टूटता हुए महसूस होता है जब सरकार बाहरी किसानों से ये कह कर भेदभाव करती है कि पहले प्रदेश के किसानों की फसल बिकेगी फिर बाहरी किसानों की. क्योंकि प्रदेश के किसानों की खरीद प्रक्रिया कम से कम दो हफ्ते से जल्दी संभव नहीं है.

ये भी पढ़ें:-हरियाणा में इस साल 56 हजार ज्यादा छात्रों ने लिया सरकारी स्कूलों में दाखिला

Last Updated : Oct 1, 2020, 10:33 AM IST
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