चंडीगढ़: प्रशासन ने शहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स लागु किए जाने का फैसला लिया था. इस फैसले के बाद तब विवाद शुरू हुआ जब प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हो गई. शनिवार के दिन याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ का प्रशासक यह नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार रखता है.
प्रशासन ने अपने जवाब में यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत कई योजनाएं और सुविधाएं हासिल करने के लिए प्रशासन को खुद से अपना राजस्व बढ़ाया जाना बेहद जरुरी है. वहीं केंद्र सरकार जो स्मार्ट सिटी बनाने जा रहा है उसमे चंडीगढ़ भी शामिल है, लिहाजा ऐसे में चंडीगढ़ नगर निगम को फंड्स के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स लगाना जरुरी है.
प्रशासन ने हाईकोर्ट से कहा कि यह याचिका शहर के विकास के लिए बाधा है और इस याचिका को तुरंत खारिज किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि याचिका में आरोप लगाया गया है किशहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूले जाने की जो नोटिफिकेशन जारी की है, वो पूरी तरह से अवैध और पंजाब म्युन्सिपल एक्ट-1976 के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है.
याचिका में ये भी कहा गया किचंडीगढ़ नगर निगम जो ये टैक्स वसूलेगा उसके चुने हुए पार्षदों से इस प्रॉपर्टी टैक्स को लागु करने से पहले परामर्श या राय ली जानी चाहिए थी, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने ऐसा नही किया. अब हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 1 मई तक स्थगित कर दी है और सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया.