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प्रॉपर्टी टैक्स के फरमान को HC में चुनौती, 'म्युन्सिपल एक्ट-1976 के प्रावधानों का उल्लंघन'

चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स लागु किए जाने का फरमान दिया था, जिसके बाद से ही विवाद बना हुआ है. इसी फरमान के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि शहर के विकास के लिए टैक्स लगाना जरूरी है.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट. फाइल फोटो
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Published : Mar 9, 2019, 2:12 PM IST

चंडीगढ़: प्रशासन ने शहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स लागु किए जाने का फैसला लिया था. इस फैसले के बाद तब विवाद शुरू हुआ जब प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हो गई. शनिवार के दिन याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ का प्रशासक यह नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार रखता है.

प्रशासन ने अपने जवाब में यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत कई योजनाएं और सुविधाएं हासिल करने के लिए प्रशासन को खुद से अपना राजस्व बढ़ाया जाना बेहद जरुरी है. वहीं केंद्र सरकार जो स्मार्ट सिटी बनाने जा रहा है उसमे चंडीगढ़ भी शामिल है, लिहाजा ऐसे में चंडीगढ़ नगर निगम को फंड्स के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स लगाना जरुरी है.

प्रशासन ने हाईकोर्ट से कहा कि यह याचिका शहर के विकास के लिए बाधा है और इस याचिका को तुरंत खारिज किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि याचिका में आरोप लगाया गया है किशहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूले जाने की जो नोटिफिकेशन जारी की है, वो पूरी तरह से अवैध और पंजाब म्युन्सिपल एक्ट-1976 के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है.

याचिका में ये भी कहा गया किचंडीगढ़ नगर निगम जो ये टैक्स वसूलेगा उसके चुने हुए पार्षदों से इस प्रॉपर्टी टैक्स को लागु करने से पहले परामर्श या राय ली जानी चाहिए थी, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने ऐसा नही किया. अब हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 1 मई तक स्थगित कर दी है और सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया.

चंडीगढ़: प्रशासन ने शहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स लागु किए जाने का फैसला लिया था. इस फैसले के बाद तब विवाद शुरू हुआ जब प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हो गई. शनिवार के दिन याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ का प्रशासक यह नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार रखता है.

प्रशासन ने अपने जवाब में यह भी बताया गया है कि केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत कई योजनाएं और सुविधाएं हासिल करने के लिए प्रशासन को खुद से अपना राजस्व बढ़ाया जाना बेहद जरुरी है. वहीं केंद्र सरकार जो स्मार्ट सिटी बनाने जा रहा है उसमे चंडीगढ़ भी शामिल है, लिहाजा ऐसे में चंडीगढ़ नगर निगम को फंड्स के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स लगाना जरुरी है.

प्रशासन ने हाईकोर्ट से कहा कि यह याचिका शहर के विकास के लिए बाधा है और इस याचिका को तुरंत खारिज किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि याचिका में आरोप लगाया गया है किशहर की रिहायशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूले जाने की जो नोटिफिकेशन जारी की है, वो पूरी तरह से अवैध और पंजाब म्युन्सिपल एक्ट-1976 के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है.

याचिका में ये भी कहा गया किचंडीगढ़ नगर निगम जो ये टैक्स वसूलेगा उसके चुने हुए पार्षदों से इस प्रॉपर्टी टैक्स को लागु करने से पहले परामर्श या राय ली जानी चाहिए थी, लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने ऐसा नही किया. अब हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 1 मई तक स्थगित कर दी है और सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया.

Intro:चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शहर के रिहाइशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स लागु किये जाने के फरमान के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि शहर के विकास के लिए टैक्स लगाना जरूरी हैं।  प्रशासन के जवाब के बाद हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई 1 मई तक स्थगित करते हुए सभी पक्षों को इस मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया।


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प्रशासन ने हाईकोर्ट को बताया कि  चंडीगढ़ का प्रशासक यह नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार रखता है  अगर नगर निगम टैक्स लगाने की पहल नही करता तो  चंडीगढ़ के  प्रशासक प्रॉपर्टी टैक्स लागु करने की नोटिफिकेशन जारी कर सकता है ।  शहर के विकास के लिए प्रॉपर्टी टैक्स लागु किया जाना बेहद जरुरी है । प्रशासन ने अपने जवाब में  यह भी बताया गया है की केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत कई योजनाएं और सुविधाएँ हासिल करने के लिए प्रशासन को खुद से अपना राजस्व बढ़ाया जाना बेहद जरुरी है । वहीँ केंद्र सरकार जो स्मार्ट सिटी बनाने जा रहा है उसमे चंडीगढ़ भी शामिल है। लिहाजा ऐसे में चंडीगढ़ नगर निगम को फंड्स के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स लगाना जरुरी है। प्रशासन ने हाईकोर्ट से कहा कि यह याचिका शहर के विकास के लिए बाधा है अंत इस याचिका को खारिज किया जाए।चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शहर के रिहाइशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स लागु किये जाने के खिलाफ दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि  शहर की रिहाइशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूले जाने की जो नोटिफिकेशन जारी की है वो पूरी तरह से अवैध और पंजाब म्युन्सिपल एक्ट-1976 जो की चंडीगढ़ पर भी लागु होता है के प्रावधानों का उलंघन कर जारी की है।   तय प्रावधानों के तहत अगर प्रशासन शहर के रिहाइशी जमीन और इमारतों पर प्रॉपर्टी टैक्स वसूलना चाहता है तो इसके लिए उसे पहले इस पर आपत्तियां मंगवाई जानी चाहिए थी  चंडीगढ़ नगर निगम जो यह टैक्स वसूलेगा उसके चुने हुए पार्षदों से इस प्रॉपर्टी टैक्स को लागु करने से पहले परामर्श या राय ली जानी चाहिए थी। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने ऐसा नही किया। 




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