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हरियाणा सरकार और सरपंचों के बीच नहीं बनी बात, 17 मार्च को करेंगे विधानसभा का घेराव

हरियाणा में सरपंचों का विरोध लगातार जारी (Sarpanch protest in Haryana) है. राज्य सरकार सरपंचों में पैठ बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. वहीं आज हरियाणा सरकार की ओर से सरपंचों को बातचीत के लिए बुलाया गया था, लेकिन दोनों में फिर से सहमति नहीं बन पाई. अब 17 मार्च को सरपंच विधानसभा का घेराव करेंगे.

Sarpanch protest in Haryana
Sarpanch protest in Haryana
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Published : Mar 14, 2023, 7:56 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से पंचायतों के लिए शुरू के लिए ई टेंडरिंग का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. विवाद को खत्म करने के लिए मंगलवार को हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारियों को चंडीगढ़ बुलाया गया था. उनकी अधिकारियों के साथ तो बातचीत हुई लेकिन मुख्यमंत्री से उनकी कोई बातचीत नहीं हो पाई. मंगलवार को सरपंच सुबह करीब 11 बजे हरियाणा एमएलए हॉस्टल में सरकार से बातचीत के लिए पहुंचे थे. इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से इस मामले में सरपंचों के साथ बातचीत करने के लिए पब्लिसिटी सेल के चेयरमैन तरुण भंडारी भी पहुंचे.

इसके साथ ही आईजी ओपी नरवाल ने भी सरपंचों के साथ बातचीत की. थोड़ी देर हुई इस बातचीत के बाद दोनों अधिकारी मौके से चले गए. इसके बाद शाम तक सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी हरियाणा एमएलए हॉस्टल में आपसी मंत्रणा करते रहे. वे सरकार की ओर से किसी जवाब के इंतजार में बैठे रहे. लेकिन उनको सरकार की तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला. बाबा की दिनभर मसले का हल खत्म होने की उम्मीद करते रहे. इसके बाद देर शाम सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष रणबीर सिंह समैन ने कहा कि सरकार हमारी कोई भी मांग मानने को तैयार नहीं है और हमारे आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा कि हमारे साथियों को बरगलाने की कोशिश हो रही है. उनका कहना है कि हम सभी एक हैं और हम सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे. उनका कहना है कि सरकार की कोशिश है कि जो 17 तारीख को विधानसभा का घेराव का कार्यक्रम है. उसको किसी तरीके से कमजोर किया जाए. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा है कि पहले भी 2 दिन सरकार ने इसी तरह साथ हमें चंडीगढ़ में बैठा रखा है. आज भी यही मंशा सरकार की थी. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी मंशा में कामयाब नहीं होगी. हमारा आंदोलन अभी भी जारी है और 17 तारीख को हम लाखों की संख्या में विधानसभा का घेराव करने के लिए चंडीगढ़ आएंगे.

वहीं मीडिया से बात करते हुए हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारियों की ओर से उन्हें चंडीगढ़ में आज बातचीत के लिए बुलाया गया था. इसके तहत मुख्यमंत्री के साथ बैठकर बातचीत करने को कहा गया था. उनका कहना है कि सरकार द्वारा जिस तरीके का व्यवहार किया गया, वह किसी भी तरीके से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब हम 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे. उनका कहना है कि हम पहले भी कह रहे थे और अभी भी कह रहे हैं कि हम वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं. लेकिन सरकार जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने को तैयार नहीं है. उन्हें ललकारा जा रहा है. उनका कहना है कि हमारी केवल ई टेंडरिंग को लेकर लड़ाई नहीं है हम सभी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं.

यह भी पढ़ें-राहुल गांधी के बयान पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सफाई, बोले- ध्यान भटकाने के लिए BJP बना

उन्होंने कहा कि जो हमारी पिछली बैठक में सरकार की ओर से सहमति बनी थी हम उस पर सहमत हो जाएं. उन्होंने कहा कि हमने अधिकारियों को बताया कि हमारी इन बातों को लेकर कोई भी सहमति नहीं बनी थी. इसलिए हमने विधानसभा के घेराव का ऐलान किया था. हम सरकार द्वारा जिन बिंदुओं पर सहमति जताई जा रही है, हम उसके लिए सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि ग्राम सभाओं ने सरकार को प्रस्ताव भी दे रखे हैं, उन पर अभी तक कोई भी काम नहीं हुआ है.

सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी अपनी 16 मांगों को लेकर अडिग हैं. इससे कम पर वे मानने के लिए तैयार नहीं हैं. एसोसिएशन के प्रवक्ता का कहना है कि हरियाणा सरकार ई-टेंडरिंग में 2 लाख की जगह 5 लाख करने को तैयार है. लेकिन इससे ग्रामीण विकास संभव नहीं है. हालांकि सरपंच 50 लाख से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि सरकार की ओर से सरपंचों को 5 लाख के पांच काम साल में करने की अनुमति दी जा रही है. यानी सरपंच 25 लाख के काम साल में करवा सकेंगे, लेकिन सरपंच 50 लाख से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें-हरियाणा में ई टेंडरिंग व्यवस्था किसी भी सूरत में नहीं होगी वापस- परिवहन मंत्री

वहीं जानकारी के मुताबिक सरकार सरपंच के वेतन को 5000 प्रतिमाह करने पर भी तैयार हैं, लेकिन सरपंच इसके लिए भी राजी नहीं हो रहे हैं, जबकि वे अपनी 16 की 16 मांगे मनवाने पर अड़े हुए हैं. ऐसी भी खबरें हैं कि हरियाणा सरपंच एसोसिएशन भी सरकार द्वारा जिन मुद्दों पर सहमति जताई गई है, उस पर दो धड़ों में बंट चुकी है, लेकिन सरपंच एसोसिएशन ऐसी किसी भी बात से इंकार कर रही है. बता दें कि सरपंच एसोसिएशन की ओर से 17 मार्च को विधानसभा के घेराव का कार्यक्रम बनाया गया है, जिसको देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि शायद सरकार भी इस मसले का 17 मार्च से पहले निपटारा करना चाहती है, हालांकि सरपंच एसोसिएशन अपनी 16 की 16 मांगों पर अभी भी डटी हुई है.

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से पंचायतों के लिए शुरू के लिए ई टेंडरिंग का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. विवाद को खत्म करने के लिए मंगलवार को हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारियों को चंडीगढ़ बुलाया गया था. उनकी अधिकारियों के साथ तो बातचीत हुई लेकिन मुख्यमंत्री से उनकी कोई बातचीत नहीं हो पाई. मंगलवार को सरपंच सुबह करीब 11 बजे हरियाणा एमएलए हॉस्टल में सरकार से बातचीत के लिए पहुंचे थे. इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से इस मामले में सरपंचों के साथ बातचीत करने के लिए पब्लिसिटी सेल के चेयरमैन तरुण भंडारी भी पहुंचे.

इसके साथ ही आईजी ओपी नरवाल ने भी सरपंचों के साथ बातचीत की. थोड़ी देर हुई इस बातचीत के बाद दोनों अधिकारी मौके से चले गए. इसके बाद शाम तक सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी हरियाणा एमएलए हॉस्टल में आपसी मंत्रणा करते रहे. वे सरकार की ओर से किसी जवाब के इंतजार में बैठे रहे. लेकिन उनको सरकार की तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला. बाबा की दिनभर मसले का हल खत्म होने की उम्मीद करते रहे. इसके बाद देर शाम सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष रणबीर सिंह समैन ने कहा कि सरकार हमारी कोई भी मांग मानने को तैयार नहीं है और हमारे आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा कि हमारे साथियों को बरगलाने की कोशिश हो रही है. उनका कहना है कि हम सभी एक हैं और हम सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे. उनका कहना है कि सरकार की कोशिश है कि जो 17 तारीख को विधानसभा का घेराव का कार्यक्रम है. उसको किसी तरीके से कमजोर किया जाए. हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा है कि पहले भी 2 दिन सरकार ने इसी तरह साथ हमें चंडीगढ़ में बैठा रखा है. आज भी यही मंशा सरकार की थी. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी मंशा में कामयाब नहीं होगी. हमारा आंदोलन अभी भी जारी है और 17 तारीख को हम लाखों की संख्या में विधानसभा का घेराव करने के लिए चंडीगढ़ आएंगे.

वहीं मीडिया से बात करते हुए हरियाणा सरपंच एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारियों की ओर से उन्हें चंडीगढ़ में आज बातचीत के लिए बुलाया गया था. इसके तहत मुख्यमंत्री के साथ बैठकर बातचीत करने को कहा गया था. उनका कहना है कि सरकार द्वारा जिस तरीके का व्यवहार किया गया, वह किसी भी तरीके से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब हम 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे. उनका कहना है कि हम पहले भी कह रहे थे और अभी भी कह रहे हैं कि हम वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं. लेकिन सरकार जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने को तैयार नहीं है. उन्हें ललकारा जा रहा है. उनका कहना है कि हमारी केवल ई टेंडरिंग को लेकर लड़ाई नहीं है हम सभी मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि जो हमारी पिछली बैठक में सरकार की ओर से सहमति बनी थी हम उस पर सहमत हो जाएं. उन्होंने कहा कि हमने अधिकारियों को बताया कि हमारी इन बातों को लेकर कोई भी सहमति नहीं बनी थी. इसलिए हमने विधानसभा के घेराव का ऐलान किया था. हम सरकार द्वारा जिन बिंदुओं पर सहमति जताई जा रही है, हम उसके लिए सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि ग्राम सभाओं ने सरकार को प्रस्ताव भी दे रखे हैं, उन पर अभी तक कोई भी काम नहीं हुआ है.

सरपंच एसोसिएशन के पदाधिकारी अपनी 16 मांगों को लेकर अडिग हैं. इससे कम पर वे मानने के लिए तैयार नहीं हैं. एसोसिएशन के प्रवक्ता का कहना है कि हरियाणा सरकार ई-टेंडरिंग में 2 लाख की जगह 5 लाख करने को तैयार है. लेकिन इससे ग्रामीण विकास संभव नहीं है. हालांकि सरपंच 50 लाख से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि सरकार की ओर से सरपंचों को 5 लाख के पांच काम साल में करने की अनुमति दी जा रही है. यानी सरपंच 25 लाख के काम साल में करवा सकेंगे, लेकिन सरपंच 50 लाख से कम पर राजी नहीं हो रहे हैं.

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वहीं जानकारी के मुताबिक सरकार सरपंच के वेतन को 5000 प्रतिमाह करने पर भी तैयार हैं, लेकिन सरपंच इसके लिए भी राजी नहीं हो रहे हैं, जबकि वे अपनी 16 की 16 मांगे मनवाने पर अड़े हुए हैं. ऐसी भी खबरें हैं कि हरियाणा सरपंच एसोसिएशन भी सरकार द्वारा जिन मुद्दों पर सहमति जताई गई है, उस पर दो धड़ों में बंट चुकी है, लेकिन सरपंच एसोसिएशन ऐसी किसी भी बात से इंकार कर रही है. बता दें कि सरपंच एसोसिएशन की ओर से 17 मार्च को विधानसभा के घेराव का कार्यक्रम बनाया गया है, जिसको देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि शायद सरकार भी इस मसले का 17 मार्च से पहले निपटारा करना चाहती है, हालांकि सरपंच एसोसिएशन अपनी 16 की 16 मांगों पर अभी भी डटी हुई है.

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