चंडीगढ़ः कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 20 दिनों से लॉकडाउन है. जिसके चलते पूरा देश थम सा गया है और इसका सीधा असर गरीब तबके पर दिखाई दे रहा है. वहीं चंडीगढ़ में प्रशासन के दावे भी हर मोर्चे पर फेल दिखाई दे रहे हैं.
मजदूरों को सुविधाएं मुहैया नहीं करा रहा प्रशासन !
लॉकडाउन के चलते जो प्रवासी मजदूर चंडीगढ़ में फंस गए हैं, प्रशासन ने उन्हें शेल्टर होम और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही थी. लेकिन अब चंडीगढ़ प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को दो वक्त की रोटी और दूसरी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाने में असमर्थ दिखाई दे रहा है.
ईटीवी भारत ने लिया हालात का जायजा
ऐसे में ईटीवी भारत की टीम प्रवासी मजदूरों की परेशानियों को जानने के लिए सड़कों पर निकली तो पता चला कि इनमें से कई लोग दुकानों और शोरूम के पास खड़े रहकर रिक्शे और ठेले चलाने का काम करते थे. ताकि दुकानों से सामान को ग्राहकों के ठिकानों तक पहुंचा सकें. लेकिन अब लॉकडाउन में उन्हें ना तो काम मिल रहा है और ना ये अपने घर लौट पा रहे हैं.
मजदूरों को खाने के भी लाले पड़े हैं. इनमें से कई मजदूरों के साथ उनके बच्चे भी हैं, जो यहां स्कूलों में पढ़ते थे. अब इन मजदूरों के साथ-साथ उनके बच्चों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब जायजा लेने के लिए निकली थी, तब मजदूरों के बच्चे थाली लिए खाने के इंतजार में खड़े दिखाई भी दिए.
भूखे पेट दुकानों के बरामदे में कर रहे गुजारा
मजदूरों से रात में उनके सोने की व्यवस्था के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वो लोग इन दुकानों और शोरूम आदि के आगे बने बरामदों में ही सो जाते हैं, शेल्टर होम में इस गर्मी के समय में सोना मुश्किल है.
खाने की व्यवस्था पर पूछे गए सवाल पर मजदूरों का कहना था कि प्रशासन अगर खाना दे देता है तो खा लेते हैं या फिर कोई राशन आदि दे जाता है तो खाना पका लेते हैं, नहीं तो भूखे ही सो जाते हैं. अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर यह लॉकडाउन इसी तरह चलता रहा तो क्या इन प्रवासी मजदूरों का जीवन और दयनीय स्थिति में तो नहीं पहुंच जाएगा.
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