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लॉकडाउनः चंडीगढ़ में बदहाल प्रवासी मजदूर, सुविधाएं नहीं दे पा रहा प्रशासन !

लॉकडाउन की घोषणा के वक्त चंडीगढ़ प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम और दूसरी सुविधाओं का इंतजाम करने का दावा किया था. लेकिन जब ईटीवी भारत ने रात के वक्त मजदूरों की हालात का जायजा लिया तो प्रशासन के दावों की पोल खुल गई. पढ़िए पूरी खबर...

Lockdown: migrant laborers are faceing problem in Chandigarh, administration is not able to provide facilities
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Published : Apr 19, 2020, 8:40 PM IST

Updated : Apr 20, 2020, 8:47 PM IST

चंडीगढ़ः कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 20 दिनों से लॉकडाउन है. जिसके चलते पूरा देश थम सा गया है और इसका सीधा असर गरीब तबके पर दिखाई दे रहा है. वहीं चंडीगढ़ में प्रशासन के दावे भी हर मोर्चे पर फेल दिखाई दे रहे हैं.

मजदूरों को सुविधाएं मुहैया नहीं करा रहा प्रशासन !

लॉकडाउन के चलते जो प्रवासी मजदूर चंडीगढ़ में फंस गए हैं, प्रशासन ने उन्हें शेल्टर होम और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही थी. लेकिन अब चंडीगढ़ प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को दो वक्त की रोटी और दूसरी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाने में असमर्थ दिखाई दे रहा है.

लॉकडाउनः चंडीगढ़ में बदहाल प्रवासी मजदूर, सुविधाएं नहीं दे पा रहा प्रशासन !

ईटीवी भारत ने लिया हालात का जायजा

ऐसे में ईटीवी भारत की टीम प्रवासी मजदूरों की परेशानियों को जानने के लिए सड़कों पर निकली तो पता चला कि इनमें से कई लोग दुकानों और शोरूम के पास खड़े रहकर रिक्शे और ठेले चलाने का काम करते थे. ताकि दुकानों से सामान को ग्राहकों के ठिकानों तक पहुंचा सकें. लेकिन अब लॉकडाउन में उन्हें ना तो काम मिल रहा है और ना ये अपने घर लौट पा रहे हैं.

मजदूरों को खाने के भी लाले पड़े हैं. इनमें से कई मजदूरों के साथ उनके बच्चे भी हैं, जो यहां स्कूलों में पढ़ते थे. अब इन मजदूरों के साथ-साथ उनके बच्चों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब जायजा लेने के लिए निकली थी, तब मजदूरों के बच्चे थाली लिए खाने के इंतजार में खड़े दिखाई भी दिए.

भूखे पेट दुकानों के बरामदे में कर रहे गुजारा

मजदूरों से रात में उनके सोने की व्यवस्था के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वो लोग इन दुकानों और शोरूम आदि के आगे बने बरामदों में ही सो जाते हैं, शेल्टर होम में इस गर्मी के समय में सोना मुश्किल है.

खाने की व्यवस्था पर पूछे गए सवाल पर मजदूरों का कहना था कि प्रशासन अगर खाना दे देता है तो खा लेते हैं या फिर कोई राशन आदि दे जाता है तो खाना पका लेते हैं, नहीं तो भूखे ही सो जाते हैं. अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर यह लॉकडाउन इसी तरह चलता रहा तो क्या इन प्रवासी मजदूरों का जीवन और दयनीय स्थिति में तो नहीं पहुंच जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- गुरुग्राम: आर्थिक तंगी से परेशान युवक ने किया सुसाइड, खाने के लिए नहीं थे पैसे

चंडीगढ़ः कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 20 दिनों से लॉकडाउन है. जिसके चलते पूरा देश थम सा गया है और इसका सीधा असर गरीब तबके पर दिखाई दे रहा है. वहीं चंडीगढ़ में प्रशासन के दावे भी हर मोर्चे पर फेल दिखाई दे रहे हैं.

मजदूरों को सुविधाएं मुहैया नहीं करा रहा प्रशासन !

लॉकडाउन के चलते जो प्रवासी मजदूर चंडीगढ़ में फंस गए हैं, प्रशासन ने उन्हें शेल्टर होम और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही थी. लेकिन अब चंडीगढ़ प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को दो वक्त की रोटी और दूसरी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाने में असमर्थ दिखाई दे रहा है.

लॉकडाउनः चंडीगढ़ में बदहाल प्रवासी मजदूर, सुविधाएं नहीं दे पा रहा प्रशासन !

ईटीवी भारत ने लिया हालात का जायजा

ऐसे में ईटीवी भारत की टीम प्रवासी मजदूरों की परेशानियों को जानने के लिए सड़कों पर निकली तो पता चला कि इनमें से कई लोग दुकानों और शोरूम के पास खड़े रहकर रिक्शे और ठेले चलाने का काम करते थे. ताकि दुकानों से सामान को ग्राहकों के ठिकानों तक पहुंचा सकें. लेकिन अब लॉकडाउन में उन्हें ना तो काम मिल रहा है और ना ये अपने घर लौट पा रहे हैं.

मजदूरों को खाने के भी लाले पड़े हैं. इनमें से कई मजदूरों के साथ उनके बच्चे भी हैं, जो यहां स्कूलों में पढ़ते थे. अब इन मजदूरों के साथ-साथ उनके बच्चों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब जायजा लेने के लिए निकली थी, तब मजदूरों के बच्चे थाली लिए खाने के इंतजार में खड़े दिखाई भी दिए.

भूखे पेट दुकानों के बरामदे में कर रहे गुजारा

मजदूरों से रात में उनके सोने की व्यवस्था के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वो लोग इन दुकानों और शोरूम आदि के आगे बने बरामदों में ही सो जाते हैं, शेल्टर होम में इस गर्मी के समय में सोना मुश्किल है.

खाने की व्यवस्था पर पूछे गए सवाल पर मजदूरों का कहना था कि प्रशासन अगर खाना दे देता है तो खा लेते हैं या फिर कोई राशन आदि दे जाता है तो खाना पका लेते हैं, नहीं तो भूखे ही सो जाते हैं. अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर यह लॉकडाउन इसी तरह चलता रहा तो क्या इन प्रवासी मजदूरों का जीवन और दयनीय स्थिति में तो नहीं पहुंच जाएगा.

ये भी पढ़ेंः- गुरुग्राम: आर्थिक तंगी से परेशान युवक ने किया सुसाइड, खाने के लिए नहीं थे पैसे

Last Updated : Apr 20, 2020, 8:47 PM IST
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