चंडीगढ़: हादसे में दिव्यांग होने वाले मरीजों के लिए चंडीगढ़ पीजीआइ वरदान साबित होगा. पीजीआइ में सोमवार को एंप्यूटी क्लीनिक की शुरुआत की गई. दावा है कि ये देश का पहला ऐसा क्लीनिक है. जहां एक ही छत के नीचे अलग-अलग विभाग के डॉक्टर दिव्यांग मरीजों का इलाज करेंगे.
ये क्लीनिक उन लोगों की मदद करेगा जो किसी हादसे या बीमारी के चलते अपने शरीर का कोई अंग गंवा बैठते हैं. ऐसे लोगों को ठीक होने में काफी वक्त लग जाता है. बहुत से लोग लंबे समय तक सामान्य जिंदगी में वापस नहीं लौट पाते, ये क्लीनिक ऐसे ही लोगों की सहायता करने के लिए बनाया गया है.
- एंप्यूटी क्लीनिक में मरीजों का शारीरिक और मानसिक तौर पर इलाज होगा
- मरीजों को बताया जाएगा कि उन्हें कहां से क्या सहायता मिल सकती है
- गरीब मरीजों का निशुल्क इलाज किया जाएगा
- कृत्रिम अंग की जरूरत पड़ने की स्थिती में PGI अपने फंड में से खर्चा उठाएगा
पीजीआई के प्रोफेसर एमएस ढिल्लो ने बताया कि देश में हर साल लाखों लोग अपने शरीर का कोई अंग गंवा बैठते हैं. जिसके कई कारण हो सकते हैं. कई लोग किसी दुर्घटना में अपना अंग गंवा बैठते हैं, जबकि कई लोगों को किसी बीमारी की वजह से अपना अंग कटवाना पड़ता है.
उन्होंने बताया कि पीजीआई में भी लगभग प्रतिदिन एक या दो मामले ऐसे आते हैं. पीजीआई में या अन्य अस्पतालों में इस तरह के लोगों का इलाज कर दिया जाता है. अगर किसी व्यक्ति में अंग बचाने की गुंजाइश हो तो डॉक्टर्स उसके अंग को बचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार उनको नहीं बचाया जा सकता और उसे काटना पड़ता है. हालांकि शारीरिक तौर पर व्यक्ति के घाव भर जाते हैं, लेकिन वो मानसिक तौर पर इससे उबर नहीं पाता.
शुरुआती दिनों में अंग कटने के बाद भी वो यही महसूस करता है कि उसका अंग अभी भी शरीर से जुड़ा हुआ है. कई बार वो बहुत से काम करने में खुद को अक्षम महसूस करता है. जिस वजह से वो घोर निराशा का शिकार हो जाता है. कई बार लोग आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं.
एंप्यूटी क्लीनिक से मिलेगी हर संभव मदद
पीजीआई में खोला गया एंप्यूटी क्लीनिक ऐसे ही लोगों की पूरी मदद करेगा. जब कोई मरीज यहां लाया जाएगा तो उसके इलाज से लेकर उसके फिर से वापस सामान्य जिंदगी में लौटने तक क्लीनिक उसकी मदद करेगा. इसके लिए एक टीम बनाई गई है, जिसमें कई विभागों को जोड़ा गया है. इसमें मरीज का ऑपरेशन करने, उसका इलाज करने, उसकी देखभाल करने और उसे मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए डॉक्टर्स को लगाया गया है.
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वहीं डॉक्टर अनीश ने बताया कि चोट से उबरने के बाद व्यक्ति मानसिक तौर पर काफी कमजोर हो जाता है. उसे लगता है कि उसकी जिंदगी खत्म हो चुकी है. अब वो कभी कुछ नहीं कर पाएगा. कई मामलों में इस तरह के मरीजों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठाए हैं, इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि उसे मानसिक तौर पर फिर से मजबूत बनाया जाए. ऐसे में मरीज को साइक्लोजिकल तौर पर भी इलाज दिया जाता है.