चंडीगढ़: भारतीय बॉक्सिंग टीम के पूर्व कोच शिव सिंह को लाइफटाइम अचीवमेंट द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए चुना गया है. शिव सिंह के कोच रहने के दौरान भारतीय बॉक्सिंग टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. साल 2008 में विजेंद्र सिंह ने बॉक्सिंग में ओलंपिक पदक जीता. इसके बाद भारतीय बॉक्सिंग टीम ने कॉमनवेल्थ में कई पदक जीते और भारतीय महिला बॉक्सिंग टीम ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया. इस दौरान शिव सिंह ने ही भारतीय खिलाड़ियों को बॉक्सिंग के गुर सिखाए थे.
शिव सिंह ने भारतीय बॉक्सिंग को दिए 38 साल
ईटीवी भारत से खास बातचीत में शिव सिंह ने कहा कि उन्होंने कोच के तौर पर अपना करियर साल 1980 में शुरू किया था. साल 1996 में वो कोचिंग के एडवांस कोर्स के लिए जर्मनी चले गए थे. वहां से वापस आने के बाद उन्होंने सब जूनियर टीम को कोचिंग देना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने जूनियर टीम और फिर भारतीय पुरुष बॉक्सिंग टीम को कोचिंग देना शुरू किया.
साल 2001 से साल 2010 तक में भारतीय पुरुष टीम के साथ जुड़े रहे. इसके बाद उन्होंने सब जूनियर महिला टीम को कोचिंग दी. उससे पहले इस टीम की कोई पहचान नहीं थी, लेकिन बाद में इसी टीम ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में तीन गोल्ड और 2 सिल्वर पदक जीतकर सभी को हैरान कर दिया था. इसके बाद उन्होंने महिला एलिट टीम को भी कोचिंग दी, तब एशियन गेम में भारत ने 6 पदक जीते. इस तरह उन्होंने अपने जिंदगी के करीब 38 साल भारतीय खिलाड़ियों को कोचिंग देने में लगा दिए. जिसमें से 25 साल उन्होंने राष्ट्रीय टीम के साथ बिताए.
'विदेशी खिलाड़ियों पर भारतीय खिलाड़ी पड़े भारी'
उन्होंने कहा कि आज भारतीय बॉक्सिंग टीम की पूरी दुनिया में एक नई पहचान बन चुकी है, लेकिन हमने वो समय भी देखा है जब विदेशी खिलाड़ी हमारे खिलाड़ियों का मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि आज हमारा मैच भारतीय खिलाड़ियों के साथ है, इसलिए हम आराम से जीत जाएंगे, लेकिन उसके बाद विजेंद्र सिंह ने ओलंपिक में पदक जीता, कॉमनवेल्थ में हमने पदक जीते, मैरीकॉम ने विश्व चैंपियनशिप में पदक जीते तो अब दूसरे देशों के खिलाड़ी भारतीय खिलाड़ियों को सामने देखकर ये समझ जाते हैं कि मुकाबला आसान नहीं होगा.
'विजेंद्र जमीन से जुड़े खिलाड़ी हैं'
विजेंद्र और अपने साथ के बारे में बात करते हुए शिव सिंह ने कहा कि उन्हें याद है जब विजेंद्र के पिता विजेंद्र को नेशनल कैंप में छोड़ने के लिए आए थे. विजेंद्र की उम्र काफी कम थी और उन्होंने अपने पिता की उंगली पकड़ रखी थी. विजेंद्र को कुछ दिन कोचिंग देने के बाद ही मैं समझ गया था की है खिलाड़ी बहुत आगे तक जाएगा और आगे चलकर उसने ओलंपिक पदक पर कब्जा किया. विजेंद्र काफी अनुशासनात्मक और जमीन से जुड़े खिलाड़ी रहे हैं और उनकी सफलता का यही राज है.
'मैरी कॉम दूसरे खिलाड़ियों को प्रेरित करती हैं'
शिव सिंह ने विश्व चैंपियन मैरी कॉम को भी कोचिंग दी है. मैरी कॉम के बारे में उन्होंने कहा कि मैरी कॉम बहुत शांत स्वभाव की खिलाड़ी हैं. वो हमेशा अनुशासन में रहकर ही खेलती हैं और कोचिंग लेती हैं. इस समय मैरी कॉम भारतीय टीम के लिए उस मुकाम तक पहुंच चुकी हैं कि जब उनका टीम में होना ही सभी खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने वाला होता है. वो हमेशा दूसरे खिलाड़ियों को प्रेरित करती हैं.
खेल नीति पर क्या बोले शिव सिंह ?
उन्होंने कहा खेल मंत्रालय और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया बॉक्सिंग के लिए काफी काम कर रही है. इस समय हमारे खिलाड़ियों के पास सभी सुविधाएं मौजूद हैं और नए आने वाले खिलाड़ियों के लिए भी ये स्वर्णिम अवसर है कि वो मेहनत करें और बॉक्सिंग खेलकर देश के लिए पदक जीते हैं, क्योंकि सरकार हर तरह से खिलाड़ियों की मदद कर रही है.
'कोविड में जारी है खिलाड़ियों की ट्रेनिंग'
उन्होंने कहा की कोविड की वजह से खिलाड़ियों की ट्रेनिंग में कई तरह की दिक्कतें पेश आई हैं, लेकिन भारतीय खिलाड़ी लगातार अपने ट्रेनिंग जारी रखे हुए हैं. भारतीय खिलाड़ी परंपरागत तरीकों से ट्रेनिंग करते हैं और जो खिलाड़ी जहां पर है वो वहीं पर अपने आसपास मौजूद संसाधनों की मदद से ट्रेनिंग कर रहा है.