चंडीगढ़: हरियाणा में साल 2018 में 5000 पुलिसकर्मियों की भर्ती के मामले को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को भर्ती के परिणाम को रिवाइज करने के आदेश दिए हैं.
दरअसल, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 1 हजार 54 एकल यानी ऑरफेन अभिभावक के बच्चों को सोशल इकोनॉमिक के पांच मार्क्स नहीं दिए थे. जिसको लेकर हाईकोर्ट ने 1 हजार 54 अभ्यार्थियों की मांग को सही मानते हुए, रिजल्ट को रिवाइज करने के निर्देश दिए हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील रविंद्र ढुल ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस भर्ती का यह मामला 2019 में शुरू हुआ था, जब हरियाणा सरकार ने सोशल इकोनॉमिक क्राइटेरिया लगाया था.
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जिसमें विधवा और उनके बच्चों को पांच नंबर देने की बात कही गई थी. मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार विधवा और उनके बच्चों को पांच नंबर मिलेंगे. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने ग्रुप डी की भर्ती में यह नंबर दिए थे, जबकि हरियाणा पुलिस भर्ती 2018 में यह नंबर नहीं दिए गए. पुलिस भर्ती के दौरान आयोग ने कहा था कि सिर्फ अनाथ बच्चों को यह नंबर दिए जाएंगे.
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वकील रविंद्र ढुल ने बताया कि हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पांचों कैटेगरी ( सब इंस्पेक्टर मेल, फीमेल, कास्टेबल मेल, फीमेल और कांस्टेबल आईआरबी ) के रिजल्ट को निरस्त किया जाता है. इसके नतीजे को फिर से रिवाइज करने के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि 1 हजार 54 अभ्यर्थियों ने विधवा बच्चों के नाम पर पांच नंबर की मांग की थी. अब इन सब के डॉक्यूमेंट को दोबारा रिचेक कर इनके नतीजे घोषित किए जाएंगे. इस पूरी प्रक्रिया के चलते कुछ अभ्यर्थी भर्ती से बाहर निकल जाएंगे, जिनको शो कॉज नोटिस देकर हटाया जाएगा.