चंडीगढ़ः बुधवार को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में हरियाणा सरकार की तरफ से दिए गए 510 रूट परमिट को लेकर चल रहे मामले पर सुनवाई हुई. प्राइवेट बस ऑपरेटर और ट्रांसपोर्टर्स ने बताया कि सरकार की तरफ से जारी कि गई स्कीम के तहत उनके द्वारा बसों की खरीद की गई थी लेकिन बसें नहीं चलने के चलते उन्हें रोजाना नुकसान उठाना पड़ रहा है.
वहीं हरियाणा के एजी बलदेव राज महाजन ने हाई-कोर्ट में बताया कि 510 रूट परमिट सस्ते दिए जाने पर ही सवाल नहीं है बल्कि ये परमिट कहां दिए गए और किस तरह से दिए गए इसको लेकर भी सवाल हैं, जिस पर विजिलेंस जांच चल रही है.
रोजाना होगी सुनवाई
दरअसल, हरियाणा सरकार की तरफ से करवाई जा रही विजिलेंस रिपोर्ट का एक हिस्सा जून में हाई कोर्ट में रखा जा चुका है जबकि फाइनल रिपोर्ट के लिए अभी सरकार की तरफ से समय मांगा गया है. याचिकाकर्ता पक्ष के वकील राजीव गोदारा ने बताया कि सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में कहा गया है कि अभी विजिलेंस की पूरी रिपोर्ट नहीं देखी गई है पूरी रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार आगामी समय में फैसला लेगी.
फिलहाल हाई कोर्ट की तरफ से अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की गई है. इसके बाद हाई कोर्ट इस मामले पर रोजाना सुनवाई करेगा. राजीव गोदारा के अनुसार एजी हरियाणा ने कोर्ट के समक्ष बताया कि रूट के रेट में अंतर के साथ-साथ रूट्स किस तरह से दिए गए हैं इसको लेकर भी विजिलेंस जांच जारी है.
ये था मामला
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की तरफ से 710 परमिट्स के लिए स्कीम जारी की गई थी. जिसमें से 510 रूट परमिट सरकार की तरफ से पहले जारी कर दिए गए थे. 510 रूट परमिट को लेकर कर्मचारियों की तरफ से विरोध भी किया गया था. इसके अलावा प्राइवेट बसों को परमिट देने के विरोध में हरियाणा परिवहन विभाग की सभी रोडवेज एकजुट हो गई थी और 18 दिन तक हड़ताल चली थी. हाई कोर्ट के दखल के बाद हड़ताल खत्म हुई थी और उसी दौरान से ये मामला कोर्ट में चल रहा है.