चंडीगढ़: एक लंबे अरसे के बाद हरियाणा की राजनीति में फिर गरमाहट आ गई है. अचानक सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज हो गई है. वहीं अब खबर आ रही है कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में भी बदलाव होना तय है. माना जा रहा है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही सूबे के मंत्रिमंडल में भी बदलाव हो सकता है. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि कुछ मंत्रियों से जिम्मेदारी वापस ली जा सकती है.
माना ये भी जा रहा है कि सरकार जल्द ही अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर कुछ नए चेहरों को इसमें शामिल कर सकती है. हालांकि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार में अभी दो मंत्री और बनाए जा सकते है. ऐसे में जेजेपी के विधायकों को भी मंत्रिमंडल विस्तार से काफी उम्मीदें है.
खाली पड़े मंत्री पद जेजेपी विधायकों के हिस्से में
पार्टी सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल पार्टी हाई कमान से मिलकर बात कर चुके हैं. ऐसे में बरोदा चुनाव के चलते उन्हें मंत्रिमंडल में बदलाव का मौका भी मिल गया है. हालांकि पहले से ही खाली चल रहे दो मंत्री पदों में से एक जेजेपी को मिलना तय है.
जेजेपी विधायकों को मंत्री पद मिलने की आस
अब तक जेजेपी से खुद दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री है. तो अनूप धानक उनकी पार्टी से राज्य मंत्री हैं. ऐसे में जेजेपी के दूसरे आठ विधायकों को भी मंत्री पद मिलने की आस है. फिलहाल जेजेपी के विधायकों में मंत्री पद को लेकर कई प्रकार की टीस चल रही है, लेकिन वे खुलकर विद्रोह नहीं कर सकते, क्योंकि आजाद विधायकों के दम पर सरकार को कोई खतरा नहीं है.
दो मंत्रियों की छिन सकती है कुर्सी- सूत्र
पहले से ही खाली चल रहे दो मंत्री पदों के अलावा दो मौजूदा मंत्रियों से उनका कामकाज वापस लिया जा सकता है. इसके अलावा मनोहर लाल अपने दूसरे मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव कर सकते हैं.
मंत्रिमंडल में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बरोदा सीट का उपचुनाव जीतने और प्रदेश की जनता को नतीजे देने की मंशा से बदलाव का खाका तैयार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल तो हाईकमान के साथ चर्चा कर ही चुके हैं, साथ ही डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी हाईकमान के पूरी तरह से टच में है.
'पिछले कार्यकाल में भी दो मंत्रियों से लिया गया था मंत्री पद'
बता दें कि इससे पहले अपने पिछले कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने कैबिनेट में बदलाव किया था. जिनमें अच्छी परफॉर्मेंस ना होने की बात कहकर घनश्याम सर्राफ और विक्रेम ठेकेदार से मंत्री पद वापस ले लिया गया था, लेकिन इस बार घनश्याम सर्राफ फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे है.
पहले की तरह इस बार भी परफॉर्मेंस को आधार बनाकर बीजेपी विधायकों से मंत्री पद वापस लिया गया तो भी विद्रोह की संभावना नहीं है. प्रदेश के साथ केंद्र में भी इस समय बीजेपी की ही सरकार है. ऐसे में मंत्री पद गंवाने के बाद भी बीजेपी के विधायकों के पास सरकार के साथ रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.
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