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कोर्ट में छलका गैंगरेप पीड़िता का दर्द, कहा- 10 साल से चक्कर काटकर जान गई हूं कानून

एक गैंगरेप पीड़िता ने जो जवाब हाईकोर्ट में दिया वो हमारी न्यापालिका और कोर्ट की कार्रवाई में होती देरी को दर्शाता है कि कैसे एक पीड़िता 10 साल से कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर है.

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Published : May 8, 2019, 11:54 PM IST

कोर्ट में छलका गैंगरेप पीड़िता का दर्द

चंडीगढ़: हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जब जज ने पीड़िता से पूछा कि तुम्हें कानून की इतनी जानकारी कैसे है? तो इस सावल पर पीड़िता का दर्द छलक गया. पीड़िता ने कहा कि जज साहब 10 साल से कोर्ट के चक्कर काट-काट कर मैं कानून सीख गई हूं.

मामला गैंगरेप पीड़िता से जुड़ी तीन याचिकाओं का है. मुक्तसर साहिब कोर्ट के जज ने पीड़िता पर कोर्ट की कार्रवाई में दखल का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में शिकायत भेजी थी. उस शिकायत पर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और पीड़िता के खिलाफ अवमानना के तहत सुनवाई शुरू की. दूसरी अवमानना याचिका एक आरोपी ने दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि पीड़िता न्यायपालिका और जजों के खिलाफ टिप्पणी करती है. तीसरी याचिका पीड़िता की ओर से दाखिल की गई है जिसमें उसने आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी है.

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पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट

मुक्तसर साहिब कोर्ट पहले ही पीड़िता के आरोपियों को बेरी कर चुकी है. जिसके बाद से पीड़िता कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर है.

चंडीगढ़: हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जब जज ने पीड़िता से पूछा कि तुम्हें कानून की इतनी जानकारी कैसे है? तो इस सावल पर पीड़िता का दर्द छलक गया. पीड़िता ने कहा कि जज साहब 10 साल से कोर्ट के चक्कर काट-काट कर मैं कानून सीख गई हूं.

मामला गैंगरेप पीड़िता से जुड़ी तीन याचिकाओं का है. मुक्तसर साहिब कोर्ट के जज ने पीड़िता पर कोर्ट की कार्रवाई में दखल का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में शिकायत भेजी थी. उस शिकायत पर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और पीड़िता के खिलाफ अवमानना के तहत सुनवाई शुरू की. दूसरी अवमानना याचिका एक आरोपी ने दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि पीड़िता न्यायपालिका और जजों के खिलाफ टिप्पणी करती है. तीसरी याचिका पीड़िता की ओर से दाखिल की गई है जिसमें उसने आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी है.

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पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट

मुक्तसर साहिब कोर्ट पहले ही पीड़िता के आरोपियों को बेरी कर चुकी है. जिसके बाद से पीड़िता कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर है.

Intro:
गैंगरेप पीडि़ता बोली, जज साहिब इंसाफ के लिए 10 साल से कोर्ट के चक्कर लगाकर सीख लिया लॉ
-गैंगरेप के आरोपियों को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील पर हो रही थी सुनवाई
-महिला की कानूनी जानकारी देखकर जज ने पूछा था क्या आपने लॉ की है
Body:

मुक्तसर साहिब कोर्ट द्वारा गैंगरेप के आरोपियों को बरी करने के खिलाफ पीडि़ता की अपील पर सुनवाई के दौरान एक महिला का दर्द छलक उठा। महिला की कानूनी जानकारी देख कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने लॉ की है। इसपर महिला ने कहा कि दस साल से इंसाफ की लड़ाई के लिए अदालतों के चक्कर लगाते-लगाते लॉ सीख गई हूं।
मामला गैंगरेप पीडि़ता से जुड़ी तीन याचिकाओं से जुड़ा हुआ है। मुक्तसर साहिब कोर्ट के जज ने महिला पर कोर्ट की कार्रवाई में दखल का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में शिकायत भेजी थी। उस शिकायत पर हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान ले महिला के खिलाफ अवमानना के तहत सुनवाई आरंभ कर दी। दूसरी अवमानना याचिका एक आरोपी ने दाखिल की है जिसमें कहा गया है कि महिला न्यायपालिका और जजों के खिलाफ टिप्पणी करती है। तीसरी याचिका महिला द्वारा दाखिल की गई है जिसमें उसने आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। मंगलवार को इस महिला ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए जजों और सीनियर वकीलों पर आरोप लगाए थे। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा था कि वे प्रशासनिक स्तर पर उसकी मदद का प्रयास करेंगे। इसी के तहत जब मामला सुनवाई के लिए अन्य बेंच के पास पहुंचा तो उन्होंने करीब डेढ़ घंटे सुनवाई करते हुए तीनों केस अलग-अलग कर दिए जिससे मामले का जल्द निपटारा हो सके। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि अभी तक इस मामले में आरोपियों को नोटिस जारी नहीं किए गए हैं। इसपर हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई पर जवाब दाखिल करने के आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं चीफ जस्टिस के सामने पहुंची जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने आधारहीन मानते हुए इसे खारिज कर दिया है।


Conclusion:गैंगरेप पीडि़ता का आरोप है कि आरोपी हाईकोर्ट के जज के रिश्तेदार हैं और इसी के कारण हाईकोर्ट के जज और सीनियर वकीलों ने ट्रायल कोर्ट पर दबाव बनाया जिसके चलते सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। आदेश के खिलाफ याचिका हाईकोर्ट में लंबित है तो जज उसकी याचिका को गंभीरता से नहीं ले रहे और उसे धमकाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने कहा था कि चाहे जज धमकाए या वकील थाने जाकर एफआईआर दर्ज करवाने का विकल्प मौजूद है।

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