चंडीगढ़: डॉक्टर्स की कमी को पूरा करने और ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की तैनाती बढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार ने एक नया तरीका निकाला है. इसके तहत सरकारी कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सात साल तक सरकारी नौकरी करना जरूरी होगा. इसके लिए सरकार ने अब सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए फीस के साथ 10 लाख रुपये बॉन्ड राशि जमा करवाने का फैसला लिया है. इस बॉन्ड और फीस को मिलाकर छात्र को 4 साल में लगभग 40 लाख रुपये देने होंगे. ये राशि सरकारी नौकरी में आने वाले डॉक्टर्स से सरकार 7 साल में किश्तों द्वारा वसूलेगी.
क्या है मामला?
हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले स्टूडेंट्स को अभी सालाना 53 हजार रुपए फीस देनी होती थी. हॉस्टल फीस अलग होती थी. अब हरियाणा सरकार ने नोटिस दिया है कि मेडिकल कॉलेजों की सालाना फीस 53 हजार से बढ़ाकर 80 हजार और एक लाख तक की जाएगी. स्टूडेंट्स को सालाना करीब 10 लाख रुपये का बॉन्ड भरना होगा. ये बॉन्ड हर साल जमा कराना होगा. चार साल का कोर्स पूरा होने के बाद तकरीबन 40 लाख का ये बॉन्ड नौकरी लगने पर चुकाना होगा. अगर छात्र की हरियाणा में सरकारी नौकरी लगती है तो उसे सात साल तक नौकरी करनी होगी. और ये पैसा सरकार भरेगी. लेकिन सरकानी नौकरी सात साल से पहले छोड़ने पर ये पैसा छात्र को खुद 7 साल की किस्तों में चुकाना पड़ेगा. अगर नौकरी नहीं लगती या प्राइवेट नौकरी लगती है या फिर छात्र निजी प्रैक्टिस करते हैं, तो पैसे उन्हें खुद भरना होगा.
ऐसे समझिए फीस और बॉन्ड का फंडा
एमबीबीएस: दाखिले के वक्त करीब 10 लाख रुपए का बॉन्ड देना होगा. इसमें 80 हजार रुपये की फीस होगी. हर साल फीस में 10% की बढ़ोतरी होगी. दूसरे साल भी 10 लाख का बॉन्ड देना होगा. जिसमें 88 हजार रुपये फीस के होंगे. इसी प्रकार अगले 2 साल भी 10-10 लाख का बॉन्ड देना होगा. इसमें थर्ड-ईयर की फीस 96,800 रुपये व लास्ट ईयर की फीस 1,06,480 रुपये होगी.
MBBS डिग्री | कोर्स फीस (रु. में) | बॉन्ड अमाउंट(रु. में) |
1st Year | 80,000 | 9,20,000 |
2nd Year | 88,000 | 9,12,000 |
3rd Year | 96,800 | 9,03,200 |
4th Year | 1,06,480 | 8,93,520 |
Total | 3,71,280 | 36,28,720 |
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स की फीस: इस साल फर्स्ट ईयर के लिए 1.25 लाख, सेकंड ईयर के लिए 1.50 लाख व थर्ड-ईयर के लिए 1.75 लाख रुपये फीस तय की है.
सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में फीस बराबर हो जाएगी
हरियाणा के आधा दर्जन मेडिकल कालेजों से एमबीबीएस करने वालों को आने वाले वक्त में इन कालेजों वर्तमान में दी जा रही फीस से करीब 20 गुना ज्यादा फीस अदा करनी होगी. फीस बढ़ोतरी को लेकर हरियाणा मेडिकल एजूकेशन एवं रिसर्च विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है.
इस बढ़ोतरी से सरकारी मेडिकल कालेजों की फीस और निजी कालेजों की फीस में बेहद ही मामूली अंतर रह जाएगा. हरियाणा में इस समय छह सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं. राज्य के पास में 1400 मेडिकल की सीटें हैं. वहीं निजी क्षेत्र में गौर करें, तो इन मेडिकल कॉलेजों में कम से कम फीस दस लाख से शुरु होती है.
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आपको बता दें कि इस नोटिफिकेशन में ये प्रावधान भी है कि छात्र चाहे तो पढ़ाई के साथ-साथ अपनी पूरी फीस भर सकता है. यानी छात्र सालाना बॉन्ड भरने की बजाय 10 लाख रुपये फीस दे सकता है. ऐसे में उसकी पढ़ाई खत्म होने के बाद वो कहीं भी बिना किसी आर्थिक बोझ के प्रैक्टिस कर सकता है. बॉंड का ये पैसा सरकार खुद छात्रों को एजुकेशन लोन के रूप में मुहैय्या करायेगी.
ये बॉन्ड क्यों भरवाया जा रहा है?
सरकारी कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद अधिक पैसे की चाहत में ज्यादातर डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में लग जाते हैं या फिर निजी अस्पतालों में सेवाएं देने लगते हैं. सरकार का मानना है कि ये छात्र सरकारी सेवाओं का फायदा उठाते हैं, पढ़ाई में सब्सिडी लेते हैं, लेकिन पढ़ाई के बाद सरकारी सेवा को प्राथमिकता नहीं देते.
ये बॉन्ड सरकारी नौकरी देने के लिए प्रावधान-सीएम
इसको लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एमबीबीएस की फीस जो पहले 60 हजार रुपये प्रतिवर्ष थी, उसे बढ़ाकर 80 हजार रुपये प्रतिवर्ष किया गया है. उन्होंने कहा कि 10 लाख रुपये का बॉन्ड एमबीबीएस करने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों से भरवाया जाएगा और यह बॉन्ड सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए एक प्रावधान होगा.
सीएम ने कहा कि, 'बहुत पुश्तों से मेडिकल की एक जैसी ही फीस चली आ रही थी और आखिर हर बार कुछ ना कुछ बढ़ोतरी होती है. इस बार हमने एक बॉन्ड 10 लाख रुपये सालाना का भरवाया है जो एमबीबीएस करने के बाद सरकारी नौकरी नहीं करेंगे वो उसे भरेंगे. हमने ये बॉन्ड इसलिए भरवाया है क्योंकि जो लोग एमबीबीएस कर रहे हैं वो सरकारी नौकरी करें.'
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष इस पर भी अफवाह फैलाने में लगा है, जो सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में तो 12 से 15 लाख रुपये प्रतिवर्ष फीस ली जाती है, जबकि सरकारी कॉलेजों में फीस बढ़ाने के बावजूद पूरी एमबीबीएस पढ़ाई की फीस 4 लाख रुपये ही बनती है.
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