चंडीगढ़: दिल्ली लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी बनी है. यहां पिछले साल की अपेक्षा 15 फीसदी प्रदूषण बढ़ा है. एक रिपोर्ट (World Air Quality report) में यह जानकारी सामने आई है. ये रिपोर्ट स्विस संगठन आईक्यूएयर द्वारा तैयार की गई है और इसे मंगलवार को वैश्विक स्तर पर जारी किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत का कोई भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानक (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम-2.5 सांद्रता) पर खरा नहीं उतर सका.
वहीं राजस्थान का भिवाड़ी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. इसके अलावा दुनिया के 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 5 शहर हरियाणा के हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार 11वें नंबर पर हरियाणा का हिसार है, 12वें पर फरीदाबाद, 14वें नंबर पर रोहतक, 17वें नंबर पर जींद और 18वें नंबर पर साइबर सिटी गुरुग्राम है. इस रिपोर्ट में 63 भारतीय शहर दुनिया के टॉप-100 प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।.इनमें आधे से ज्यादा हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं.
इसमें कहा गया है कि देश में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2021 में 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया, जिससे इसमें तीन वर्षों से दर्ज किया जा रहा सुधार थम गया. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2020 में लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया है. चिंता की बात यह है कि 2021 में कोई भी भारतीय शहर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के डब्ल्यूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा. रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 48 फीसदी शहरों में पीएम-2.5 कणों का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानक से दस गुना है.
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रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहन उत्सर्जन, कोयले से चलने वाले पावर प्लांट, औद्योगिक अपशिष्ट, खाना पकाने के लिए बायोमास का इस्तेमाल और निर्माण क्षेत्र शामिल हैं. 2021 के नवंबर महीने में प्रदूषण बढ़ने के बाद दिल्ली में कई बड़े पावर प्लांट्स के साथ इंडस्ट्री पर भी रोक लगाई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि ऐसे ही वायु प्रदूषण रहा तो हार्ट और फेफड़ों की बीमारियों और कई अन्य गंभीर बीमारियां जन्म लेंगी और हर मिनट में वायु प्रदूषण के कारण तीन मौतें होंगी. रिपोर्ट में धान की पराली जलने से निकलने वाले धुएं के बारे में उल्लेख किया गया है. सर्दियों के महीनों में धान की फसल कटाई के बाद खेत साफ करने के लिए पराली जलाई जाती है, इसलिए इसका असर बहुत ज्यादा होता है.
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