चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल शुक्रवार को हरियाणा का बजट पेश करेंगे. सदन में दोपहर 12 बजे से सीएम बजट पढ़ना शुरू करेंगे. बता दें कि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास ही वित्त विभाग भी है.
वहीं प्रदेश की जनता को इस बार बजट में क्या मिल सकता है. इसको लेकर हमने अर्थशास्त्री से बात की. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अर्थशास्त्री बिमल अंजुम ने बताया कि साल 2020 में हरियाणा के लिए बेहतर ये रहा है कि जीएसटी कलेक्शन अच्छा रहा. 2019 के मुकाबले इसमें 10% ग्रोथ देखने को मिली.
बजट पर दिखेगा कोरोना का असर
उन्होंने कहा कि इस बार बजट से पहले सरकार के सामने बहुत सी चुनौतियां रहने वाली हैं. कोरोना काल के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में राजस्व प्राप्तियां अनुमानों के अनुसार नहीं रहीं. कई क्षेत्र ऐसे रह सकते हैं जिनमें कोरोना का असर देखने को मिल सकता है. सरकार की तरफ से पेश किए जाने वाले बजट में अपने घाटे को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से नए कर लगाए जा सकते हैं. जिसके चलते जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
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किन क्षेत्रों में हो सकती है कटौती?
प्रोफेसर बिमल अंजुम ने बताया कि बजट में रेवेन्यू रिसिप्ट और एक्सपेंडिचर बढ़ाने पड़ेंगे. सरकार को राजस्व प्राप्तियां हो या नहीं मगर वेलफेयर पर खर्च करना पड़ता है. सरकार को पेंशन स्कीम में पैसा देना पड़ेगा, वेलफेयर स्कीम पर खर्च करना होगा. शिक्षा पर खर्च बढेगा, क्योंकि लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद रहे हैं. स्वस्थ्य सेवाओं पर भी खर्च बढ़ेगा, क्योंकि कोरोना वैक्सीन पर काफी खर्च होगा, वहीं सोशल वेलफेयर और सोशल जस्टिस में खर्च करना होगा.
'सरकार को इस बार 40 हजार करोड़ का नुकसान'
विमल अंजुम ने कहा कि इस बार मनरेगा पर केंद्र सरकार ने खर्च किया है. आने वाले समय मे केंद्र ऐसा करेगी ये नहीं लगता. इसपर सरकार को अतिरिक्त ध्यान देना पड़ सकता है. कमजोर वर्ग के लोगों के लिए खाद्यय पदार्थ पर केंद्र ने बड़ा योगदान दिया था जो अब नहीं होगा.
इसके दूसरी तरफ अंतिम बार का जो बजट पेश हुए उसमें रिवेन्यू रिसिप्ट्स और एक्सपेंडिचर में 18000 करोड़ रुपये का गैप था. बिमल अंजुम के अनुसार लगभग 40 हजार करोड़ का नुकसान इस बार सरकार को सहना पड़ा है. अब ऐसे में देखना होगा कि सीएम प्रदेश की जनता को क्या सौगात देंगे या जनता पर कोई नया बोझ पड़ेगा.
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