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सीएम ने पंजाब भू-परिरक्षण विधेयक-2019 की वकालत की, कहा- दिक्कतों से मिलेगी निजात

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब भू-परिरक्षण विधेयक-2019 राज्य की जनता के हित में हैं और इसमें किए गए प्रावधानों की वजह से काफी दिक्कतों से निजात मिलेगी.

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Published : Feb 27, 2019, 7:58 PM IST

सीएम मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल नेकहा कि पंजाब भू-परिरक्षण विधेयक-2019 राज्य की जनता के हित में हैं और इसमें किए गए प्रावधानों की वजह से काफी दिक्कतों से निजात मिलेगी.


आपको बता दें कि पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम-1900 जो इसके बाद ‘पीएलपीए’ के रूप में संदर्भित किया जाएगा, को पंजाब की तत्कालीन सरकार द्वारा 1900 में अधिनियिमित किया गया था. यह अधिनियम भूमिगत जल के संरक्षण और कटाव ग्रस्त क्षेत्रों या कटाव संभावित क्षेत्रों को संरक्षण प्रदान करता है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन सदन के सभी सदस्यों को बताया किपीएलपीए के पीछे की मंशा और इसका अधिकार क्षेत्र समय के साथ विकसित हुआ है.

सीएम मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा


उल्लेखनीय है कि तत्काल प्रासंगिकता में बड़ा संशोधन सबसे पहले 1926 में किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य लोगों को स्वामित्व के अधिकारों से वंचित करना नहीं था.


इस संशोधन के द्वारा तत्कालीन अभिव्यंजना‘अस्थायी या स्थायी रूप से जो पीएलपीए की धारा 4 और 5 में वर्णित था, से अभिव्ंयजना’ या स्थायी रूप से को निरस्त कर दिया गया था. यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत प्रद्रत संवैधानिक अधिकार के अनुरूप है.

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल नेकहा कि पंजाब भू-परिरक्षण विधेयक-2019 राज्य की जनता के हित में हैं और इसमें किए गए प्रावधानों की वजह से काफी दिक्कतों से निजात मिलेगी.


आपको बता दें कि पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम-1900 जो इसके बाद ‘पीएलपीए’ के रूप में संदर्भित किया जाएगा, को पंजाब की तत्कालीन सरकार द्वारा 1900 में अधिनियिमित किया गया था. यह अधिनियम भूमिगत जल के संरक्षण और कटाव ग्रस्त क्षेत्रों या कटाव संभावित क्षेत्रों को संरक्षण प्रदान करता है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन सदन के सभी सदस्यों को बताया किपीएलपीए के पीछे की मंशा और इसका अधिकार क्षेत्र समय के साथ विकसित हुआ है.

सीएम मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा


उल्लेखनीय है कि तत्काल प्रासंगिकता में बड़ा संशोधन सबसे पहले 1926 में किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य लोगों को स्वामित्व के अधिकारों से वंचित करना नहीं था.


इस संशोधन के द्वारा तत्कालीन अभिव्यंजना‘अस्थायी या स्थायी रूप से जो पीएलपीए की धारा 4 और 5 में वर्णित था, से अभिव्ंयजना’ या स्थायी रूप से को निरस्त कर दिया गया था. यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत प्रद्रत संवैधानिक अधिकार के अनुरूप है.

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 पंजाब भू-परिरक्षण विधेयक, 2019 में किए गए प्रावधानों से काफी दिक्कतों से निजात मिलेगी- मुख्यमंत्री। 

एंकर-  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब भू-परिरक्षण विधेयक, 2019 राज्य की जनता के हित में हैं और इसमें किए गए प्रावधानों की वजह से काफी दिक्कतों से निजात मिलेगी। पंजाब भू-परिरक्षण अधिनियम, 1900 जो इसके बाद ‘पीएलपीए’ के रूप में संदर्भित किया जाएगा, को पंजाब की तत्कालीन सरकार द्वारा 1900 में अधियिमित किया गया था। यह अधिनियम भूमिगत जल के संरक्षण और/या कटाव ग्रस्त क्षेत्रों या कटाव सम्भावी क्षेत्रों को संरक्षण प्रदान करता है। 

वीओ:  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बुधवार को चण्डीगढ में हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन सदन के सभी सदस्यों को बताया कि पीएलपीए के पीछे की मंशा और इसका अधिकार क्षेत्र समय के साथ विकसित हुआ है। तत्काल प्रासंगिकता में बड़ा संशोधन सबसे पहले 1926 में किया गया था जिसमें यह स्पष्टï किया गया था कि अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य लोगों को स्वामित्व के अधिकारों से वंचित करना नहीं था। उक्त संशोधन  के  द्वारा तत्कालीन अभिव्यंजना  ‘अस्थायी या स्थायी रूप से जो पीएलपीए  की धारा 4 और 5 में वर्णित था, से अभिव्ंयजना’ या स्थायी  रूप से को निरस्त कर दिया गया था। यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत प्रद्रत संवैधानिक अधिकार के अनुरूप है।
पीएलपीए की धारा 4 और /या धारा 5 के अधीन जारी आदेश और अधिसूचनाएं लगभग 10,94,543 हेक्टेयर या लगभग 10,945 वर्ग किमी क्षेत्र, जोकि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का अनुमानत: 25 प्रतिशत है, पर लागू होते हैं। ये आदेश और अधिसूचनाएं राज्य के 22 जिलों में से 14 जिलों के भौगोलिक क्षेत्र पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से लागू होते हैं। ये आदेश और अधिसूचनाएं गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेन्द्रगढ़ जिलों के लगभग पूर्ण क्षेत्रों पर लागू होते हैं। इन क्षेत्रों का एक बहुत बड़ा भाग निजी स्वामित्व वाली भूमि, और वह भूमि जो परम्परागत रूप से और कानूनी रूप से कृषि और गैर-वानिकी उपयोग के अधीन है, के तहत आता हैं, जिनमें सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के अधीन आने वाली भूमि जैसे कि रेल, सडक़,नहर, सार्वजनिक संस्थाएं और सरकारी प्रतिष्ठïान के अधीन भूमि भी शामिल हैं। पेड़ों की कटाई को विनियमित करने के प्राथमिक उद्देश्य से (हरियाणा राज्य में पेड़ों की कटाई को विनियमित करने के लिए एक अलग  ‘वृक्ष अधिनियम’ नहीं था) पीएलपीए के इन आदेशों और अधिसूचनाओं के तहत अधिकांश क्षेत्र का लाया गया। 

बाइट: मनोहर लाल, मुख्यमंत्री हरियाणा 

वीओ: उन्होंने बताया कि राज्य में पेड़ों की कटाई को  पीएलपीए की धारा 4 के तहत सामान्य आदेश जारी करके नियंत्रित किया जाता है। पेड़ की कटाई के प्रभावी विनियमन के लिए यह अपेक्षित है कि अधिनियम में इसके लिए एक अलग से प्रावधान किया जाए ताकि इस दिशा में किसी भी तरह की अस्पष्टïता या संदेह न रहे। पीएलपीए में इस तरह के प्रतिबंधों, निषेधों और नियमों के तहत लाए जाने वाले प्रस्तावित क्षेत्र के  सम्बन्ध में प्रतिबंध, निषेध और नियम लागू करने से पहले सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करने का कोई प्रावधान नहीं है। प्राकृतिक न्याय के सिद्घांतों का पालन करने के लिए ऐसा प्रावधान करना अपेक्षित है। पीएलपीए में अधिनियम के तहत जारी आदेशों और अधिसूचनाओं में सुधार, संशोधन या अनाधिसूचित करने का कोई प्रावधान नहीं है, जो अंतर्निहित दोष व अशुद्घियां या कुछ भूमियां, जो असावधानी से या निर्धारित प्रक्रिया की अवहेलना करते हुए सम्मिलित पाई गई हैं, का समाधान कर सकें । इसके अलावा, पीएलपीए ने पुन: अधिसूचना जारी करने और आदेशों और नियमों की अवधि बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। पीएलपीए में कठिनाइयों को दूर करने या असाधारण परिस्थितियों में छूट देने का प्रावधन  भी नहीं है। इन सम्बन्धों में सक्षम प्रावधान करने और शामिल करने की आवश्यकता है। इसलिए, अब पीएलपीए की धारा 2, धारा 3, धारा 4 धारा 5 में संशोधन करना आवश्यक है और आगे, पीएलपीए की धारा  3ए (धारा 3 के बाद), धारा 4 ए (धारा 4 के बाद), धारा ए (धारा 6 के बाद), धारा 18ए (धारा 18 के बाद) तथा 23 (धारा 22 के बाद), सम्मिलित करने की भी आवश्यकता है।

बाइट: मनोहर लाल, मुख्यमंत्री हरियाणा  

 
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