चंडीगढ़: शहर के पार्षदों को जल्द ही नगर निगम चंडीगढ़ लैपटॉप की जगह टैबलेट दे सकती है. वहीं, चंडीगढ़ के सभी पार्षदों के लिए हाई-एंड टैबलेट खरीदने के लिए दिए गए कुछ प्रमुख कारण थे. जिसके चलते नगर निगम पार्षदों के डेस्क पर टैबलेट में देने की सुविधाएं देने जा रहा है, जिसके लिए सरकारी खजाने से भारी खर्च किया जाएंगे.
बता दें कि चंडीगढ़ के पार्षदों के पास पहले से ही 33 लाख रुपये से अधिक के लैपटॉप हैं, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 75,000 रुपये है. इसके अलावा 40,000 रुपये का हाई-टेक फोन भी है. सभी 44 पार्षदों यानी 35 निर्वाचित और 9 मनोनीत पार्षदों के लिए लैपटॉप और महंगे फोन की कीमत 50 लाख रुपये आंकी गई है. आईटी टीम को एक प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया है और परियोजना पर 50 लाख रुपये की अनुमानित राशि खर्च की जाएगी. इसका मतलब यह है कि लैपटॉप, फोन और टैबलेट की संयुक्त लागत कम से कम 1 करोड़ रुपये होगी. चयनित कनेक्शन और टैबलेट के ब्रांड को देखते हुए राशि बढ़ सकती है.
चंडीगढ़ के मेयर अनूप गुप्ता ने कहा कि हाउस मीटिंग में बहुत सारे कागज की छपाई होती है. ऐसे में हर बार 400 पन्नों की रिपोर्ट होती है जिन्हें चर्चा के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इतना अधिक कागज बर्बाद करने और फिर एक समर्पित कर्मचारी 44 घरों में घर-घर जाकर एजेंडे के साथ जाने के बजाय, यह बेहतर है कि हम खुद को डिजिटलीकरण की ओर आगे बढ़ें. इससे समय के साथ साथ ईंधन और कागज बचत होगी. जिसकी कीमत लगभग हर बैठक के लिए 3 लाख रुपये होती थी.
पार्षद द्वारा दिए गए फीडबैक में मुझे पता चला है कि प्रत्येक के लिए अपना लैपटॉप ले जाना मुश्किल है और कई बार वे लैपटॉप घर पर भूल जाते हैं. इसलिए यह फैसला लिया गया है कि इन टैबलेट्स को उनके डेस्क पर पूरी तरह से कनेक्ट होगा ताकि वे मोटी रिपोर्ट का पन्ना पलटने की जगह एजेंडे फाइल को स्वाइप कर सकें.
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