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बाल सुधार गृह में पिटाई और मल खिलाने का दावा प्राथमिक जांच में झूठा: कमिश्नर

गुरुवार को फरीदाबाद में पिछले दिनों एक लड़के पर गौ मांस और खाल बेचने के आरोप में हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इसमें याची ने कोर्ट में कहा कि उसके लड़के के साथ बाल सुधार गृह में गलत व्यवहार किया गया और मल खिलाया गया. जिसकी पुलिस कमिश्नर ने प्राथमिक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : May 16, 2019, 10:25 PM IST

चंडीगढ़: गौ मांस और खाल बेचने के आरोपी को बाल सुधार गृह में मल खिलाने के आरोपों को नकारते हुए फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ने हाईकोर्ट में सौंपे हलफनामे में कहा कि प्राथमिक जांच में दावा झूठा पाया गया है. हालांकि जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है. जिसे जांच पूरी करने के लिए कुछ समय दिया जाए. हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई पर जांच की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं.

क्या है मामला?
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका बेटा पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ाई करता है. 29 दिसंबर 2018 को उसका बेटा कॉलेज जाने से पहले याची की नूंह स्थित दुकान पर मौजूद था. दुकान से उसे पुलिस उठा कर ले गई और हरियाणा गौ संवर्धन और गौ संरक्षण एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर गौ मांस और खाल बेचने का आरोप लगा दिया.

केस को जिला अदालत में लगाया गया जहां से याची के बेटे के नाबालिग होने के चलते उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड भेज दिया गया. जब बाल सुधार गृह के अधिकारियों ने याची के बेटे का वारंट देखा तो वे भड़क गए और कहा कि तुम गाय काटते हो. याची के बेटे ने बताया कि वह बेकसूर है लेकिन उन्होंने याची के बेटे को एसी बैरक में डाल दिया जहां पहले से 16-17 लड़के बंद थे.

चंडीगढ़: गौ मांस और खाल बेचने के आरोपी को बाल सुधार गृह में मल खिलाने के आरोपों को नकारते हुए फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ने हाईकोर्ट में सौंपे हलफनामे में कहा कि प्राथमिक जांच में दावा झूठा पाया गया है. हालांकि जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है. जिसे जांच पूरी करने के लिए कुछ समय दिया जाए. हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई पर जांच की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं.

क्या है मामला?
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका बेटा पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ाई करता है. 29 दिसंबर 2018 को उसका बेटा कॉलेज जाने से पहले याची की नूंह स्थित दुकान पर मौजूद था. दुकान से उसे पुलिस उठा कर ले गई और हरियाणा गौ संवर्धन और गौ संरक्षण एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर गौ मांस और खाल बेचने का आरोप लगा दिया.

केस को जिला अदालत में लगाया गया जहां से याची के बेटे के नाबालिग होने के चलते उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड भेज दिया गया. जब बाल सुधार गृह के अधिकारियों ने याची के बेटे का वारंट देखा तो वे भड़क गए और कहा कि तुम गाय काटते हो. याची के बेटे ने बताया कि वह बेकसूर है लेकिन उन्होंने याची के बेटे को एसी बैरक में डाल दिया जहां पहले से 16-17 लड़के बंद थे.

Intro:बाल सुधारगृह में पिटाई और इंसानी मल खिलाने का दावा प्राथमिक जांच में पाया गया झूठा: कमिश्नर 

-फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ने हलफनामे में कहा स्टाफ से लेकर कैदियों ने ऐसी घटना को नकारा 

-एसआईटी को जांच के लिए समय दिए जाने की अपील
Body:

गो मांस व खाल बेचने के आरोपी को बाल सुधार गृह में मल खिलाने के आरोपों को नकारते हुए फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ने हाईकोर्ट में सौंपे हलफनामे में कहा कि प्राथमिक जांच में दावा झूठा पाया गया है। हालांकि जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है जिसे जांच पूरी करने के लिए कुछ समय दिया जाए। हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई पर जांच की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं। 

Conclusion:कोर्ट की फटकार के बीच कमिश्नर ने हाईकोर्ट को बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसका बेटा पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ाई करता है। 29 दिसंबर 2018 को उसका बेटा कॉलेज जाने से पहले याची की नूंह स्थित दुकान पर मौजूद था। दुकान से उसे पुलिस उठा कर ले गई और हरियाणा गो संवर्धन व गो संरक्षण एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर गो मांस व खाल बेचने का आरोप लगा दिया। केस को जिला अदालत में लगाया गया जहां से याची के बेटे के नाबालिग होने के चलते उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड भेज दिया गया। जब बाल सुधार गृह के अधिकारियों ने याची के बेटे का वारंट देखा तो वे भड़क गए और कहा कि तुम गाय काटते हो। याची के बेटे ने बताया कि वह बेकसूर है लेकिन उन्होंने याची के बेटे को ऐेसी बैरक में डाल दिया जहां पहले से 16-17 लड़के बंद थे। उन लड़कों को कहा कि यह गाय काटता है और इसे ऐसा सबक सिखाओ की कभी न भूले। इसके बाद उन लड़कों ने याची के बेटे को बुरी तरह से पीटा। पीटने के बाद पहले उसे पेशाब पिलाया गया और फिर मल जबरन उसके मुंह में ठूंस दिया गया। इन दावों को गलत करार देते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा कि बाल सुधार गृह के स्टाफ, शिक्षकों और वहां मौजूद अन्य कैदियों से इस बारे में पूछ ताछ की गई है। सभी ने ऐसी किसी भी घटना की जानकारी होने से इनकार कर दिया है। ऐसे में प्राथमिक जांच में दावा झूठा पाया गया है। हालांकि घटना के 35 दिन तक जांच चलती रही और एफआईआर दर्ज नहींं की गई जिसके चलते एसएचओ पर विभागीय कार्रवाई भी की गई है। 


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