चंडीगढ़: एयरपोर्ट पर कैट 2 आईएलएस सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया है. जिस वजह से कम विजिबिलिटी में फ्लाइट का संचालन नहीं हो पा रहा है. इस समय एयरपोर्ट को कैट 1 आईएलएस सिस्टम के सहारे ही चलाया जा रहा है. जिससे कम से कम 1200 मीटर की विजिबिलिटी के वक्त ही फ्लाइट का संचालन किया जा रहा है. जबकि कैट 2 आईएसएस सिस्टम के साथ कम से कम 350 मीटर की विजिबिलिटी में भी फ्लाइट्स का संचालन किया जा सकता है.
कैट 2 सिस्टम ने काम करना किया बंद
कैट 2 के काम ना करना की वजह से एटरपोर्ट पर रात 8 बजकर 40 मिनट तक फ्लाइट्स का संचालन किया जा रहा है. जबकि चंडीगढ़ एयरपोर्ट के विंटर शेड्यूल में आखिरी फ्लाइट का समय रात 10 बजकर 50 मिनट निर्धारिक किया गया था. गो एयर की चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट रात 10 बजकर 50 मिनट का था लेकिन कंपनी ने रिस्क को देखते हुए इस फ्लाइट का टाइम भी रात 8 बजकर 40 मिनट कर दिया.
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मौसम ने धीमी की एयरलाइन की रफ्तार
इस साल का विंटर शेड्यूल 27 अक्तूबर से लागू हुआ है. जिसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से रात के वक्त संचालित होने वाली कई नई फ्लाइट्स को शामिल किया था, लेकिन कैट 2 के काम ना करने की वजह से एयरलाइन्स कंपनियों ने रात की फ्लाइट्स को ना चलाने का फैसला लिया है.
साथ ही जो फ्लाइट्स शुरु की थी उनका समय भी बदल दिया गया है. एयरलाइन कंपनियों को आशंका है कि कैट 1 के सहारे 1200 मीटर की विजिबिलिटी तक फ्लाइट्स लैंड हो सकती हैं और उड़ान भर सकती हैं, लेकिन आने वाले दिनों में अगर मौसम और खराब होता है तो विजिबिलिटी और कम हो जाएगी. जिससे फ्लाइट्स के संचालन में रिस्क बढ़ जाएगा. इसलिए कंपनियां फिलहाल देर रात की फ्लाइट्स का संचालन नहीं करना चाहती.
जल्द चालू हो जाएगा कैट 2 आईएसएस
एयरपोर्ट एथॉरिटी का कहना है कि कैट 2 सिस्टम में कुछ खामियां हैं जिन्हें जल्द ठीक कर लिया जाएगा. हमारी कोशिश है कि 15 दिसंबर तक इसे पूरी तरह से ठीक कर दिया जाए. जिसके बाद फ्लाइट्स 350 मीटर की कम विजिबिलिटी में भी एयरपोर्ट पर लैंड और उड़ान भर सकेंगी. साथ ही अथॉरिटी की ओर से कैट 3 सिस्टम को लेकर कहा गया है कि फिलहाल इसे लगाने में वक्त लगेगा.
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क्या होता है कैट सिस्टम ?
आपकों बता दें की किसी भी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए कैट सिस्टम बेहद जरुरी होता है. इसी के सहारे हवाई जहाज कम विजिबिलिटी में भी एयरपोर्ट पर लैंड कर सकता है. इसमें कैट 3 सिस्टम को सबसे उन्नत माना जाता है. जिससे हवाई जहाज 100 मीटर की विजिबिलिटी में भी लैंड कर सकता है. अगर चंड़ीगढ़ एयरपोर्ट पर ये सिस्टम लगा दिया जाता है तो यहां से 24 घंटे फ्लाइट्स का संचालन हो सकेगा.