चंडीगढ़/दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. हरियाणा में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार भी बना ली है. इसमें खास बात ये है कि बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार तो बना ली, लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक नहीं हुआ है. इसके पीछे मुख्य कारण माना जा रहा है महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी की माथापच्ची.
सीएम मनोहर की हाईकमान से नहीं हुई मुलाकात- सूत्र
मुख्यमंत्री मनोहर लाल पिछले दो दिनों से दिल्ली में मौजूद हैं, लेकिन अभी तक हाईकमान से उनकी मुलाकात नहीं हुई है. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी हाईकमान इस समय महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर माथापच्ची कर रहा है और यही कारण है कि हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं कर पाई है.
शिवसेना और बीजेपी का गतिरोध जारी
दरअसल, हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक साथ हुए और एक साथ ही चुनाव परिणाम आए. दोनों ही राज्यों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ. हरियाणा में तो बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली, लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं.
50-50 के फॉर्मूले पर बीजेपी सहमत नहीं- सूत्र
बीजेपी और शिवसेना के बीच पूरा विवाद 50-50 फॉर्मूले को लेकर है. शिवसेना बार-बार बीजेपी को उसका वादा याद दिला ला रही है तो वहीं बीजेपी राजी होने को तैयार नहीं है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, 50-50 फॉर्मूले का मतलब सरकार में बराबरी की हिस्सेदारी से था. ढाई-ढाई साल के सीएम पद के लिए नहीं था. मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी पीछे हटने को तैयार नहीं है. बीजेपी को उम्मीद है कि शिवसेना से गतिरोध 8 नवंबर तक सुलझ जाएगा.
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मंत्रियों पर फंसा पेंच
हरियाणा में सरकार तो बन चुकी है. मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री और दुष्यंत चौटाला ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ भी ले ली है, लेकिन गठबंधन सरकार में मंत्रियों को लेकर पेंच फंसा हुआ है. इसी को लेकर दिल्ली में हरियाणा भवन में बीजेपी की बैठकों का दौर जारी है. बीजेपी के दो मंत्रियों और मुख्यमंत्री को छोड़कर लगभग सभी दिग्गज चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में पार्टी के सामने एक नई चुनौती ये भी है कि नए चेहरों में से किसे मंत्री पद दिया जाए और किसे नहीं.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा
हालांकि चर्चा है कि बीजेपी की ओर से जेजेपी को दो मंत्री पद दिए जा सकते हैं. वहीं दो या तीन निर्दलीयों को भी मंत्री बनाया जा सकता है. बाकी के सभी मंत्री बीजेपी कोटे से होंगे. बचे निर्दलीय विधायकों को चेयरमैन और दूसरे पदों से संतुष्ट करने की कोशिश होगी.
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