चंडीगढ़: शराब घोटाले की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने पर इनेलो नेता अभय चौटाला ने हरियाणा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट प्रदेश की जनता की आंखों में धूल झोंकने के सिवाय और कुछ नहीं है. घोटाले की जांच के लिए बनाई गई एसईटी पर हमला बोलते हुए कहा कि ये सिर्फ घोटाले के असली मास्टर माइंड और बड़े-बड़े मगरमच्छों को बचाने के लिए बनाई गई है.
गौरतलब है कि पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब को लॉकडाउन के दौरान पुलिस और माफियाओं ने गठजोड़ करके बेच दिया था. जिसकी पोल खुलने पर सरकार बैकफूट पर आ गई थी और आनन-फानन में शराब घोटाले की जांच के लिए एक एसआईटी बना दी थी. बाद में इसका नाम बदलकर एसईटी कर दिया था. शुक्रवार को इस एसईटी की रिपोर्ट को गृह मंत्री ने सार्वजनिक किया है.
दो अधिकारियों पर कार्रवाई महज खानापूर्ति
अभय चौटाला ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करके सरकार ने हमारी आशंकाओं को सच साबित कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर विजिलेंस को जांच सौंपना और एक आईएएस व एक आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई करना महज खानापूर्ति है. अभय ने कहा कि विजिलेंस की जगह मामले की जांच सीबीआई या ईडी से करवाई जानी चाहिए.
ताकतवर लोगों को बचा रही सरकार
इनेलो नेता ने कहा कि ये शराब घोटाला कोई छोटा-मोटा घोटाला नहीं है बल्कि सैकड़ों करोडों रुपये का घोटाला है. जिसमें शराब को तय समय के बाद नष्ट नहीं किया गया और शराब की बोतलों को वहां से निकाल कर महंगे दामों में बेचा गया. इसमें अधिकारियों के साथ-साथ बड़े ताकतवर लोग जुड़े हैं. जिनका पर्दाफाश होना बेहद जरूरी है, लेकिन सरकार उनको बचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है. जिससे सरकार की नियत में खोट दिखाई देता है. इनेलो नेता ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का वादा कर सत्ता में आई है, लेकिन आज प्रदेश की जनता अपने आप को ठगा महसूस कर रही है.
अभय ने कहा कि अगर प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर थोड़ी भी गंभीर है, तो हम मांग करते हैं कि इस शराब घोटाले की जांच विजिलेंस से करवाने की बजाय सीबीआई या ईडी से करवाई जाए. ताकि इस घोटाले में संलिप्त जितने भी भ्रष्ट अधिकारी व रसूखदार लोग जिनको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. उनका चेहरा जनता के सामने आ सके.
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क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम के ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.
कैसे हुई थी तस्करी?
खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. ये गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी.
इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी. पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी.