चंडीगढ़: नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder singh Hooda) ने चंडीगढ़ स्थित अपने निवास स्थान पर विधायक दल की बैठक बुलाई. पंजाब में हुई सियासी उलटफेर के बाद इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. जानकारों का माना है कि पंजाब में हुई उठापटक के बाद हरियाणा में भी हुड्डा विरोधी कांग्रेसियों के हौसले बढ़े हैं और वो भी पंजाब की तरह हरियाणा कांग्रेस में फेरबदल की बात हाईकमान के सामने उठा सकते हैं.
खास बात ये रही कि इस बैठक में कांग्रेस विधायक किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई, शैली चौधरी और रेनू बाला नहीं पहुंचे. भूपेंद्र हुड्डा की इस बैठक में कांग्रेस के 31 में से 27 विधायक ही पहुंचे. बैठक में फैसला किया गया कि हरियाणा में कांग्रेस बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, बढ़ता अपराधिक ग्राफ, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर हरियाणा सरकार को घेरेगी. हर जिले में विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा. इन प्रदर्शन की अगुवाई भूपेंद्र सिंह हुड्डा करेंगे.
जानकारों की माने तो पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने बदले राजनीतिक हालात के बीच बैठक के बहाने पार्टी के विधायकों की नब्ज टटोलने का काम किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि हुड्डा किसी भी मामले में कमजोर व्यक्ति तो नहीं है. वो अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए पहले से तैयार रहते हैं. हो सकता है कि ये बैठक इसी रणनीति के तहत बुलाई गई है.
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पंजाब की तरह हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी भी किसी से छिपी नहीं है. पहले हुड्डा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच ठंडी रहती थी, लेकिन जब कांग्रेस हाईकमान ने अशोक तंवर से प्रदेश अध्यक्ष का पद छीना, तो हुड्डा ग्रुप को काफी राहत मिली थी. हुड्डा कई बार हाईकमान के सामने प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा को बदलने की मांग भी उठा चुके हैं. दूसरी ओर कुमारी सैलजा और उनके कुछ समर्थक विधायक हुड्डा की शिकायत करने से नहीं चूकते. हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ये बैठक कृषि कानूनों के विरोध को लेकर नई रणनीति तैयार करने के लिए बुलाई गई है और इस बैठक में कृषि कानूनों को लेकर ही चर्चा की गई.