चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सोनीपत सीट से करारी हार का सामना पड़ा. हुड्डा को हराने के लिए बीजेपी के टिकट पर कभी उन्हीं के साथ कांग्रेस में रहे रमेश कौशिक थे.
हुड्डा ने कभी कटवाया था कौशिक का टिकट!
कौशिक और हुड्डा का कनेक्शन बहुत पुराना है. रमेश कौशिक भी पुराने कांग्रेसी हैं. 2005 में रमेश कौशिक राई से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े और जीते. हुड्डा सरकार में उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया. लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में हुड्डा ने कौशिक को टिकट नहीं दिया. उसके बाद उन्होंने हुड्डा पर कई आरोप लगाए. इसके बाद हुड्डा और कौशिक के बीच दूरियां बढ़ती गईं और 2013 में वो कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. लेकिन मोदी लहर में जिस हुड्डा ने कभी कौशिक का टिकट कटवा दिया था उसे उन्होंने डेढ़ लाख से ज्यादा वोट से पटखनी दी.
ससुराल में मात खा गए हुड्डा
सोनीपत जाट बहुल सीट है. कांग्रेस की रणनीति थी कि कद्दावर जाट नेता हुड्डा को यहां से उतारकर एक सीट अपने खाते में डाल लेगी. सोनीपत में भूपेन्द्र हुड्डा का ससुराल भी है. जब उन पर बाहरी उम्मीदवार होने का आरोप लगा तो उन्होंने यही कहकर अपना बचाव किया यहां उनकी ससुराल है. इसीलिए कांग्रेस आलाकमान ने भूपेंद्र हुड्डा को सोनीपत की जिम्मेदारी सौंपी थी. लेकिन कांग्रेस की ये रणनीति फेल रही और हुड्डा को रमेश कौशिक के हाथों बुरी हार का सामना करना पड़ा.
रमेश कौशिक का राजनीतिक सफर
रमेश कौशिक ने 1990 में राजनीति में कदम रखा. उन्होंने पहला चुनाव 1991 में हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर कैलाना विधानसभा क्षेत्र से लड़ा, लेकिन हार गए. 1996 में एचवीपी ने उन्हें फिर से टिकट देकर मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की. बंसीलाल सरकार में वह श्रम और रोजगार मंत्री भी बने.