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SPECIAL: पानी बचा लीजिए नहीं तो कुछ नहीं बचेगा

साल 1974 में हरियाणा में 9.19 मीटर पर भूजल उपलब्ध था. जो अब 8.56 की गिरावट के साथ 17.75 मीटर तक पहुंच गया है. कुरुक्षेत्र जिले में भूजल 24.32 मीटर जबकि महेंद्रगढ़ में 28.85 मीटर तक नीचे चला गया है. प्रदेश में नलकूपों की संख्या कई गुना बढ़ गई है. 1967 में हरियाणा में 7767 डीजल जबकि 20,190 बिजली नलकूप थे. साल 2016-17 में डीजल नलकूपों की संख्या 3 लाख से ज्यादा जबकि बिजली नलकूपों की संख्या लगभग 6 लाख पहुंच गई. फिलहाल प्रदेश में भूजल के हिसाब से लगभग 70 ब्लॉक डार्क जोन में हैं.

जल संकट
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Published : Jun 8, 2019, 5:48 PM IST

चंडीगढ़ः प्रदेश में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है. अब तो इसके लिए सरकार भी गंभीर नजर आ रही है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि हम जल संकट से जूझ रहे हैं पानी लगातार नीचे जा रहा है. उन्होंने किसानों से अपील की थी कि इस बार धान कम लगाएं. लेकिन क्या ये सिर्फ सरकार या संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है. एक आम आदमी के तौर पर हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं. हमें भी पानी की समस्या से निपटने के लिए कुछ तो करना चाहिए. क्योंकि आई.डब्ल्यू.एम. की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक बहुत सी भारतीय नदियों में पानी का संकट होगा.

क्लिक कर देखें वीडियो

हम पानी बचाने के लिए क्या कर सकते हैं ?
⦁ घर की छत पर बरसाती पानी इकट्ठा किया जा सकता है इसे जाली या फिल्टर कपड़े से ढककर जल संरक्षण हो सकता है.
⦁ तालाबों पर अतिक्रमण से बचें ताकि इनका अस्तित्व बचा रहे.
⦁ तालाबों, नदियों और समुद्र में कचरा, रासायनिक पदार्थ न फेंकें.
⦁ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं.
⦁ घर में ज्याादा पानी न बहाएं.
⦁ कार धोने, फर्श धोने पर ज्यादा पानी खर्च न करें.
⦁ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में पानी चलाकर न छोड़ें.
⦁ जितनी जरूरत हो उतना ही पानी इस्तेमाल करें.
इसके अलावा भी कई उपाय हैं जिनके सहारे पानी बचाया जा सकत है लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता है. तो नीचे हम कुछ उपाय बता रहे हैं जिनके सहारे जलस संरक्षण किया जा सकता है.

ऐसे भी किया जा सकता है जल संरक्षण
⦁ रेनवाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
⦁ तालाबों, गड्ढों, पोखरों की नियमित सफाई की जानी चाहिए.
⦁ प्रयोग किए गए जल को शोधन के उपरांत ही नदी में छोड़ा जाना चाहिए.
⦁ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विशेष जल निस्तारण व्यवस्था करके अतिरिक्त जल को अन्य स्थान पर संरक्षित करने का प्रयोग किया जा सकता है.
⦁ पोखरों में एकत्रित जल से सिंचाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
⦁ शहरों में हर घर के लिये रिचार्ज कूपों का निर्माण जरूर किया जाना चाहिए.
⦁ तालाबों, पोखरों, के किनारे वृक्ष लगाने की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए.
⦁ बंजर भूमि एवं पहाड़ी ढालों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए.
⦁ ऊँचे स्थानों, बाँधों इत्यादि के पास गहरे गड्ढे खोदे जाने चाहिए जिससे उनमें वर्षा जल एकत्रित हो जाए.
⦁ कृषि भूमि में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिये हरित खाद और उचित फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए.
⦁ पेयजल आपूर्ति करने वाली पाइप लाइनों की निरंतर देखभाल होनी चाहिए.
पानी बचाने के लिए सरकार को भी कुछ कड़े कदम उठाने होंगे. वरना हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और तब उससे पार पाना बेहद मुश्किल होगा.

सरकार को जल संरक्षण के लिए क्या करना चाहिए ?
⦁ गांव और शहरों में बरसाती पानी इकट्ठा करने के लिए एक ठोस योजना बने.
⦁ पानी की बर्बादी के लिए कड़ा कानून बने. जिसमें सजा का प्रावधान हो.
⦁ नदियों में प्रदूषण की रोकथाम के लिये उस क्षेत्र के अधिकारी एवं जन प्रतिनिधि की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए.
⦁ तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी.
⦁ कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसके तहत नदियों के मीठे जल का अधिक-से-अधिक उपयोग किया जा सके.
⦁ समुद्री जल का शोधन कर कृषि कार्यों में उपयोग किया जा सके, ऐसी कोई तरकीब बने.

पानी बचाना क्यों ज़रूरी है ?
हमारे प्रदेश में जल संकट गहराता जा रहा है. दरअसल हरियाणा में 6800 से ज्यादा गांव हैं. जहां प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 40 लीटर से भी कम पानी उपलब्ध हो रहा है. 4062 गांवों में 40 से 55 लीटर के बीच और 2615 गांवों में 70 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से मुहैया है. गर्मी के सीजन के चलते इस पानी की उपलब्धता में भी खासी कमी आ गई है. सबसे भयंकर स्थिति राजस्थान की सीमा से सटे जिलों में है. यही हाल दक्षिण हरियाणा के आधा दर्जन जिलों का है, जहां पानी के लिए लोग और मवेशी तरस रहे हैं.

पहले भी हुआ था जल संकट
इससे पहले भिवानी में जब जल संकट पैदा हुआ था. तब भिवानी में टैंकर से पानी उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई थी. अब राज्य सरकार ने भी इसी तर्ज पर पानी मुहैया कराने का दावा किया है, लेकिन सरकार के प्रयास सिरे चढ़ते नजर नहीं आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया था कि कुछ स्थानों पर सिर्फ इसलिए चुनाव का बहिष्कार किया गया, क्योंकि पानी और बिजली की समस्या थी. अब सरकार इसे गंभीरता से लेकर उनका समाधान करने में लगी है.

चंडीगढ़ः प्रदेश में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है. अब तो इसके लिए सरकार भी गंभीर नजर आ रही है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि हम जल संकट से जूझ रहे हैं पानी लगातार नीचे जा रहा है. उन्होंने किसानों से अपील की थी कि इस बार धान कम लगाएं. लेकिन क्या ये सिर्फ सरकार या संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है. एक आम आदमी के तौर पर हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं. हमें भी पानी की समस्या से निपटने के लिए कुछ तो करना चाहिए. क्योंकि आई.डब्ल्यू.एम. की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक बहुत सी भारतीय नदियों में पानी का संकट होगा.

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हम पानी बचाने के लिए क्या कर सकते हैं ?
⦁ घर की छत पर बरसाती पानी इकट्ठा किया जा सकता है इसे जाली या फिल्टर कपड़े से ढककर जल संरक्षण हो सकता है.
⦁ तालाबों पर अतिक्रमण से बचें ताकि इनका अस्तित्व बचा रहे.
⦁ तालाबों, नदियों और समुद्र में कचरा, रासायनिक पदार्थ न फेंकें.
⦁ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं.
⦁ घर में ज्याादा पानी न बहाएं.
⦁ कार धोने, फर्श धोने पर ज्यादा पानी खर्च न करें.
⦁ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में पानी चलाकर न छोड़ें.
⦁ जितनी जरूरत हो उतना ही पानी इस्तेमाल करें.
इसके अलावा भी कई उपाय हैं जिनके सहारे पानी बचाया जा सकत है लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता है. तो नीचे हम कुछ उपाय बता रहे हैं जिनके सहारे जलस संरक्षण किया जा सकता है.

ऐसे भी किया जा सकता है जल संरक्षण
⦁ रेनवाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
⦁ तालाबों, गड्ढों, पोखरों की नियमित सफाई की जानी चाहिए.
⦁ प्रयोग किए गए जल को शोधन के उपरांत ही नदी में छोड़ा जाना चाहिए.
⦁ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विशेष जल निस्तारण व्यवस्था करके अतिरिक्त जल को अन्य स्थान पर संरक्षित करने का प्रयोग किया जा सकता है.
⦁ पोखरों में एकत्रित जल से सिंचाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
⦁ शहरों में हर घर के लिये रिचार्ज कूपों का निर्माण जरूर किया जाना चाहिए.
⦁ तालाबों, पोखरों, के किनारे वृक्ष लगाने की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए.
⦁ बंजर भूमि एवं पहाड़ी ढालों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए.
⦁ ऊँचे स्थानों, बाँधों इत्यादि के पास गहरे गड्ढे खोदे जाने चाहिए जिससे उनमें वर्षा जल एकत्रित हो जाए.
⦁ कृषि भूमि में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिये हरित खाद और उचित फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए.
⦁ पेयजल आपूर्ति करने वाली पाइप लाइनों की निरंतर देखभाल होनी चाहिए.
पानी बचाने के लिए सरकार को भी कुछ कड़े कदम उठाने होंगे. वरना हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और तब उससे पार पाना बेहद मुश्किल होगा.

सरकार को जल संरक्षण के लिए क्या करना चाहिए ?
⦁ गांव और शहरों में बरसाती पानी इकट्ठा करने के लिए एक ठोस योजना बने.
⦁ पानी की बर्बादी के लिए कड़ा कानून बने. जिसमें सजा का प्रावधान हो.
⦁ नदियों में प्रदूषण की रोकथाम के लिये उस क्षेत्र के अधिकारी एवं जन प्रतिनिधि की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए.
⦁ तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी.
⦁ कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसके तहत नदियों के मीठे जल का अधिक-से-अधिक उपयोग किया जा सके.
⦁ समुद्री जल का शोधन कर कृषि कार्यों में उपयोग किया जा सके, ऐसी कोई तरकीब बने.

पानी बचाना क्यों ज़रूरी है ?
हमारे प्रदेश में जल संकट गहराता जा रहा है. दरअसल हरियाणा में 6800 से ज्यादा गांव हैं. जहां प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 40 लीटर से भी कम पानी उपलब्ध हो रहा है. 4062 गांवों में 40 से 55 लीटर के बीच और 2615 गांवों में 70 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से मुहैया है. गर्मी के सीजन के चलते इस पानी की उपलब्धता में भी खासी कमी आ गई है. सबसे भयंकर स्थिति राजस्थान की सीमा से सटे जिलों में है. यही हाल दक्षिण हरियाणा के आधा दर्जन जिलों का है, जहां पानी के लिए लोग और मवेशी तरस रहे हैं.

पहले भी हुआ था जल संकट
इससे पहले भिवानी में जब जल संकट पैदा हुआ था. तब भिवानी में टैंकर से पानी उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई थी. अब राज्य सरकार ने भी इसी तर्ज पर पानी मुहैया कराने का दावा किया है, लेकिन सरकार के प्रयास सिरे चढ़ते नजर नहीं आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया था कि कुछ स्थानों पर सिर्फ इसलिए चुनाव का बहिष्कार किया गया, क्योंकि पानी और बिजली की समस्या थी. अब सरकार इसे गंभीरता से लेकर उनका समाधान करने में लगी है.

Intro:औद्योगिक नगरी पानीपत में आए दिन होते हैं आग लगने के बड़े बड़े हादसे जिले में हादसों को नियंत्रण करने के लिए चार फायर स्टेशन पर इन फायर स्टेशनों की बात करें तो यहां कर्मचारियों कमी न होकर सुरक्षा उपकरणों का टोटा है जिले के फायर स्टेशनों पर 12 गाड़ी चालू स्थिति में है और 6 गाड़ियों को कंडम घोषित कर दिया गया है।

लीडिंग फायरमैन ने बताया कि वह जब घटनास्थल पर पहुंचते हैं तो फायर स्टेशन से निकलते ही उनके लिए एक संघर्ष का दौर शुरू हो जाता है लोगों की भीड़ भाड़ और हूटर बजाने के बाद भी रास्ता नहीं मिल पाता हर मिनट कीमती होता है पर लोगों की भीड़ को देखते हुए घटनास्थल पर पहुंचने में देरी हो जाती है बिल्डिंग ऊंची होने के कारण हाइड्रोलिक सीढ़ियां तक उनके पास नहीं है और हाइड्रोलिक सीडीएम ना होने के चलते ही सूरत में हुए भयंकर हादसे में मौत ज्यादा हुई है।

आग हादसे में फायर ब्रिगेड कर्मचारी के लिए मुख्य होता है ऑक्सीजन सिलेंडर हर विभाग के अधिकारियों का मानना है की ऑक्सीजन सिलेंडर को चलाने के लिए बड़ी सूझबूझ की जरूरत होती है और ऐसी हड़बड़ाहट में वह इसे प्रयोग नहीं कर सकते।

फायर ऑफिसर एसएन भारद्वाज ने बताया कि जिले में इस साल में अब तक आग लगने के कारण 4 लोगों की मौत हुई है पर सभी हादसों में मौत का कारण दम घुटना था।

बाईट:-अमित पूरी लीडिंग फायरमैन


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