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'मंत्री जी' से पूछा अस्पताल का हाल, बोले मुझे हल्के में मत लो

जब पत्रकार ने बताने की कोशिश की कि कांग्रेस राज में अस्पताल बना था उसकी हालत बेहद खस्ता है. तो केंद्रीय मंत्री और ज्यादा भड़क गये और बोले मैं आपको पत्रकारिता समझाता हूं. आप मुझे हल्के में मत लो. मुझे क्या पता कहीं पानी आया कि नहीं आया.

बीरेंद्र सिंह
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Published : May 6, 2019, 9:33 PM IST

हिसार: लोकसभा चुनाव में अब कम ही वक्त बचा है. नेता इस वक्त जनता के दर पर हैं. लेकिन कब तक हैं ये नहीं पता. क्योंकि राजनीति की हनक के किस्से तो आपने सुने ही होंगे. इन्हीं किस्सों में एक और किस्सा जोड़ दीजिये, वो इसलिए क्योंकि हिसार में केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पत्रकार पर भड़क गये. क्योंकि उनसे अस्पताल को लेकर सवाल पूछ लिया गया.

'मैं भारत सरकार का मंत्री हूं'
पत्रकार ने लाडवा के एक सरकारी अस्पताल को लेकर सवाल करना शुरु ही किया था कि चौधरी बीरेंद्र सिंह बीच में ही टोकते हुए बोले कि स्थानीय मुद्दे के लिए किसी विधायक को पकड़ लेना. मैं भारत सरकार का मंत्री हूं कोई राजनीतिक सवाल है तो उसका जवाब दे दूंगा. अब अस्पताल नहीं है, पानी नहीं आता इसका क्या जवाब दूं.

क्लिक कर देखें वीडियो

'मुझे हल्के में मत लो'
जब पत्रकार ने बताने की कोशिश की कि कांग्रेस राज में अस्पताल बना था उसकी हालत बेहद खस्ता है. तो केंद्रीय मंत्री और ज्यादा भड़क गये और बोले मैं आपको पत्रकारिता समझाता हूं. आप मुझे हल्के में मत लो. मुझे क्या पता कहीं पानी आया कि नहीं आया.

'47 साल से राजनीति में हूं'
जब पत्रकार ने कहा कि आपको स्थानीय मुद्दों की जानकारी तो होनी चाहिए तो कहने लगे मैं 47 साल से राजनीति में हूं. मैंने इलेक्शन जीते हैं, मैं कोई हवा में नेता नहीं बना. 47 साल तक अगर कोई जिंदा रहा है तो वो बीरेंद्र सिंह है वरना न जाने कितनों के बिस्तर बंध लिये.

हिसार: लोकसभा चुनाव में अब कम ही वक्त बचा है. नेता इस वक्त जनता के दर पर हैं. लेकिन कब तक हैं ये नहीं पता. क्योंकि राजनीति की हनक के किस्से तो आपने सुने ही होंगे. इन्हीं किस्सों में एक और किस्सा जोड़ दीजिये, वो इसलिए क्योंकि हिसार में केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पत्रकार पर भड़क गये. क्योंकि उनसे अस्पताल को लेकर सवाल पूछ लिया गया.

'मैं भारत सरकार का मंत्री हूं'
पत्रकार ने लाडवा के एक सरकारी अस्पताल को लेकर सवाल करना शुरु ही किया था कि चौधरी बीरेंद्र सिंह बीच में ही टोकते हुए बोले कि स्थानीय मुद्दे के लिए किसी विधायक को पकड़ लेना. मैं भारत सरकार का मंत्री हूं कोई राजनीतिक सवाल है तो उसका जवाब दे दूंगा. अब अस्पताल नहीं है, पानी नहीं आता इसका क्या जवाब दूं.

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'मुझे हल्के में मत लो'
जब पत्रकार ने बताने की कोशिश की कि कांग्रेस राज में अस्पताल बना था उसकी हालत बेहद खस्ता है. तो केंद्रीय मंत्री और ज्यादा भड़क गये और बोले मैं आपको पत्रकारिता समझाता हूं. आप मुझे हल्के में मत लो. मुझे क्या पता कहीं पानी आया कि नहीं आया.

'47 साल से राजनीति में हूं'
जब पत्रकार ने कहा कि आपको स्थानीय मुद्दों की जानकारी तो होनी चाहिए तो कहने लगे मैं 47 साल से राजनीति में हूं. मैंने इलेक्शन जीते हैं, मैं कोई हवा में नेता नहीं बना. 47 साल तक अगर कोई जिंदा रहा है तो वो बीरेंद्र सिंह है वरना न जाने कितनों के बिस्तर बंध लिये.

NEWS BY - SAJJAN KUMAR / HISAR
SLUG - केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेन्द्र सिंह की स्थानीय सवांददाता के सवाल पर दो टूक, स्थानीय समस्याएं सुनना नहीं है उनका काम !
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एंकर -- केंद्र में मोदी सरकार के इस्पात मंत्री बिरेंदर सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह के चुनावी प्रचार की कमान संभाले हुए हैं और इसी कड़ी में वह गांव-गांव जाकर उनके लिए वोटों की अपील कर रहे हैं। रविवार को देर रात्रि बिरेंदर सिंह बरवाला विधानसभा के लाडवा गांव में पहुंचे जहां पत्रकारों ने उनसे गांव में हॉस्पिटल की समस्या से अवगत करवाते हुए उनका पक्ष जाना चाहा, लेकिन वीरेंद्र सिंह इस सवाल पर  आग बबूला हो गए। उन्होंने गुस्से में तमतमाते हुए कहा कि वो केंद्र सरकार के मंत्री हैं और स्थानीय मुद्दों के सवाल या तो किसी विधायक से पूछे या फिर सरकार के मंत्रियों से ! वो खुद सिर्फ राजनीतिक सवालों के ही जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल नहीं है या फिर पानी नहीं आ रहा ऐसे सवाल उनसे ना पूछे जाएं। उन्होंने दो टूक कहा कि उन्हें नहीं पता है कि कहां पानी आया है या फिर नहीं आया। जब उनसे स्थानीय संवाददाता ने पुनः सवाल दोहराना चाहा तो मंत्री जी ने जवाब दिया कि जब जीतकर उनके बेटे 2 महीने या 6 महीने बाद यहां आए तो इस प्रकार के सवाल उनसे करना !! केंद्रीय मंत्री इस पर ही नहीं रुके बल्कि उल्टे स्थानीय संवाददाता को ही मीडिया के एथिक्स सिखाना शुरू हो गए। 

इन सब बातों के बीच में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है क्या चौधरी बिरेंद्र सिंह सरीखे बड़े नेताओं को आम जनमानस के मुद्दों से कुछ भी लेना देना नहीं है या फिर वह सिर्फ अपनी चुनावी रोटियां सेकने के लिए ही जनता के बीच में जाते हैं। अगर केंद्रीय नेतृत्व वाले नेता भी आम जनमानस की समस्याओं को नहीं सुनेंगे तो लोग अपना दुखड़ा किसे सुनाने जाएँगे। हालांकि आखिरी फैसला हिसार लोकसभा की जनता को लेना है कि वो किन नेताओं पर अपना विश्वास जमा पाते हैं लेकिन इस तरीके की बेरुखी केंद्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह के बेटे की पॉलीटिकल लॉन्चिंग में एक बड़ा रोड़ा जरूर साबित हो सकती है।

बाइट - चौधरी बीरेन्द्र सिंह, केंद्रीय इस्पात मंत्री भारत सरकार

 
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