चंडीगढ़: कॉलोनियों को गिराने से पहले लोगों के पुनर्वास को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यूटी प्रशासन ने लोगों के पुनर्वास की योजनाएं बताई.
इसपर हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें योजनाएं नहीं बल्कि एक्शन बताओ. वहीं अगली सुनवाई पर ये जानकारी दी जाए कि कितने लोगों के आशियाने तोड़े गए और कितने लोगों का पुनर्वास किया गया है.
मामले में याचिका दाखिल करते हुए प्रवासी भलाई संगठन की ओर से कहागया था कि शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर गरीब लोगों को परेशान किया जा रहा है. जो लोग शहर को स्मार्ट और ब्यूटीफुल बनाने में मेहनत मजदूरी कर अपना योगदान दे रहे हैं. उनके आशियाने को ही प्रशासन ने गिराने की तैयारी कर ली है.
जानकारी के मुताबिक,प्रशासन द्वारा कॉलोनी नंबर 4, संजय कॉलोनी, आदर्श कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी तथा सेक्टर-25 की इंदिरा कॉलोनी के निवासियों को ये स्थान खाली करवाने और इसे गिरानेकी तैयारी आरंभ कर दी है. इससे पूर्व मलोया की लेबर कॉलोनी को 25 अप्रैल तथा लाल बहादुर शास्त्री कॉलोनी को 29 अप्रैल को गिरा दिया गया था. प्रशासन ने पुलिस की मदद से ये सारा काम जोर-जबरदस्ती से करवाया था और इन कॉलोनीवासियों को न तो कोई नोटिस दिया गया था और नाही उनके रहने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी.
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की कि जब तक इनके रहने की कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की जाती है तब तक इन पांच कॉलोनियों के निवासियों को यहां से न निकाला जाए. हाईकोर्ट ने इससे पहले 2016 में कॉलोनियां गिराने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद अब जब याचिका सुनवाई के लिए पहुंची तो कॉलोनियों को लेकर वर्तमान की स्थिति यूटी प्रशासन हाईकोर्ट में नहीं बता सका और योजनाएं गिनवाने लगा. इसपर हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें योजनाएं नहीं एक्शन चाहिए. अगली सुनवाई पर अब प्रशासन को विस्तृत हलफनामे के माध्यम से इस बारे में जानकारी देनी होगी.