भिवानीः जिला नगर परिषद की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठाए गए हैं. राज्य सूचना आयोग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए दो साल तक आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर अधिकारियों पर अपनी सख्त टिप्पणी दी है.
राज्य सूचना आयोग ने नगर परिषद के एसपीआईओ, सचिव राजेश महता और बीआई दलबीर को समय पर आरटीआई कार्यकर्ता को सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराए जाने के मामले में चार बार व्यक्तिगत रूप से तलब किया था, लेकिन अधिकारी एक बार भी आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए.
25-25 हजार का लगा जुर्माना
नगर परिषद अधिकारियों की लापरवाही को लेकर राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई एक्ट के प्रति गंभीरता नहीं दिखाने वाले नगर परिषद के सचिव राजेश महता और बीआई दलबीर को अंतिम चेतावनी जारी कर दी है.
चेतावनी में साफ किया कि आदेशों की अनुपालना नहीं करने पर उनके खिलाफ नियमित जांच एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश चीफ सेक्ट्री को भेजी जाएगी. इतना ही नहीं दोनों ही अधिकारियों को 25-25 हजार का जुर्माना लगाए जाने का नोटिस भी जारी कर दिया है.
लापरवाही बरतने पर हुई कार्रवाई- RTI
राज्य सूचना आयोग ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ भेजी गई टिप्पणी में ये भी स्पष्ट किया है कि आरटीआई के प्रति लापरवाही बरतने वाले नगर परिषद सचिव राजेश महता और बीआई दलबीर के खिलाफ नियमित जांच एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई या तो अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा खुद की जाएगी या फिर विभाग का कोई वरिष्ठ अधिकारी मामले की जांच करेगा. राज्य सूचना आयोग ने दो सप्ताह के अंदर इन सिफारिशों पर कार्रवाई सुनिश्चित किए जाने की भी बात कही गई है.
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ये है मामला
दरअसल, स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 4 अक्टूबर 2017 को भिवानी नगर परिषद से छह नामी निजी स्कूलों के भवन से जुड़ी आरटीआई से जानकारी एसपीआईओ से मांगी थी. इसमें पहली अपील 9 नवंबर को डीसी के समक्ष की थी. जिसमें दो सप्ताह के अंदर जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे.
इसके बाद मामला 11 जनवरी 2018 को राज्य सूचना आयोग के समक्ष पहुंचा. इस मामले में राज्य सूचना आयोग, आरटीआई कार्यकर्ता को सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने पर लगातार 4 बार नप सचिव राजेश महता और बीआई दलबीर को व्यक्तिगत पेश होने के आदेश देता रहा, लेकिन दोनों ही अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.