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गरीब मां ने संघर्ष कर पढ़ाया तो बेटे परवेज आलम ने हासिल किया गोल्ड मेडल, जन्म के 6 माह बाद ही हो गया था पिता का देहांत

पिनगवां कस्बे के एक गरीब परिवार के बेटे परवेज आलम ने जीडी गोयंका यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल हासिल किया.

Gold Medalist Parvez Alam
Gold Medalist Parvez Alam (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 25, 2024, 2:14 PM IST

Updated : Nov 25, 2024, 3:04 PM IST

नूंह: मेवात में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. कमी है तो उन्हें तराशने वालों की. नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के एक गरीब परिवार के बेटे परवेज आलम ने जीडी गोयंका यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल हासिल कर कस्बे का नाम रोशन किया है. पिनगवां कस्बे में पहुंचने पर कस्बा वासियों ने परवेज आलम का फूल मालाओं से स्वागत किया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की. इस दौरान परिवार में भी जश्न का माहौल रहा. वहीं, परवेज के घर पर बधाई देने वालों का तांता भी लगा हुआ है.

मां ने किया संघर्ष: आपको बता दें कि परवेज आलम पिनगवां कस्बे के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. परवेज के पिता उन्हें महज 6 महीने की उम्र में इस दुनिया से छोड़कर चले गए थे. उसके बाद उसकी मां ने उनकी परवरिश की. मां ने मजदूरी मेहनत कर उसे पढ़ाया और इस काबिल बनाया. परवेज आलम ने पहली से बारहवीं तक की शिक्षा श्री तुलाराम गीता विद्या मंदिर पिनगवां से प्राप्त की और उसके बाद बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर जीडी गोयंका यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल प्राप्त किया है.

Gold Medalist Parvez Alam (Etv Bharat)

गोल्ड मेडल से सम्मानित हुए परवेज: परवेज आलम ने अपने विश्वविद्यालय में प्रथम परफॉर्मेंस का सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया है. 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले छात्रों के लिए जीडी गोयनका विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षांत समारोह मानेकशॉ सेंटर, खैबर लाइंस दिल्ली छावनी, नई दिल्ली में आयोजित किया गया. भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्य अतिथि के रूप में और पूर्व केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) पीवीएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एडीसी, पूर्व सेनाध्यक्ष ने परवेज को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया.

मां को दिया सफलता का श्रेय: परवेज ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया है. उन्होंने कहा कि असल में ये जीत उनकी माता की है. जिन्होंने कड़े संघर्ष में उनकी इस सफलता के लिए खुद भी जी तोड़ मेहनत की है. हर कठिनाई का सामना किया है. जिसे आज मुकाम हासिल हुआ है. उन्होंने बताया कि परिवार में और रिश्तेदारों में भी काफी उत्सुकता का माहौल है. एग्रीकल्चर फील्ड में ही आगे भी अपना करियर बनाना चाहते हैं. जिसके लिए अभी मेहनत और संघर्ष जारी है.

ये भी पढ़ें: करनाल की बेटी "चंचल" का कमाल, पहली कोशिश में बन गई सिविल जज, जानिए सफलता का "मंत्र"

ये भी पढ़ें: हरियाणा की बेटी राजस्थान में बनी जज, पिता के निधन के बाद चाचा ने पढ़ाया, कड़ी मेहनत से पाई सफलता

नूंह: मेवात में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. कमी है तो उन्हें तराशने वालों की. नूंह जिले के पिनगवां कस्बे के एक गरीब परिवार के बेटे परवेज आलम ने जीडी गोयंका यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल हासिल कर कस्बे का नाम रोशन किया है. पिनगवां कस्बे में पहुंचने पर कस्बा वासियों ने परवेज आलम का फूल मालाओं से स्वागत किया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की. इस दौरान परिवार में भी जश्न का माहौल रहा. वहीं, परवेज के घर पर बधाई देने वालों का तांता भी लगा हुआ है.

मां ने किया संघर्ष: आपको बता दें कि परवेज आलम पिनगवां कस्बे के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. परवेज के पिता उन्हें महज 6 महीने की उम्र में इस दुनिया से छोड़कर चले गए थे. उसके बाद उसकी मां ने उनकी परवरिश की. मां ने मजदूरी मेहनत कर उसे पढ़ाया और इस काबिल बनाया. परवेज आलम ने पहली से बारहवीं तक की शिक्षा श्री तुलाराम गीता विद्या मंदिर पिनगवां से प्राप्त की और उसके बाद बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर जीडी गोयंका यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल प्राप्त किया है.

Gold Medalist Parvez Alam (Etv Bharat)

गोल्ड मेडल से सम्मानित हुए परवेज: परवेज आलम ने अपने विश्वविद्यालय में प्रथम परफॉर्मेंस का सर्टिफिकेट भी प्राप्त किया है. 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले छात्रों के लिए जीडी गोयनका विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षांत समारोह मानेकशॉ सेंटर, खैबर लाइंस दिल्ली छावनी, नई दिल्ली में आयोजित किया गया. भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्य अतिथि के रूप में और पूर्व केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) पीवीएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एडीसी, पूर्व सेनाध्यक्ष ने परवेज को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया.

मां को दिया सफलता का श्रेय: परवेज ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया है. उन्होंने कहा कि असल में ये जीत उनकी माता की है. जिन्होंने कड़े संघर्ष में उनकी इस सफलता के लिए खुद भी जी तोड़ मेहनत की है. हर कठिनाई का सामना किया है. जिसे आज मुकाम हासिल हुआ है. उन्होंने बताया कि परिवार में और रिश्तेदारों में भी काफी उत्सुकता का माहौल है. एग्रीकल्चर फील्ड में ही आगे भी अपना करियर बनाना चाहते हैं. जिसके लिए अभी मेहनत और संघर्ष जारी है.

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Last Updated : Nov 25, 2024, 3:04 PM IST
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