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भिवानी: शिक्षा निदेशालय ने नहीं की निजी स्कूलों की ऑडिट, मंडल आयुक्त ने दिए कार्रवाई के निर्देश

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 17 मई 2019 को फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी कम डिवीजनल कमीशनर को भिवानी जिले के 26 निजी स्कूलों की सूची के साथ उनकी ऑडिट किए जाने संबंधी शिकायत दी थी. इस शिकायत में यह भी हवाला दिया गया था कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय और शिक्षा विभाग की तरफ जारी किए गए आदेशों के अनुसार हर साल पांच फीसदी निजी स्कूलों का ऑडिट फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी की तरफ किया जाना जरूरी है.

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Published : Jul 9, 2019, 9:53 PM IST

भिवानी: शिक्षा निदेशालय ने नहीं की निजी स्कूलों की ऑडिट, मंडल आयुक्त ने दिए कार्रवाई के निर्देश

भिवानी: स्कूली शिक्षा निदेशालय की कार्यशैली का भी कोई जवाब नहीं. निदेशालय ने नियम तो स्कूलों के लिए बनाए गए, लेकिन नियमों को बनाकर खुद शिक्षा विभाग ही भूल गया. यह चौंकाने वाला खुलासा एक आरटीआई में हुआ है. जिसमें शिक्षा निदेशालय से प्रदेश भर में चल रहे निजी स्कूलों के ऑडिट संबंधी जानकारी मांगी गई थी. लेटलतीफ शिक्षा निदेशालय से जवाब आया कि आज तक किसी भी निजी स्कूल का शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तरफ से कोई ऑडिट नहीं किया गया.

डीईओ को कार्रवाई के निर्देश
निदेशालय की तरफ हर साल निजी स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद भी नहीं दी जा रही है. अब इस मामले में रोहतक मंडल के आयुक्त ने भिवानी जिले के 26 निजी स्कूलों के ऑडिट जांच संबंधी शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

26 स्कूलों पर होगी कार्रवाई
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि रोहतक मंडल आयुक्त ने उसकी शिकायत पर अब जिला शिक्षा अधिकारी को भिवानी जिले के 26 निजी स्कूलों के ऑडिट जांच संबंधी मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से भी शिकायत में दर्शाए गए संबंधित निजी स्कूलों के खातों की ऑडिट, कमेटी गठित कर करवाई जाएगी. जिसकी रिपोर्ट भी फिर मंडल आयुक्त को भेजी जाएगी.

बृजपाल परमार ने बताया कि आरटीआई में मांगी गई सूचना के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि अधिकांश बड़े स्कूल हर साल करोड़ों रुपयों के स्टूडेंट फंड की राशि को किसी दूसरे ट्रांजेक्शन में स्थानांतरण और इस्तेमाल कर रहे हैं.जबकि हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 4 के अंतर्गत गैर कानूनी और नियमों के विरुद्ध हैं. ऐसा करने वाले निजी स्कूल की मान्यता भी रद्द हो सकती है और संबंधित मैनेजमेंट कमेटी सदस्यों पर धोखाधड़ी का आपराधिक केस भी दर्ज हो सकता है.

भिवानी: स्कूली शिक्षा निदेशालय की कार्यशैली का भी कोई जवाब नहीं. निदेशालय ने नियम तो स्कूलों के लिए बनाए गए, लेकिन नियमों को बनाकर खुद शिक्षा विभाग ही भूल गया. यह चौंकाने वाला खुलासा एक आरटीआई में हुआ है. जिसमें शिक्षा निदेशालय से प्रदेश भर में चल रहे निजी स्कूलों के ऑडिट संबंधी जानकारी मांगी गई थी. लेटलतीफ शिक्षा निदेशालय से जवाब आया कि आज तक किसी भी निजी स्कूल का शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तरफ से कोई ऑडिट नहीं किया गया.

डीईओ को कार्रवाई के निर्देश
निदेशालय की तरफ हर साल निजी स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद भी नहीं दी जा रही है. अब इस मामले में रोहतक मंडल के आयुक्त ने भिवानी जिले के 26 निजी स्कूलों के ऑडिट जांच संबंधी शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

26 स्कूलों पर होगी कार्रवाई
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि रोहतक मंडल आयुक्त ने उसकी शिकायत पर अब जिला शिक्षा अधिकारी को भिवानी जिले के 26 निजी स्कूलों के ऑडिट जांच संबंधी मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से भी शिकायत में दर्शाए गए संबंधित निजी स्कूलों के खातों की ऑडिट, कमेटी गठित कर करवाई जाएगी. जिसकी रिपोर्ट भी फिर मंडल आयुक्त को भेजी जाएगी.

बृजपाल परमार ने बताया कि आरटीआई में मांगी गई सूचना के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि अधिकांश बड़े स्कूल हर साल करोड़ों रुपयों के स्टूडेंट फंड की राशि को किसी दूसरे ट्रांजेक्शन में स्थानांतरण और इस्तेमाल कर रहे हैं.जबकि हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 4 के अंतर्गत गैर कानूनी और नियमों के विरुद्ध हैं. ऐसा करने वाले निजी स्कूल की मान्यता भी रद्द हो सकती है और संबंधित मैनेजमेंट कमेटी सदस्यों पर धोखाधड़ी का आपराधिक केस भी दर्ज हो सकता है.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 9 जुलाई।
आरटीआई में हुआ खुलासा
आज तक नहीं की किसी भी अधिकारी ने निजी स्कूलों की ऑडिट
अब जिले के 26 निजी स्कूलों की होगी ऑडिट जांच
रोहतक मंडल के आयुक्त ने दिए कार्रवाई के डीईओ को निर्देश
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने की थी मंडल आयुक्त को शिकायत
स्कूली शिक्षा निदेशालय की कार्यशैली का भी कोई जवाब नहीं नियम बनाए स्कूलों के लिए मगर इस नियम को बनाकर खुद शिक्षा विभाग ही भूल गया। यह चौंकाने वाला खुलासा एक आरटीआई में हुआ है। जिसमें शिक्षा निदेशालय से प्रदेशभर में चल रहे निजी स्कूलों के ऑडिट संबंधी जानकारी मांगी गई थी। लेटलतीफ शिक्षा निदेशालय से जवाब आया कि आज तक किसी भी निजी स्कूल का शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई ऑडिट नहीं किया गया। जबकि निदेशालय द्वारा हर साल निजी स्कूलों से ऑडिट रिपोर्ट मांगे जाने के बावजूद भी नहीं दी जा रही है। अब इस मामले में रोहतक मंडल के आयुक्त ने भिवानी जिले के 26 निजी स्कूलों के ऑडिट जांच संबंधी शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
Body: स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने १७ मई २०१९ को फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी कम डिवीजनल कमीशनर को भिवानी जिले के २६ निजी स्कूलों की सूची के साथ उनकी ऑडिट किए जाने संबंधी शिकायत दी थी। इस शिकायत में यह भी हवाला दिया गया था कि माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय व शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार हर साल पांच फीसदी निजी स्कूलों का ऑडिट फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी द्वारा किया जाना अनिवार्य है। माननीय हाई कोर्ट ने मंडल आयुक्त को आदेश दिया हुआ है कि वह निजी स्कूलों की फीस संबंधी शिकायतों का तुरंत निदान करेंगे और बिना किसी शिकायत के भी हर साल पांच फीसदी स्कूलों का औचक निरीक्षण कर कमेटी के माध्यम से ऑडिट कराएंगे। बृजपाल परमार ने बताया कि रोहतक मंडल आयुक्त ने उसकी शिकायत पर अब जिला शिक्षा अधिकारी को भिवानी जिले के २६ निजी स्कूलों के ऑडिट जांच संबंधी मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भी शिकायत में दर्शाये गए संबंधित निजी स्कूलों के खातों की ऑडिट कमेटी गठित कर कराई जाएगी। जिसकी रिपोर्ट भी फिर मंडल आयुक्त को भेजी जाएगी।
Conclusion:स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि आरटीआई में मांगी गई सूचना के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि अधिकांश बड़े स्कूल हर साल करोड़ों रुपयों के स्टूडेंट फंड की राशि को किसी दूसरे मद में स्थानांतरण व इस्तेमाल कर रहे हैं,जबकि हरियाणा एजुकेशन एक्ट १९९५ के सेक्शन ४ के अंतर्गत गैर कानूनी व नियमों के विरुद्ध हैं। ऐसा करने वाले निजी स्कूल की मान्यता भी रदद हो सकती है और संबंधित मैनेजमेंट कमेटी सदस्यों पर धोखाधड़ी का आपराधिक केस भी दर्ज हो सकता है।
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