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अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह करने वाले इस गांव की गौरवगाथा पर सरकार बना रही है फिल्म

अंग्रेजों से लोहा लेने वाले भिवानी जिले के गांव रोहनात की गौरवगाथा पर फिल्म बन रही है. ये वहीं गांव है जहां के ग्रामीणों ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों की सत्ता को मानने से इंकार कर दिया. ग्रामीणों ने कई अंग्रेजों को मारा भी था. जिसके बाद ये गांव अंग्रेजों की क्रूरता का शिकार हुआ था. पढ़िए पूरी रिपोर्ट-

Motivational movie being made on Rohanat village of Bhiwani
अंग्रेजों से लोहा लेने वाले गांव रोहनात के गौरवगाथा पर बन रही फिल्म
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Published : Aug 6, 2020, 10:36 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 11:50 AM IST

भिवानी: रोहनात गांव हमेशा से अपने संघर्ष और बलिदान के लिए जाना जाता है. अब गांव के गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हरियाणा सरकार ने एक फिल्म बनाई है. जो जल्द ही सभी विभागों और स्कूलों में दिखाई जाएगी. फिल्म बनने से गांववासी ना सिर्फ खुश हैं बल्कि उनका कहना है कि ऐसा कर सरकार ने शहीदों को सम्मान देने का काम किया है.

ये कहानी है अंग्रेजों के आगे नहीं झुकने की

देश की आजादी के लिए पहली बड़ी लड़ाई 1857 में लड़ी गई थी. इसे 1857 की क्रांति का नाम दिया गया. पूरे देश के लोगों के साथ इस क्रांति में भिवानी जिले के रोहनात गांव के लोगों का भी अहम योगदान रहा. यहां के लोगों द्वारा आजादी की जंग में कूदने से अंग्रेज इतने आग बबूला हुए कि उन्होंने रोहनात गांव के लोगों पर एक-एक कर जुल्म करने शुरू कर दिए थे.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

अंग्रेजों ने नीलाम की थी गांव की जमीन

जब रोहनात के ग्रामीणों ने अंग्रेजों की सत्ता को मानने से इंकार कर दिया और 11 अंग्रेज अफसरों को हांसी और 13 अंग्रेजों को हिसार में मारा, तब अंग्रेजों ने इस क्रांतिकारी गांव की 20 हजार 656 बीघा जमीन नीलाम कर दी थी. इसके बाद 29 मई,1857 को रोहनात गांव में ब्रिटिश फौज ने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर खूनखराबे को अंजाम दिया. बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गांव को नष्ट कर दिया था. दरअसल, ये 1857 के गदर या सैनिक विद्रोह, जिसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भी कहते हैं, के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के कत्लेआम की जवाबी कार्रवाई थी.

अंग्रेजों ने की थी ग्रामीणों के साथ बर्बरता

29 मई, 1857 के दिन गांव पर तोप से गोलीबारी की गई. अंग्रेजों ने ग्रामीणों को पकड़कर गांव के नजदीकी हांसी की सड़क पर रोड रोलर से कुचल दिया था, जिससे सड़क रक्तरंजित हो गई थी. अंग्रेजों की इसी क्रूरता की वजह से आज भी ये सड़क लाल सड़क के नाम से जानी जाती है. अंग्रेजों ने महिलाओं पर भी जुल्म ढ़हाए. उन्होंने गांव के जोहड़ किनारे कुएं में कूदकर अपनी इज्जत बचाई थी. इस इतिहास की गवाही गांव के जोहड़ के किनारे पुराना कुआं और बरगद का पेड़ आज भी देते हैं.

ये भी पढ़िए: पहली बरसी पर देश कर रहा सुषमा स्वराज को याद, हरियाणा के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

बता दें कि, 2018 से पहले इस गांव में कभी भी तिरंगा नहीं फहराया गया था. 23 मार्च 2018 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पहली बार गांव में तिरंगा फहराया था. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तब गांव में पहुंचकर शहीद पार्क का निर्माण करवाया था और गांव के विकास के लिए लाखों रुपयों के कार्यों की घोषणा भी की थी. इसके बाद से ही गांव में हर साल तिरंगा फहराया जा रहा है. अब इस गांव की गौरवगाथा न सिर्फ 8वीं के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल है, बल्कि इस गांव के इतिहास पर प्रदेश सरकार एक फिल्म भी बनवा रही है. जो जल्द ही हर जिले में दिखाई जाएगी.

भिवानी: रोहनात गांव हमेशा से अपने संघर्ष और बलिदान के लिए जाना जाता है. अब गांव के गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हरियाणा सरकार ने एक फिल्म बनाई है. जो जल्द ही सभी विभागों और स्कूलों में दिखाई जाएगी. फिल्म बनने से गांववासी ना सिर्फ खुश हैं बल्कि उनका कहना है कि ऐसा कर सरकार ने शहीदों को सम्मान देने का काम किया है.

ये कहानी है अंग्रेजों के आगे नहीं झुकने की

देश की आजादी के लिए पहली बड़ी लड़ाई 1857 में लड़ी गई थी. इसे 1857 की क्रांति का नाम दिया गया. पूरे देश के लोगों के साथ इस क्रांति में भिवानी जिले के रोहनात गांव के लोगों का भी अहम योगदान रहा. यहां के लोगों द्वारा आजादी की जंग में कूदने से अंग्रेज इतने आग बबूला हुए कि उन्होंने रोहनात गांव के लोगों पर एक-एक कर जुल्म करने शुरू कर दिए थे.

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अंग्रेजों ने नीलाम की थी गांव की जमीन

जब रोहनात के ग्रामीणों ने अंग्रेजों की सत्ता को मानने से इंकार कर दिया और 11 अंग्रेज अफसरों को हांसी और 13 अंग्रेजों को हिसार में मारा, तब अंग्रेजों ने इस क्रांतिकारी गांव की 20 हजार 656 बीघा जमीन नीलाम कर दी थी. इसके बाद 29 मई,1857 को रोहनात गांव में ब्रिटिश फौज ने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर खूनखराबे को अंजाम दिया. बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गांव को नष्ट कर दिया था. दरअसल, ये 1857 के गदर या सैनिक विद्रोह, जिसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भी कहते हैं, के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के कत्लेआम की जवाबी कार्रवाई थी.

अंग्रेजों ने की थी ग्रामीणों के साथ बर्बरता

29 मई, 1857 के दिन गांव पर तोप से गोलीबारी की गई. अंग्रेजों ने ग्रामीणों को पकड़कर गांव के नजदीकी हांसी की सड़क पर रोड रोलर से कुचल दिया था, जिससे सड़क रक्तरंजित हो गई थी. अंग्रेजों की इसी क्रूरता की वजह से आज भी ये सड़क लाल सड़क के नाम से जानी जाती है. अंग्रेजों ने महिलाओं पर भी जुल्म ढ़हाए. उन्होंने गांव के जोहड़ किनारे कुएं में कूदकर अपनी इज्जत बचाई थी. इस इतिहास की गवाही गांव के जोहड़ के किनारे पुराना कुआं और बरगद का पेड़ आज भी देते हैं.

ये भी पढ़िए: पहली बरसी पर देश कर रहा सुषमा स्वराज को याद, हरियाणा के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

बता दें कि, 2018 से पहले इस गांव में कभी भी तिरंगा नहीं फहराया गया था. 23 मार्च 2018 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पहली बार गांव में तिरंगा फहराया था. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तब गांव में पहुंचकर शहीद पार्क का निर्माण करवाया था और गांव के विकास के लिए लाखों रुपयों के कार्यों की घोषणा भी की थी. इसके बाद से ही गांव में हर साल तिरंगा फहराया जा रहा है. अब इस गांव की गौरवगाथा न सिर्फ 8वीं के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल है, बल्कि इस गांव के इतिहास पर प्रदेश सरकार एक फिल्म भी बनवा रही है. जो जल्द ही हर जिले में दिखाई जाएगी.

Last Updated : Aug 7, 2020, 11:50 AM IST
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