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कर्मचारियों के लिए बनाए गए ट्रिब्यूनल के विरोध में उतरा एसएचईबी वर्कर्स यूनियन - हरियाणा न्यूज

भिवानी में हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़ी एसएचईबी वर्कर्स यूनियन ने हरियाणा सरकार की ओर से कर्मचारियों की समस्या के लिए गठित किए ट्रिब्यूनल के खिलाफ विरोध किया. यूनियन का आरोप है कि इसके गठन के बाद कर्मचारी हाईकोर्ट नहीं जा सकेंगे.

एसएचईबी वर्कर्स यूनियन ने कर्मचारियों के लिए बनाए गए ट्रिब्यूनल के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
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Published : Aug 3, 2019, 8:44 PM IST

भिवानी: हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़ी एसएचईबी वर्कर्स यूनियन ने हरियाणा सरकार की ओर से कर्मचारियों की समस्या के लिए गठित किए ट्रिब्यूनल का कड़ा विरोध किया है. इस मुद्दे को लेकर भिवानी के एचएसईबी कर्मचारियों ने बताया कि कर्मचारियों के लिए ट्रिब्यूनल का गठन होने के बाद कर्मचारी अपनी समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट में नहीं जा सकेंगे. क्योंकि हरियाणा सरकार के आदेश अनुसार कोई भी कर्मचारी कोर्ट में जाने से पहले अपनी समस्या को सरकार की ओर से गठित ट्रिब्यूनल में रखेगा.

कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए एचएसईबी वर्कर्स यूनियन के नवनियुक्त जिला प्रधान मनोज बल्लू बामला ने कहा कि ट्रिब्यूनल का गठन प्रदेश सरकार करेगी. इस ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड जजों को प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर रखा जाएगा. ऐसे में कर्मचारियों की सुनवाई सरकार की ओर से प्रभावित रहेगी.

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ये भी पढ़ें- विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल, गरीबों की कानूनी मदद के लिए मेले में लगाया सहायता केंद्र

बीते 20 जुलाई को हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों के साथ मीटिंग की थी. इस मीटिंग में कर्मचारियों ने अपनी मांगों को रखा था. हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों के लिए एक्सग्रेसिया पॉलिसी लागू करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है.

इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों का एचआरए 2019 से लागू किया है, जबकि यह एचआरए 2016 से लागू किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के उत्पीड़न को रोकने के लिए उनकी यूनियन सरकार से सीधा टकराने के लिए भी गुरेज नहीं करेगी.

भिवानी: हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़ी एसएचईबी वर्कर्स यूनियन ने हरियाणा सरकार की ओर से कर्मचारियों की समस्या के लिए गठित किए ट्रिब्यूनल का कड़ा विरोध किया है. इस मुद्दे को लेकर भिवानी के एचएसईबी कर्मचारियों ने बताया कि कर्मचारियों के लिए ट्रिब्यूनल का गठन होने के बाद कर्मचारी अपनी समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट में नहीं जा सकेंगे. क्योंकि हरियाणा सरकार के आदेश अनुसार कोई भी कर्मचारी कोर्ट में जाने से पहले अपनी समस्या को सरकार की ओर से गठित ट्रिब्यूनल में रखेगा.

कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए एचएसईबी वर्कर्स यूनियन के नवनियुक्त जिला प्रधान मनोज बल्लू बामला ने कहा कि ट्रिब्यूनल का गठन प्रदेश सरकार करेगी. इस ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड जजों को प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर रखा जाएगा. ऐसे में कर्मचारियों की सुनवाई सरकार की ओर से प्रभावित रहेगी.

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बीते 20 जुलाई को हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों के साथ मीटिंग की थी. इस मीटिंग में कर्मचारियों ने अपनी मांगों को रखा था. हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों के लिए एक्सग्रेसिया पॉलिसी लागू करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है.

इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों का एचआरए 2019 से लागू किया है, जबकि यह एचआरए 2016 से लागू किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के उत्पीड़न को रोकने के लिए उनकी यूनियन सरकार से सीधा टकराने के लिए भी गुरेज नहीं करेगी.

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 3 अगस्त।
कर्मचारी नेताओं ने कर्मचारियों की शिकायत के लिए बनी ट्रिब्यूनल के गठन पर उठाए सवाल
कहा : अब कर्मचारी सीधा नहीं जा सकेंगे कोर्ट
ट्रिब्यूनल पर होगा रसकार का प्रभाव
एचआरए 2016 से लागू किए जाने की थी मांग
एक्सग्रेसिया पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी न होने को जताई नाराजगी
हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़ी एसएचईबी वर्कर्स यूनियन ने हरियाणा सरकार द्वारा कर्मचारियों की समस्या के लिए गठित किए ट्रिब्यूनल का कड़ा विरोध किया है। इस मुद्दे को लेकर आज भिवानी के एचएसईबी कर्मचारियों ने नारेबाजी के बाद पत्रकार वार्ता में बताया कि कर्मचारियों के लिए ट्रिब्यूनल का गठन होने के बाद अब कर्मचारी अपनी समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट में नहीं जा सकेंगे। क्योंकि हरियाणा सरकार के आदेश अनुसार कोई भी कर्मचारी कोर्ट में जाने से पहले अपनी समस्या सरकार द्वारा गठित ट्रिब्यूनल में रखेगा।
Body:प्रदेश सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए एचएसईबी वर्कर्स यूनियन के नवनियुक्त जिला प्रधान मनोज बल्लू बामला ने कहा कि ट्रिब्यूनल का गठन प्रदेश सरकार करेगी तथा इस ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड जजों को प्रदेश सरकार की अनुशंसा पर रखा जाएगा। ऐसे में कर्मचारियों की सुनवाई सरकार के द्वारा प्रभावित रहेगी। Conclusion:इस मौके पर उन्होंने हरियाण सरकार द्वारा बीते 20 जुलाई को हुई कर्मचारियों के साथ हुई मीटिंग की मांगों को अभी तक नहीं माने जाने पर रोष जताते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने एक्सगेसियो की पॉलिसी लागू करने की बात तो कह दी, लेकिन अभी तक इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों का एचआरए 2019 से लागू किया है, जबकि यह एचआरए 2016 से लागू किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के उत्पीडऩ को रोकने के लिए उनकी यूनियन सरकार से सीधा टकराने के लिए भी गुरेज नहीं करेगी।
बाईट : मनोज बल्लू बामला कर्मचारी नेता।
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