अंबाला: सिविल सर्जन संतलाल शर्मा ने बताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार 16 जून 2019 से लेकर 18 जून 2019 तक पोलियो वैक्सीन की दवा 0 से 5 साल तक के बच्चों को मुफ्त में पिलाई जाएगी. उन्होंने बताया कि 16 जून को जिले के हर ब्लाक में बूथ लगाकर दवाई पिलाई जाएगी.16 जून को जिले में करीब 871 पोलियो बूथ लगाये जाएंगे. इसके बाद भी अगर कोई बच्चा छूट जाता है तो 17 जून और 18 जून को घर-घर जाकर पोलियो की दवा पिलाई जाएगी. डॉक्टर संतालाल वर्मा ने बताया कि इस बार उनका टारगेट 1 लाख 29 हजार 338 बच्चों को पोलियो वैक्सीन की दवा पिलाना है.
आखिर क्यों चलाया जाता है पोलियो अभियान
बच्चों में शारीरिक विकलांगता की बहुत बड़ी वजह रही पोलियो की बीमारी को उनसे दूर रखने के लिए हर साल पल्स पोलियो अभियान चलाया जाता है.
सरकार के नियमित टीकाकरण अभियान के तहत इनएक्टिवेटेड पोलियो टीका शामिल किया गया है.
- भारत में 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल और गुजरात में आखिरी पोलियो का मामला सामने आया था. इसके बाद 27 मार्च 2014 को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था.
- पोलियो टीकाकरण अभियान का मकसद साल में 2 राष्ट्रव्यापी पोलियो वैक्सिनेशन कैंपन और 2 या 3 क्षेत्रीय पोलियो वैक्सिनेशन कैंपेन चलाकर बच्चों को विकलांग बनाने वाली इस बीमारी से बचाना है.
- राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर बच्चों को 5 खतरनाक बीमारियों न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट, रोटावायरस और मीजल्स रुबेला से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाएगा.
पोलियो
पोलियो एक ऐसा रोग है जिसने कभी एक वर्ष में दसियों हजारों बच्चों को पंगु बना दिया. वर्ष 1988 में पोलियो के सर्वाधिक मामले सामने आए थे, जब लगभग 350,000 लोग संक्रमित हुए थे. साल 2009 में भारत में पोलियो के 741 मामले सामने आए थे जो कि दुनिया में किसी भी देश में सबसे ज्यादा थे. ये आँकड़े वैश्विक पोलियो उन्मूलन इनीशिएटिव नामक संस्था की ओर से जारी किए गए थे. वहीं 13 जनवरी 2014 को भारत में पोलियो का एक भी मामला नहीं आया था. जबकि केवल दो देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अभी भी पोलियो का व्यक्ति से व्यक्ति प्रसार जारी है.
लक्षण
लगभग 95% पोलियो के मामलों में व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता. ये असिम्प्टोमैटिक (स्पर्शोन्मुखी) मामले कहलाते हैं. बाकी के पोलियो के मामलों को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है. अबॉर्टिव पोलियो, नन-पैरालिटिक पोलियो और पैरालिटिक पोलियो.
अबॉर्टिव पोलियो: इन मामलों में बुखार, थकावट, सिरदर्द, गले का खराश, मिचली और दस्त जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. नन-पैरालिटिक पोलियो: इन मामलों में विशेष रूप से अबॉर्टिव पोलियो के लक्षण शामिल होते हैं, और साथ ही अतिरिक्त न्यूरोलॉजिकल लक्षण होते है जैसे रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और गरदन की अकड़न.
पैरालिटिक पोलियो: पैरालिटिक पोलियो का पहला लक्षण, वायरल जैसे लक्षणों के शुरुआती अवधि के बाद, आमतौर पर प्रत्यावर्त (रीफ्लेक्स) क्षमता में कमी और मांसपेशी में दर्द या स्पैज्म के रूप में दिखाई देता है। इसके बाद, प्राय: असंयमित, पक्षाघात होता है. पोलियो से ग्रसित 1%-2% से कम लोगों को पक्षाघात होता है. पैरालिटिक पोलियो के अधिकतर मामलों में, रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. हालांकि, कुछ लोगों के लिए, पक्षाघात या मांसपेशी की दुर्बलता जीवन भर बनी रहती है.
प्रसार
पोलियो एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो लोगों के बीच संपर्क से, नाक और मुंह के स्रावों द्वारा और संदूषित विष्ठा के संपर्क में आने फैलता है. पोलियो वायरस शरीर में मुंह के जरिए प्रवेश करता है, पाचन नली में द्विगुणित होता है, जहां यह आगे भी द्विगुणित होता रहता है.
उपचार और देखभाल
पोलियो की कोई देखभाल नहीं होती, इसलिए इसकी रोकथाम करना इससे लड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम है. कुछ निश्चित दवाइयों और उपचार पद्धतियों से रोगी को सहयोगात्मक देखभाल प्रदान की जा सकती है ताकि मांशपेशी पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके.
उपलब्ध टीके
पोलियो का कोई इलाज नहीं होता, लेकिन पोलियो का टीका बार-बार देने से बच्चों को जीवन भर सुरक्षा मिलती है। व्यापक टीकाकरण के कारण, पश्चिमी गोलार्ध से पोलियो का उन्मूलन 1994 में हो गया था. आज यह केवल दो देशों (अफगानिस्तान और पाकिस्तान में 2016 तक) में इसका प्रसार जारी है, इसके साथ ही पड़ोस से देशों में कभी-कभी फैल जाता है. टीकाकरण कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं ताकि इन अंतिम बीमारियों का सफाया किया जा सके.
पोलियो के दो प्रकार के टीके उपलब्ध हैं. एक इंजैक्टेड, निष्क्रिय टीका (IPV) है. इसका प्रयोग प्राय: दुनिया के उन भागों में किया जाता है जो बहुत सालों से पोलियो मुक्त हैं. मौखिक दुर्बलीकृत (कमजोर) पोलियो टीका (OPV) का प्रयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है जहां पोलियो संक्रमण का खतरा अभी भी बना हुआ है.
टीका को लेकर लोगों में भ्रमता
पोलियो टीका के कारण लड़कियों का लड़कों में बांझपन या निष्फलता नहीं होती. यह बहुत सुरक्षित है और बच्चों को जीवन भर पक्षाघात से सुरक्षित रखता है.
WHO के मुताबिक कैसे किया जाये टीकाकरण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बात की अनुशंसा की है कि सभी बच्चों को पोलियो टीका की 3 खुराकें दी जानी चाहिए, पहला खुराक 2 महीने की आयु में. हालांकि उन स्थानों पर जहां पोलियो के प्रकोप का जोखिम अधिक है, वहां पोलियो टीका की 3 खुराकों की प्राथमिक सीरीज से पहले जन्म के समय पोलियो टीका की एक खुराक की सलाह दी जाती है. उन स्थानों पर जहां OPV का प्रयोग किया जाता है, वहां विश्व स्वास्थ्य संगठन बच्चों में एक अतिरिक्त, IPV के सिंगल खुराक की सलाह देता है.