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बेटी को नहीं मिली किडनी तो देशभर में अंगदान का संदेश देने लगे मुंबई के बुजुर्ग दंपत्ति, 16 हजार लोगों को कर चुके हैं प्रेरित - Haryana News In Hindi

मुंबई का एक बुजुर्ग दंपत्ति लोगों को ऑर्गन डोनेट (organ donation in ambala) करने के लिए प्रेरित कर रहा है. इस बुजुर्ग दंपत्ति की कोशिश है कि पूरे भारत का भ्रमण कर 80 हजार लोगों को ऑर्गन डोनेट करने की मुहिम से जोड़ा जाए. बुजुर्ग दंपत्ति ने दिसम्बर 2021 से यात्रा शुरू की थी 30 अप्रैल को यात्रा खत्म करेंगे. बुजुर्ग दंपत्ति ने अंबाला में भी लोगों को ऑर्गन डोनेट करने के लिए प्रेरित किया है.

organ donation in ambala
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Published : Mar 24, 2022, 1:21 PM IST

अंबाला: अंगदान जैसा महादान हो ही नहीं सकता. अंगदान कर आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं. आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं. अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं. अंगदान करने से न केवल आपको बल्कि दूसरों को भी खुशी मिलती है. इसी मानवता के संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए मुंबई का एक बुजुर्ग दंपत्ति लोगों को ऑर्गन डोनेट (organ donation drive) करने के लिए प्रेरित कर रहा है.

इस बुजुर्ग दंपत्ति की कोशिश है कि पूरे भारत का भ्रमण कर 80 हजार लोगों को ऑर्गन डोनेट करने की मुहिम से जोड़ा जाए. बुजुर्ग दंपत्ति ने दिसम्बर 2021 से यात्रा शुरू की थी और 30 अप्रैल को यात्रा खत्म करेंगे. बुजुर्ग दंपत्ति ने अंबाला में भी लोगों को ऑर्गन डोनेट करने के लिए प्रेरित किया है. मुंबई के रहने वाले यह बुजुर्ग दंपति ऑर्गन डोनेट करने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ा रहे हैं. ये दंपति इस मुहिम के तहत अब तक 16 हजार लोगों के पास पहुंच भी चुके हैं.

बेटी को नहीं मिली किडनी तो देशभर में अंगदान का संदेश देने लगे मुंबई के बुजुर्ग दंपत्ति, 16 हजार लोगों को कर चुके हैं प्रेरित

ये भी पढ़ें- यमुनानगर: महिला सिपाही शिवानी ने आपात स्थिति में रक्तदान कर पेश की मानवता की मिसाल

लोगों को अंगदान का संदेश देने वाले ये दंपति है भाल शेखर छिलाना और नामिता. भाल शेखर छिलाना ने बताया कि वे अपनी कार से सफर कर लोगों देश के अलग-अलग जगह लोगों के पास पहुंचते हैं. इस अभियान के पीछे उनका अपना दर्द छुपा है. उन्होंने बताया कि इस अभियान की प्रेरणा उस वक्त मिली जब उनकी बेटी को किडनी की जरूरत थी. वो उस समय अपनी बेटी की मदद नहीं कर पाए थे. उसके बाद से ही उन्होंने लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की ठानी ताकि भविष्य में किसी को ऐसी दिक्कत का सामना न करना पड़े.

भाल शेखर की उम्र 66 साल है. उनके इस काम में उनका सहयोग उनकी 61 साल की पत्नी नामिता भी भरपूर दे रही हैं. उन्होंने बताया उनके मकसद में दिक्कत लोगों में भ्रम की आ रही है. इसके अलावा उनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी है. जिसके कारण उन्हें दिक्क्त जरूर आ रही है लेकिन लोगों से सहयोग भी बहुत मिल रहा है.

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अंबाला: अंगदान जैसा महादान हो ही नहीं सकता. अंगदान कर आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं. आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं. अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं. अंगदान करने से न केवल आपको बल्कि दूसरों को भी खुशी मिलती है. इसी मानवता के संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए मुंबई का एक बुजुर्ग दंपत्ति लोगों को ऑर्गन डोनेट (organ donation drive) करने के लिए प्रेरित कर रहा है.

इस बुजुर्ग दंपत्ति की कोशिश है कि पूरे भारत का भ्रमण कर 80 हजार लोगों को ऑर्गन डोनेट करने की मुहिम से जोड़ा जाए. बुजुर्ग दंपत्ति ने दिसम्बर 2021 से यात्रा शुरू की थी और 30 अप्रैल को यात्रा खत्म करेंगे. बुजुर्ग दंपत्ति ने अंबाला में भी लोगों को ऑर्गन डोनेट करने के लिए प्रेरित किया है. मुंबई के रहने वाले यह बुजुर्ग दंपति ऑर्गन डोनेट करने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ा रहे हैं. ये दंपति इस मुहिम के तहत अब तक 16 हजार लोगों के पास पहुंच भी चुके हैं.

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लोगों को अंगदान का संदेश देने वाले ये दंपति है भाल शेखर छिलाना और नामिता. भाल शेखर छिलाना ने बताया कि वे अपनी कार से सफर कर लोगों देश के अलग-अलग जगह लोगों के पास पहुंचते हैं. इस अभियान के पीछे उनका अपना दर्द छुपा है. उन्होंने बताया कि इस अभियान की प्रेरणा उस वक्त मिली जब उनकी बेटी को किडनी की जरूरत थी. वो उस समय अपनी बेटी की मदद नहीं कर पाए थे. उसके बाद से ही उन्होंने लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की ठानी ताकि भविष्य में किसी को ऐसी दिक्कत का सामना न करना पड़े.

भाल शेखर की उम्र 66 साल है. उनके इस काम में उनका सहयोग उनकी 61 साल की पत्नी नामिता भी भरपूर दे रही हैं. उन्होंने बताया उनके मकसद में दिक्कत लोगों में भ्रम की आ रही है. इसके अलावा उनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी है. जिसके कारण उन्हें दिक्क्त जरूर आ रही है लेकिन लोगों से सहयोग भी बहुत मिल रहा है.

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