अंबाला: साल 2020 में कोरोना इस मानव जाति का सबसे बड़ा विलन बन कर सामने आया है. इस कोरोना ने कोरोना ने हर त्योहार, हर खुशी के मौके को फीका करने का काम किया है. इस कोरोना की वजह से धूम-धाम से मनाए जाने वाला जन्माष्टमी भी फीका ही निकल गया, और इसके साथ उन लोगों के जख्मों पर नमक लगाने का काम कर गया, जिनकी रोजी रोटी इन त्योहारों से चलती थी.
संदीप नटखट अंबाला में त्योहारों के दौरान कृष्ण, राधा को रूप धारण कर कृष्णलीला करते हैं. हर साल जन्मोत्सव के मौके पर इनके पास इतनी बुकिंग होती है कि सांस लेने का वक्त नहीं होता, लेकिन आज कोरोना संक्रमण के दौर में लगी पाबंदियों की वजह से घर बैठने को मजबूर हैं.
'सैकड़ों आर्टिस्ट हो चुके हैं बेरोजगार'
आर्टिस्ट संदीप नटखट का कहना है कि सभी का काम शुरू हो चुका है, लेकिन ये आर्टिस्ट बेरोजगार हैं. इनके साथ म्यूजिशियन, स्टेज मेकर, डेकोर्शन करने वाले, मेकअप आर्टिस्ट भी बेकारी की जिंदगी जिने को मजबूर हैं. इनकी विनती है कि सरकार इन की तरफ भी ध्यान दे.
इससे बुरे दिन कभी नहीं देखे- सह कलाकार
झांकियों में सह कलाकार की भूमिका निभाने वाले दीपक का कहना है कि वो संदीप नटखट के साथ ग्रुप में हैं, इस कोरोना ने बहुत बुरे दिन दिखाए हैं. पूरा सीजन निकल गया, लेकिन काम नहीं मिला. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.
ये कलाकार आज सरकार से मदद की गुहार लगाने के लिए मजबूर हैं. इनका कहना है कि इस साल इनके घर एक रुपये की भी कमाई नहीं हुई है. ऐसे घर चलाना मुश्किल हो चुका है. इन्हें उम्मीद है कि सरकार इनकी गुहार सुनेगी और कोई रास्त निकालेगी, जिससे इन आर्टिस्ट का गुजर बसर हो सके.
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