जींद: भारतीय राजनीति में अवसरवादी होना कोई नई चीज नहीं है और बात अगर हरियाणा की करें तो चुनावी मौसम में दलबदल यहां एक परंपरा जैसी हो गई है. जैसे ही चुनाव की आहट होती है, लोगों की निष्ठा भी बदलने लगती हैं. आए दिन कोई न कोई नेता पाला बदलता ही रहता है.
इनेलो को लगा बड़ा झटका
इसी कड़ी में इनेलो को भी बड़ा झटका लगा है. नरवाना से इनेलो के पूर्व जिला प्रधान भगवान दास के नेतृत्व में सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने इनेलो को अलविदा कहते हुए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की अध्यक्षता में बीजेपी का दामन थाम लिया है.
नरवाना से मजबूत हो रही बीजेपी
आपको बता दें कि नरवाना में बीजेपी दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है और इनेलो खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है. इससे पहले भी आप, कांग्रेस और इनेलो के लोग बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद
हरियाणा की सियासत में एक इनेलो की तूती बोलती थी. हरियाणा का किंग मेकर कहे जाने वाले चौधरी देवीलाल ने इनेलो की नींव रखी थी. जिसे उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने आगे बढ़ाया और हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे, लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन हरियाणा में इनेलो को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी.
शुरुआती दौर में किसी को नहीं लगा कि इनेलो एक परिवार की पार्टी है. लेकिन देवीलाल की चौथी पीढ़ी के कदम रखते ही ये पार्टी टूट गई. हरियाणा की राजनीति में सबसे बुरे दौर से गुजर रही इनेलो अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गई है.
इन लोगों ने छोड़ा INLD का साथ
जींद उपचुनाव से कार्यकर्ताओं, नेताओं के इनेलो छोड़ने का सिलसिला अब तक लगातार जारी है. इनेलो के सबसे ज्यादा वर्तमान विधायक बीजेपी में शामिल हुए हैं. इनमें नूंह से विधायक जाकिर हुसैन, फिरोजपुर झिरका से विधायक नसीम अहमद, हथीन के एमएलए केहर सिंह रावत, फरीदाबाद-एनआईटी से विधायक नगेंद्र भड़ाना, जींद के जुलाना से इनेलो विधायक परमिंदर सिंह ढुल, रानियां के विधायक रामचंद्र कंबोज, सिरसा के एमएलए मक्खन लाल सिंगला, फतेहाबाद से बलवान सिंह दौलतपुरिया, हिसार के नलवा से विधायक रणबीर सिंह गंगवा, फतेहाबाद से रविंद्र बलियाला, पूर्व विधायक रामपाल माजरा प्रमुख हैं. वहीं इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा कांग्रेस में शामिल हो गए.
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