जींद: हरियाणा के स्टार विलेज कार्यक्रम में इस बार हमारी टीम पहुंची जींद जिले के गांव बुढ़ा खेड़ा लाठर में. बुढ़ा खेड़ा लाठर गांव को इस योजना के तहत 6 स्टार मिले हैं. बुढ़ा खेड़ा लाठर गांव को ये 6 स्टार यूं ही नहीं मिले हैं इसके लिए ग्राम पंचायत और पंचायती विभाग ने जी तोड़ मेहनत की है तब जाकर उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है.
चलिए आपको बताते हैं कि ये 7 स्टार रेनबो योजना क्या है और किस तरह ग्राम पंचायतों को ये स्टार दिए जाते हैं-
इस योजना के अंतर्गत पंचायतों को पात्र होने के लिए सरपंचों व ग्राम सचिवों को 700 नंबर के एक ऑनलाइन टेस्ट से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें इस योजना में उनकी पात्रता से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. योजना में निर्धारित 7 पैरामीटर हैं और प्रत्येक पैरामीटर के 100 अंक हैं.
इसके बाद हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान (एचआईआरडी) के अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन पोर्टल में ग्राम सचिवों व सरपंचों द्वारा दिए गए उत्तरों का फील्ड वेरिफिकेशन किया जाता है, जिसके सत्यापन के आधार पर गांव को स्टार प्रदान किए जाते हैं. प्रत्येक स्टार जीतने पर 1 लाख रुपए का इनाम ग्राम पंचायत को मिलता है, हालांकि लिंगअनुपात और पर्यावरण के क्षेत्र में स्टार जीतने पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की ग्रांट सरकार से मिलती है.
जानिए कौन सा स्टार किस काम के लिए मिलता है-
- गोल्डन स्टार - गुड गवर्नेंस या सुशासन के लिए
- सिल्वर स्टार - गांव के विकास में सहभागिता के लिए
- ग्रीन स्टार - पर्यावरण संरक्षण व पराली ना जलाने के लिए
- व्हाईटस्टार - स्वच्छता हेतु
- सैफरन स्टार - अपराध मुक्त के लिए
- स्काई कलर स्टार - बच्चों का स्कूल ड्रॉपआउट ना होने पर
- पिंक स्टार - लिंगानुपात में बराबरी पर
अपराध मुक्त गांव है बुढ़ा खेड़ा लाठर
सबसे पहले आपको बताते हैं कि गांव बुढ़ा खेड़ा लाठर अपराध मुक्त गांव बन गया है. 7 स्टार रेनबो योजना में एक स्टार अपराध मुक्त रहने के लिए दिया जाता है. हमनें बात की गांव की सरपंच कविता देवी से जिन्होंने हमें बताया कि इस गांव के किसी भी व्यक्ति पर जातीय हिंसा वह अन्य कोई भी बड़ा मामला दर्ज नहीं है. गांव में असल तो कोई बड़े लड़ाई झगड़े होते नहीं हैं बाकि छोटे-मोटे जो लड़ाई झगड़े होते हैं उन्हें पंचायत स्तर पर सुधार लिया जाता है.
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एक भी स्कूल ड्राप आउट नहीं
कोई भी बच्चा स्कूल जाने से ना छूटे इसको लेकर लगातार पंचायत द्वारा आंगनवाड़ी वर्कर के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है. सरपंच और ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल के अध्यापक भी इस काम में पूरी तरह से लगे हुए हैं. कोई भी बच्चा अगर स्कूल जाना छोड़ देता है तो सामाजिक भाईचारे के द्वारा बच्चे के परिवार को समझा-बुझाकर फिर से बच्चे को स्कूल भेजा जाता है. जो बच्चे स्कूल में जाने लायक नहीं हुए हैं उन छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी में भेजा जाता है जो एक तरह का प्री-स्कूल भी है.
साफ पानी के लिए गांव में लगाया आरओ
जींद के ग्रामीण इलाकों में सबसे बड़ी समस्या होती है पीने के पानी की. उसको लेकर भी गांव में बेहतर समाधान किया गया है. गांव के ही लोगों ने मिलकर चंदा इकट्ठा करके और पंचायत के सहयोग से आरओ प्लांट लगाया है. जिससे पूरे गांव को पीने के साफ पानी की सप्लाई दी जाती है. वहीं पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरा गांव जागरूक है. गांव में किसी भी तरह की पराली नहीं जलाई जाती और गांव की हर गली के साथ-साथ पौधे लगाए गए हैं जिनकी देखभाल ग्रामीण करते हैं.
गंदे पानी की निकासी के लिए बनाया तालाब
इस गांव की एक और खास बात है कि गांव में सभी गलियों के साथ-साथ पौधे लगाए गए हैं और उनकी सुरक्षा के लिए लोहे की जाली भी लगाई गई है. सभी गलियां पक्की की गई हैं किसी भी तरह का कीचड़ गांव में दिखाई नहीं देता है. गंदे पानी की निकासी के लिए एक अलग से तालाब बनाया गया है. जिसमें नालों के माध्यम से सारा गंदा पानी इकट्ठा किया जाता है और उसे किसान सिंचाई के लिए उपयोग करते हैं. वहीं पूरे गांव में ग्राम पंचायत द्वारा हर गली में कुर्सियां लगवाई गई है ताकि ग्रामीण व बुजुर्ग लोग वहां बैठ सके और आपसी सहभागिता बनी रही.
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7 स्टार विलेज बनने के लिए मेहनत जारी है
जींद के गांव बुढ़ा खेड़ा लाठर की पंचायत को 6 स्टार मिले हैं. 1 स्टार जो नहीं मिल पाया वह है पिंक स्टार जो कि लिंगअनुपात में बराबरी पर दिया जाता है. बुढ़ा खेड़ा लाठर गांव की सरपंच कविता देवी का कहना है कि इस बार लिंगानुपात में कम अंक आने की वजह से हम चूक गए लेकिन अगली बार जरूर सेवन स्टार हासिल कर लेंगे. इसके लिए गांव में महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है. तो ये था जींद जिले का 6 स्टार हैबतपुर गांव. अगली कड़ी हम आपको बताएंगे एक और स्टार पंचायत के बारे में.