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नारनौंद: लॉकडाउन के दौरान गौशालाओं में गहराया चारे का संकट

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Published : Apr 5, 2020, 11:36 PM IST

नारनौंद में गौशालाओं में चारा खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. गौशाला के प्रबंधकों ने सरकार से गौशाला में पशुओं के चारे के लिए पैसे की गुहार लगाई है.

Fodder on the verge of ending in Narnaund's gaushalas
Fodder on the verge of ending in Narnaund's gaushalas

हिसार: देश और प्रदेश में लॉकडाउन के चलते लोगों को ही नहीं पशुओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ताजा मामला हिसार के नारनौंद से सामने आया है. जहां गौशालाओं में चारा खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. गौशाला के प्रबंधकों ने सरकार से गौशाला में पशुओं के चारे के लिए पैसे की गुहार लगाई है. बताया जा रहा है कि गौशाला में काम करने वाले मजदूरों की सैलरी के भी लाले पड़े हुए हैं. लॉकडाउन के चलते मजदूरों को भी सैलरी नही मिल पा रही है.

बताया जा रहा है कि गौशाला के लिए मार्केट से चंदा आता था. साथ ही कुछ समाजसेवी गौशाला में चंदा देकर जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते ना तो मार्केट से चंदा आ सका और ना ही कोई समाज सेवी चंदा देने के लिए आया है.

जिसके चलते गौशाला में पशुओं के लिए भी खाने का संकट गहराते जा रहा है. संकट को देखते हुए गौशाला के प्रबंधकों ने सरकार से गौशाला में पशुओं के चारे के लिए पैसे की गुहार लगाई है. ताकि गौशालाओं में पशुओं को भोजन मिल सके.

गौशाला के प्रबंधक धर्मपाल मित्तल ने बताया कि नारनौंद की गौशाला में सात सौ पचास गाय हैं. जिनके लिए चारे की व्यवस्था मार्केट और समाज सेवी चंदे से होती थी. लेकिन लॉकडाउन होने के चलते नारनौद शहर की मार्केट बंद है. और मार्केट बंद होने से इस बार चंदा नही आ पाया है.

धर्मपाल मित्तल ने बताय कि गौशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सैलरी देनी होती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें भी सैलरी नहीं दे पा रहें हैं. साथ ही उन्हेंने बताय कि गायों के चारे के लिए हर महीने 70 से 80 हजार का खर्च आता है.

उन्हें हर महीने चारा लेकर आना पड़ता है. धर्मपाल मित्तल ने बताय कि इस समय पूरे वर्ष के लिए चारा इकट्ठा करने का काम किया जाता था. लेकिन लॉकडाउन के कारण वो बाहर नहीं निकल पा रहें हैं. उन्होंने बताया कि गौशाओं में चारा खत्म होने के कगार पर है. इसलिए चारा खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में 61 कोरोना पॉजिटिव केस, 35 जमाती

धर्मपाल मित्तल ने सरकार से मांग करते हैं कहा कि जल्द से जल्द उन्हें आर्थिक मदद दी जाए. ताकि वो गायों के लिए पूरे वर्ष का चारे का प्रबंध कर सकें. साथ ही उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि गौशाला में काम करने वाले मजदूरों को सैलरी नहीं मिली तो वो भाग जाएंगे. और गौशाला में मजदूरों के नहीं होने के कारण गायों की देखभाल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

हिसार: देश और प्रदेश में लॉकडाउन के चलते लोगों को ही नहीं पशुओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ताजा मामला हिसार के नारनौंद से सामने आया है. जहां गौशालाओं में चारा खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. गौशाला के प्रबंधकों ने सरकार से गौशाला में पशुओं के चारे के लिए पैसे की गुहार लगाई है. बताया जा रहा है कि गौशाला में काम करने वाले मजदूरों की सैलरी के भी लाले पड़े हुए हैं. लॉकडाउन के चलते मजदूरों को भी सैलरी नही मिल पा रही है.

बताया जा रहा है कि गौशाला के लिए मार्केट से चंदा आता था. साथ ही कुछ समाजसेवी गौशाला में चंदा देकर जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते ना तो मार्केट से चंदा आ सका और ना ही कोई समाज सेवी चंदा देने के लिए आया है.

जिसके चलते गौशाला में पशुओं के लिए भी खाने का संकट गहराते जा रहा है. संकट को देखते हुए गौशाला के प्रबंधकों ने सरकार से गौशाला में पशुओं के चारे के लिए पैसे की गुहार लगाई है. ताकि गौशालाओं में पशुओं को भोजन मिल सके.

गौशाला के प्रबंधक धर्मपाल मित्तल ने बताया कि नारनौंद की गौशाला में सात सौ पचास गाय हैं. जिनके लिए चारे की व्यवस्था मार्केट और समाज सेवी चंदे से होती थी. लेकिन लॉकडाउन होने के चलते नारनौद शहर की मार्केट बंद है. और मार्केट बंद होने से इस बार चंदा नही आ पाया है.

धर्मपाल मित्तल ने बताय कि गौशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सैलरी देनी होती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें भी सैलरी नहीं दे पा रहें हैं. साथ ही उन्हेंने बताय कि गायों के चारे के लिए हर महीने 70 से 80 हजार का खर्च आता है.

उन्हें हर महीने चारा लेकर आना पड़ता है. धर्मपाल मित्तल ने बताय कि इस समय पूरे वर्ष के लिए चारा इकट्ठा करने का काम किया जाता था. लेकिन लॉकडाउन के कारण वो बाहर नहीं निकल पा रहें हैं. उन्होंने बताया कि गौशाओं में चारा खत्म होने के कगार पर है. इसलिए चारा खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता है.

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धर्मपाल मित्तल ने सरकार से मांग करते हैं कहा कि जल्द से जल्द उन्हें आर्थिक मदद दी जाए. ताकि वो गायों के लिए पूरे वर्ष का चारे का प्रबंध कर सकें. साथ ही उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि गौशाला में काम करने वाले मजदूरों को सैलरी नहीं मिली तो वो भाग जाएंगे. और गौशाला में मजदूरों के नहीं होने के कारण गायों की देखभाल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

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