रोहतक: हरियाणा के बहुचर्चित अपना घर मामले (Apna Ghar Case Rohtak) की दोषी को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. हाई कोर्ट ने अपना घर अनाथालय की संचालिका जसवंती देवी की सजा निलंबित कर दी है. अपना घर की संचालिका जसवंती देवी (Jaswanti Devi) ने सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और फिर हाईकोर्ट में अपील लंबित रहने पर सजा निलंबित करने की अपील (High court on Apna Ghar) की थी.
क्या है अपना घर मामला- हरियाणा के रोहतक में एक अपना घर नाम का अनाथालय (Apna Ghar Case) था. जो मासूम अनाथ बच्चियों के लिए बनाया गया था लेकिन सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि इस अनाथालय में बच्चियों का शोषण होता था. खुलासा तब हुआ जब 8 मई 2012 को राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की टीम ने यहां छापा मारा था. इसी दौरान पता चला कि अनाथालय से 3 लड़कियां लापता हैं. जिन्हें बाद में दिल्ली से बरामद किया गया था.
अपना घर में होता था लड़कियों का यौन शोषण- इस छापेमारी के बाद अनाथालय का काला सच दुनिया के सामने आने लगा. अपना घर अनाथालय पर यहां रहने वाली लड़कियों को देह व्यापार में धकेलने, उनका यौन शोषण से लेकर मारपीट और मानव तस्करी के आरोप लगे. हरियाणा का अपना घर मामला जब सामने आया तो देशभर में तहलका (Haryana Apna Ghar) मच गया था. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम ने यहां से 103 बच्चियों और युवतियों को छुड़वाया था.
अनाथालय की संचालिका गिरफ्तार- पुलिस ने इस मामले में अपना घर की संचालिका जसवंती देवी समेत कुल 10 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया. आरोपियों में जसवंती का भाई जसवंत, बहन शीला, दामाद जयभगवान, ड्राइवर सतीश, काउंसलर वीणा, कर्मचारी रामप्रकाश सैनी, सिम्मी, आरके सैनी, अंगरेज कौर के नाम शामिल थे. जून 2012 में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. इसमें सीबीआई ने 121 औऱ बचाव पक्ष के 26 गवाहों के बयान दर्ज हुए.
सीबीआई कोर्ट ने सुनाई सजा- अपना घर प्रकरण में लगभग 5 साल तक पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चली. 27 अप्रैल 2018 को कोर्ट ने अपना घर मामले में सजा सुनाई. कोर्ट ने जसवंती देवी, जयभगवान और सतीश को उम्रकैद की सजा (Panchkula CBI Court on Apna Ghar) सुनाई थी. जबकि जसवंती के भाई जसवंत को 7 साल की सजा सुनाई थी. 5 अन्य दोषियों की सजा ट्रायल के दौरान ही जेल में रहते हुए पूरी हो गई थी. जबकि कोर्ट ने पूर्व बालि विकास परियोजना अधिकारी अंग्रेज कौर हुड्डा को मामले में बरी कर दिया था. सीबीआई कोर्ट की सजा के खिलाफ जसवंती देवी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अपील के लंबित रहते उसने हाईरोक्र्ट से सजा निलंबित करने की मांग की थी.