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चंडीगढ़ में भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बैन का नोटिफिकेशन जारी

केंद्र सरकार के निर्देश के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने भी पीएफआई को बैन करने का नोटिफिकेशन (Ban Notification PFI in Chandigarh) जारी किया है. सभी संबंधित अधिकारियों को पीएफआई को भारत सरकार के द्वारा बैन किए जाने के निर्देश की जानकारी देते हुए ये नोटिफिकेशन जारी किया गया.

चंडीगढ़ में पीएफआई पर बैन का नोटिफिकेशन
चंडीगढ़ में पीएफआई पर बैन का नोटिफिकेशन
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Published : Sep 30, 2022, 10:19 PM IST

चंडीगढ़: केंद्र की मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर 28 सितंबर को प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था. बता दें, कई राज्यों से इस संगठन PFI को प्रतिबंधित करने की मांग हो रही थी. हाल के कुछ दिनों में NIA और कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई (Popular Front of India) के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं. गृह मंत्रालय ने पीएफआई (PFI) को 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है. पीएफआई के अलावा 9 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है.

पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध की मांग लगातार उठ रही थी. आखिरकार गृह मंत्रालय ने यूएपीए कानून की धारा 3 (1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये फैसला लिया है. गृह मंत्रालय ने 28 सितंबर को ये कहते हुए पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है कि ये संगठन वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ संबंध और कई आतंकी मामलों में शामिल रहा है.

चंडीगढ़ में पीएफआई पर बैन का नोटिफिकेशन
चंडीगढ़ में पीएफआई पर बैन का नोटिफिकेशन

ये भी पढ़ें- The Inside Story of Ban on PFI : पीएफआई पर बैन की इनसाइड स्टोरी

दरअसल पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर कार्रवाई की तैयारी कई महीनों से चल रही थी. जानकारी के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी ईडी ने केरल से गिरफ्तार किए पीएफआई के सदस्य शफीक पायेथ के रिमांड में जब से ये खुलासा किया था कि जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली में पीएफआई हमले की साजिश रच रहा था. उसके बाद से ही गृह मंत्रालय ने पीएफआई और उसके पदाधिकारियों पर नकेल कसने के लिए एनआईए और ईडी को निर्देश जारी कर दिए थे.

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश की बात सामने आने और संगठन द्वारा लगातार की जा रहीं गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर गृह मंत्रालय ने पीएफआई के पूरे नेटवर्क को तोड़ने का फैसला किया. इसके लिए बड़े पैमाने पर रूपरेखा गृह मंत्रालय की हाल में हुईं 2 बैठकों में तैयार की गई. फिर 22 सितंबर की एक उच्चस्तरीय बैठक में पीएफआई के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी गई.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई का गठन 22 नवंबर 2006 को केरल के कोझीकोड में हुआ था. जब से इसका गठन हुआ है तभी से विवाद भी खड़े हो रहे थे. देश में जब नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, तब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गृह मंत्रालय से इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

ये भी पढ़ें- केंद्र सरकार ने PFI पर 5 साल का बैन लगाया

चंडीगढ़: केंद्र की मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर 28 सितंबर को प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया था. बता दें, कई राज्यों से इस संगठन PFI को प्रतिबंधित करने की मांग हो रही थी. हाल के कुछ दिनों में NIA और कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई (Popular Front of India) के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं. गृह मंत्रालय ने पीएफआई (PFI) को 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है. पीएफआई के अलावा 9 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है.

पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध की मांग लगातार उठ रही थी. आखिरकार गृह मंत्रालय ने यूएपीए कानून की धारा 3 (1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए ये फैसला लिया है. गृह मंत्रालय ने 28 सितंबर को ये कहते हुए पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है कि ये संगठन वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ संबंध और कई आतंकी मामलों में शामिल रहा है.

चंडीगढ़ में पीएफआई पर बैन का नोटिफिकेशन
चंडीगढ़ में पीएफआई पर बैन का नोटिफिकेशन

ये भी पढ़ें- The Inside Story of Ban on PFI : पीएफआई पर बैन की इनसाइड स्टोरी

दरअसल पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर कार्रवाई की तैयारी कई महीनों से चल रही थी. जानकारी के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी ईडी ने केरल से गिरफ्तार किए पीएफआई के सदस्य शफीक पायेथ के रिमांड में जब से ये खुलासा किया था कि जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रैली में पीएफआई हमले की साजिश रच रहा था. उसके बाद से ही गृह मंत्रालय ने पीएफआई और उसके पदाधिकारियों पर नकेल कसने के लिए एनआईए और ईडी को निर्देश जारी कर दिए थे.

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश की बात सामने आने और संगठन द्वारा लगातार की जा रहीं गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर गृह मंत्रालय ने पीएफआई के पूरे नेटवर्क को तोड़ने का फैसला किया. इसके लिए बड़े पैमाने पर रूपरेखा गृह मंत्रालय की हाल में हुईं 2 बैठकों में तैयार की गई. फिर 22 सितंबर की एक उच्चस्तरीय बैठक में पीएफआई के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी गई.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानि पीएफआई का गठन 22 नवंबर 2006 को केरल के कोझीकोड में हुआ था. जब से इसका गठन हुआ है तभी से विवाद भी खड़े हो रहे थे. देश में जब नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, तब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गृह मंत्रालय से इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

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